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Haridwar Muslim Student Beaten Case हरिद्वार का काला सच: झबरेड़ा स्कूल में मुस्लिम बच्चे को हिंदू शिक्षकों ने पीटा—क्या मजहब की वजह से टूटी मासूमियत?

Haridwar Muslim Student Beaten Case हरिद्वार का काला सच: झबरेड़ा स्कूल में मुस्लिम बच्चे को हिंदू शिक्षकों ने पीटा—क्या मजहब की वजह से टूटी मासूमियत?

Haridwar Muslim Student Beaten Case  हरिद्वार झबरेड़ा के सरकारी स्कूल में मुस्लिम बच्चे को हिंदू शिक्षकों ने बेरहमी से पीटा। क्या मजहब की वजह से टूटी मासूमियत? पुलिस ने FIR दर्ज की, समाज में गुस्सा। शिक्षा धर्म से ऊपर है, यही संविधान और इंसानियत का संदेश।

Haridwar Muslim Student Beaten Case प्रस्तावना

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शिक्षक वह होता है, जो जाति, धर्म और मजहब से ऊपर उठकर सभी बच्चों को अपना समझता है। लेकिन हरिद्वार के झबरेड़ा क्षेत्र से आई खबर ने इंसानियत को झकझोर दिया है। सरकारी प्राथमिक विद्यालय आलमपुर में कक्षा 1 के एक मुस्लिम बच्चे को स्कूल के हिंदू प्रधानाध्यापक रवीन्द्र और शिक्षक राकेश सैनी ने इस कदर पीटा कि उसकी हड्डी तक टूट गई।

क्या सिर्फ इसलिए कि बच्चा मुस्लिम था?

यह सवाल पूरे समाज और संविधान दोनों से पूछा जाना चाहिए।

  Haridwar Muslim Student Beaten Case मासूम बच्चा और टूटती मासूमियत

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Haridwar Muslim Student Beaten Case
सोर्स बाय गूगल इमेज

सात साल का मासूम अरसलान (नाम सोशल मीडिया पर सामने आया, अखबारों ने गोपनीय रखा) दो दिन स्कूल नहीं आया। तीसरे दिन जब वह पहुँचा तो उस पर हैवानियत टूट पड़ी।

प्रधानाध्यापक रवीन्द्र ने मासूम का चेहरा जूते से दबाया।

शिक्षक राकेश सैनी ने डंडे से पीटते हुए उसके हाथ की हड्डी तोड़ दी।

पूरे शरीर पर चोटों के गहरे निशान आज भी गवाही दे रहे हैं।

यह सिर्फ एक बच्चे की पीड़ा नहीं, बल्कि यह संकेत है, कि कहीं न कहीं हमारे समाज में धर्म के नाम पर ज़हर घुल रहा है।

  Haridwar Muslim Student Beaten Case जब शिक्षा का मंदिर टूटा

स्कूल वह जगह है जहाँ बच्चों को समानता, भाईचारा और इंसानियत का पाठ पढ़ाया जाता है। शिक्षक वह मार्गदर्शक होता है, जो जात-पात और धर्म से ऊपर होता है। लेकिन झबरेड़ा का यह स्कूल इंसानियत के सबसे बड़े सबक में असफल रहा।

  Haridwar Muslim Student Beaten Case पिता का दर्द और धमकी

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बच्चे के पिता जब न्याय की उम्मीद लेकर स्कूल पहुँचे तो आरोप है कि शिक्षकों ने उन्हें धमकाते हुए कहा—

“यहाँ से चले जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे।”

क्या यही है, गुरु-शिष्य परंपरा? क्या यही है, हमारा समाज जो संविधान की कसम खाकर भी धर्म के नाम पर बच्चों को बाँटता है?

  Haridwar Muslim Student Beaten Case पुलिस कार्रवाई

मामला झबरेड़ा थाने में दर्ज हुआ।

SHO अजय शाह ने पुष्टि की कि FIR दर्ज हुई है।

आरोपियों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (धारा 75) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) व 351(2) लगाई गई हैं।

फिलहाल आरोपियों को नोटिस मिला है, लेकिन समाज की मांग है, कि उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर कठोर सज़ा दी जाए

  Haridwar Muslim Student Beaten Case मासूम बच्चा और इंसानियत की कसौटी

भारत का संविधान साफ कहता है, कि हर बच्चा, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई, समान अधिकारों का हकदार है।

शिक्षक का कर्तव्य है, कि वह बच्चे को केवल छात्र समझे, न कि उसके मजहब से पहचान बनाए।

 अगर हिंदू शिक्षक किसी मुस्लिम बच्चे पर अत्याचार करता है,या मुस्लिम शिक्षक किसी हिंदू बच्चे पर, तो यह केवल इंसानियत ही नहीं, बल्कि संविधान के भी खिलाफ है।

Haridwar Muslim Student Beaten Case समाज के लिए सख्त संदेश

1. शिक्षा का मंदिर कभी धर्म का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए।

2. शिक्षक को अपने धर्म से ऊपर उठकर सभी बच्चों को इंसान समझना चाहिए।

3. यदि धर्म के नाम पर बच्चों को प्रताड़ित किया गया तो यह न केवल अपराध होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को बाँटने का ज़हर भी बोएगा।

 भावनात्मक अपील

सोचिए…

अगर आज यह बच्चा आपका होता, और उसे सिर्फ इस वजह से पीटा जाता कि वह हिंदू या मुस्लिम है, तो क्या आप चुप बैठ पाते?

क्या हमें आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देना है,कि शिक्षा भी धर्म देखकर दी जाएगी?

हरिद्वार की यह घटना हमें चेतावनी देती है। धर्म के आधार पर बच्चों पर अत्याचार करने वाले लोग समाज के लिए कलंक हैं।

शिक्षक की असली पहचान उसका धर्म नहीं, उसकी इंसानियत होनी चाहिए।

आज जरूरत है, कि हम सब मिलकर यह संदेश दें:

कोई हिंदू शिक्षक मुस्लिम बच्चे को न मारे।

कोई मुस्लिम शिक्षक हिंदू बच्चे पर अत्याचार न करे।

और कोई भी शिक्षक किसी भी बच्चे पर अत्याचार न करे।

यही इंसानियत है, यही संविधान है और यही भारत की असली ताकत है।

 

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