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Gorakhpur Cyber Fraud: फेसबुक फ्रेंडशिप से 7.70 लाख की ठगी का पूरा सच

Gorakhpur Cyber Fraud: फेसबुक फ्रेंडशिप से 7.70 लाख की ठगी का चौंकाने वाला सच

Gorakhpur Cyber Fraud गोरखपुर में एक मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव को फेसबुक फ्रेंडशिप के बहाने 7.70 लाख की ठगी का शिकार बनाया गया। जानिए डेट-वाइज ठगी कैसे हुई, पुलिस ने क्या किया और इससे हमें क्या सबक मिलता है

डिजिटल इंडिया के इस युग में सोशल मीडिया ने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम किया है। लेकिन यही सोशल मीडिया अब अपराधियों के लिए भी सबसे खतरनाक हथियार बन चुका है। गोरखपुर में हाल ही में सामने आया Gorakhpur Cyber Fraud ऐसा मामला है, जिसने हर किसी को हिला कर रख दिया। इसमें एक साधारण मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव (MR) को फेसबुक फ्रेंडशिप के बहाने 7.70 लाख रुपये का चूना लगा दिया गया। यह कहानी सिर्फ ठगी की नहीं है,बल्कि उस लापरवाही और लालच की भी है, जो अपराधियों के लिए रास्ता आसान बना देती है।

  Gorakhpur Cyber Fraud घटना कब और कैसे शुरू हुई?

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Gorakhpur Cyber Fraud
सोर्स बाय गूगल इमेज

इस साइबर ठगी की शुरुआत जून 2024 से हुई। गोरखपुर के शाहपुर क्षेत्र के राप्तीनगर निवासी प्रसिद्ध नारायण सिंह, जो मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव (MR) के रूप में काम करते हैं, को फेसबुक पर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली। यह रिक्वेस्ट आईडी “अनुष्का शर्मा उर्फ दिव्या आहूजा” नाम से थी।

साधारण दिखने वाली इस फ्रेंड रिक्वेस्ट के पीछे एक गहरी साजिश छिपी थी। बातचीत शुरू हुई, लड़की ने खुद को शेयर मार्केट से जुड़ा बताया और बड़े मुनाफे का सपना दिखाना शुरू किया। यही वह पहला नेगेटिव मोड़ था, जहां पीड़ित ने बिना जांच-पड़ताल के भरोसा कर लिया।

दोस्ती से धोखे की तरफ पूरा प्लान

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पहला कदम: शुरूआत में सिर्फ ₹2,000 निवेश कराया गया। जल्दी ही उस पर मुनाफे का झांसा दिखाकर भरोसा दिलाया गया।

दूसरा कदम: इसके बाद बातचीत को टेलीग्राम ऐप पर शिफ्ट कर दिया गया। यहाँ एक और शख्स “राहुल भटनागर” सामने आया जिसने खुद को मार्केटिंग एक्सपर्ट बताया।

तीसरा कदम: राहुल ने “14 लेवल पूरे करने” की शर्त रखी। हर लेवल पर नई राशि भेजने को कहा गया।

चौथा कदम: हर लेन-देन के बाद पीड़ित से कहा गया कि मुनाफा मिलेगा लेकिन उसमें से 30% कमीशन राहुल को देना होगा। यह रकम UPI ट्रांज़ैक्शन के जरिए ली गई।

Gorakhpur Cyber Fraud आखिरी चाल: जब तक पीड़ित को ठगी का अहसास होता, वह किश्तों में कुल ₹7,70,000 भेज चुका था। और जब पैसे वापसी की मांग की गई, तो रिफंड दिलाने के नाम पर और ₹5.80 लाख जमा करने का दबाव बनाया गया। यही वह पल था जब पीड़ित को यकीन हो गया कि यह सब एक संगठित साइबर गिरोह की चाल है।

डेट-वाइज घटनाक्रम

जून 2024 – फेसबुक पर दोस्ती, शेयर मार्केट निवेश का झांसा।

जून-जुलाई 2024 – ₹2,000 का पहला निवेश, उसके बाद धीरे-धीरे रकम बढ़ाई गई।

अगस्त 2024 – लेवल्स और कमीशन के नाम पर लगातार ट्रांज़ैक्शन, कुल रकम ₹7.70 लाख तक पहुँची।

सितंबर 2024 – रिफंड के नाम पर और ₹5.80 लाख की डिमांड, तभी धोखे का पूरा सच सामने आया।

अक्टूबर 2024 – पीड़ित ने गोरखपुर साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

अगस्त 2025 – यह मामला स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आया।

पुलिस की जांच और कार्रवाई Gorakhpur Cyber Fraud

यह मामला गोरखपुर के साइबर क्राइम थाने में दर्ज है।

जांच की जिम्मेदारी एसआई उपेंद्र कुमार सिंह को दी गई।

पुलिस ने उन सभी बैंक खातों और UPI IDs की डिटेल मांगी है, जिनमें पैसे ट्रांसफर हुए थे।

तकनीकी जांच में यह बात सामने आई कि ठगी किसी संगठित नेटवर्क द्वारा की गई है।

फिलहाल पुलिस आरोपियों की लोकेशन और डिजिटल ट्रेल को ट्रैक कर रही है।

पुलिस की यह सक्रियता पीड़ित के लिए पॉजिटिव पहलू है, लेकिन असली सवाल यह है, कि आखिर कब तक आम लोग इस तरह के जाल में फँसते रहेंगे।

क्यों फंसा पीड़ित?Gorakhpur Cyber Fraud

सोशल मीडिया पर अनजान दोस्ती करना।

जल्दी अमीर बनने का लालच

छोटी रकम पर मुनाफा दिखाकर विश्वास जीतना।

फेक आईडी और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल।

यहाँ सबसे बड़ी गलती पीड़ित की लापरवाही थी, जो नेगेटिव सेंटिमेंट का उदाहरण है। वहीं, पुलिस की तत्परता एक पॉजिटिव सिग्नल देती है कि अपराधियों को छोड़ा नहीं जाएगा।

अन्य समान घटनाएँ – नेटवर्क कितना बड़ा है?

गोरखपुर में यह कोई पहली ठगी नहीं है।

मनीष झुनझुनवाला केस (गोरखनाथ/गोरखधाम इन्कलेव) – जून 2024 में फेसबुक आईडी “कीर्ति शर्मा” से दोस्ती हुई और शेयर मार्केट में निवेश कराने के नाम पर ₹84 लाख से अधिक ठगे गए।

जी. उतरीय राज केस (कुनराघाट, गोरखपुर) – 13 अगस्त को इंस्टाग्राम विज्ञापन के जरिए ₹9.56 लाख की ठगी।

ये दोनों केस यह साबित करते हैं, कि यह कोई छोटी-मोटी ठगी नहीं बल्कि एक ऑल इंडिया लेवल का साइबर गैंग है।

Gorakhpur Cyber Fraud पॉजिटिव सबक कैसे बचें ऐसी ठगी से?

सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से फ्रेंडशिप करने से बचें।

कभी भी ऑनलाइन निवेश या “दुगना मुनाफ़ा” जैसे वादों पर भरोसा न करें।

किसी भी संदिग्ध कॉल या चैट पर तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करें।

बैंक और UPI से जुड़ी जानकारी किसी के साथ शेयर न करें

यह Gorakhpur Cyber Fraud सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है। यह हमें याद दिलाता है, कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षा केवल सावधानी और जागरूकता से ही संभव है। अपराधी हर दिन नए तरीके ढूँढ रहे हैं, लेकिन अगर जनता सतर्क हो जाए तो उनकी चालें कभी काम नहीं आएंगी।

Gorakhpur Cyber Fraud निष्कर्ष

गोरखपुर का यह साइबर फ्रॉड केस हमें यह सिखाता है, कि सोशल मीडिया Facebook WhatsApp Instagram x telegram इन सब पर हर दोस्त असली नहीं होता। एक साधारण फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट ने एक मेहनतकश मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव से उसकी सालों की बचत छीन ली।

इस घटना से एक तरफ नेगेटिव सेंटिमेंट पैदा होता है कि डिजिटल फ्रॉड कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं पॉजिटिव पहलू यह है,कि पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दीया है।

सबसे बड़ा सबक यही है, सतर्कता ही सुरक्षा है।

 

 

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