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Health Department Fraud: One Person, Six Jobs यूपी स्वास्थ्य विभाग घोटाला: एक नाम से 6 एक्स-रे टेक्नीशियन नौ साल तक फर्जी नौकरी, करोड़ों रुपये का चूना!

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs यूपी स्वास्थ्य विभाग घोटाला: एक नाम से 6 एक्स-रे टेक्नीशियन नौ साल तक फर्जी नौकरी, करोड़ों रुपये का चूना!

 Health Department Fraud One Person Six job उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग का 2016 एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती घोटाला: एक नाम से 6 फर्जी टेक्नीशियन नौ साल तक नौकरी कर करोड़ों रुपये का चूना, जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संभावना। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।”

उत्तर प्रदेश लखनऊ स्वास्थ्य विभाग की 2016 में हुई एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती अब एक बड़े घोटाले में बदल गई है। जांच में सामने आया है, कि एक ही नाम “अर्पित सिंह” के सहारे 6 फर्जी टेक्नीशियन राज्य के अलग-अलग जिलों में नौ साल से नौकरी कर रहे थे। इन फर्जी कर्मचारियों ने सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की सैलरी उड़ा ली। अब शासन स्तर पर गंभीर जांच और कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs भर्ती का झूठा ताना-बाना (2016 की भर्ती)

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Health Department Fraud: One Person, Six Jobs यूपी स्वास्थ्य विभाग घोटाला: एक नाम से 6 एक्स-रे टेक्नीशियन नौ साल तक फर्जी नौकरी, करोड़ों रुपये का चूना!
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2016 में UPSSSC ने 403 एक्स-रे टेक्नीशियन पदों के लिए भर्ती निकाली थी।

चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद नियुक्ति पत्र स्वास्थ्य महानिदेशालय की पैरामेडिकल शाखा से जारी हुए।

जांच में यह खुलासा हुआ कि इस भर्ती प्रक्रिया में प्रारंभ से ही गड़बड़ी थी, लेकिन तब मामला दबा दिया गया। अब नौ साल बाद यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है।

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs एक नाम, छह नौकरी!

सबसे चौंकाने वाला तथ्य है, कि एक ही नाम और पिता का नाम “अर्पित सिंह, पुत्र अनिल कुमार सिंह” अलग-अलग जिलों में नौकरी के लिए इस्तेमाल हुआ।

असली अर्पित सिंह: हाथरस, मुरसान CHC में कार्यरत।

फर्जी टेक्नीशियन: शामली, बांदा, अमरोहा, बलरामपुर, फर्रुखाबाद, रामपुर में नियुक्त।

इन फर्जी टेक्नीशियनों में से कई अब फरार हैं।

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs जांच में खुलीं अनियमितताएँ

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स्वास्थ्य विभाग की आंतरिक जांच में पाया गया कि:

नियुक्ति पत्र जारी करने में अनियमितताएँ।

दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया कमजोर।

नियुक्ति पत्र पर तत्कालीन निदेशक पैरामेडिकल डॉ. ए.सी. त्रिपाठी के हस्ताक्षर।

कार्यालय अधीक्षक और अनुभाग लिपिक की संलिप्तता।

जांच टीम ने स्पष्ट किया कि यह फर्जीवाड़ा आंतरिक मिलीभगत के बिना संभव नहीं था

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs करोड़ों रुपये का नुकसान

फर्जी टेक्नीशियन लगभग नौ वर्षों तक वेतन ले रहे थे, जिससे राज्य सरकार को अनुमानित ₹3–4.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

  Health Department Fraud: One Person, Six Jobs FIR और कार्रवाई

मामले में वजीरगंज थाने, लखनऊ में FIR दर्ज कराई गई है।

शासन ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है, अध्यक्ष: डॉ. रंजना खरे, निदेशक पैरामेडिकल।

जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

  Health Department Fraud: One Person, Six Jobs अन्य संदिग्ध मामले

“अंकुर” और “अंकित” जैसे नामों से भी एक ही नाम पर दो-दो नियुक्तियाँ मिलीं।

यह साबित करता है,कि मामला संगठित भर्ती घोटाले का हिस्सा है, ना कि केवल एक या दो फर्जी नियुक्तियाँ।

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs  नए सत्यापन की प्रक्रिया

2016 की 403 टेक्नीशियनों की नियुक्तियों का पुनः सत्यापन।

फर्जी पाए जाने वाले कर्मचारियों से वेतन की वसूली की संभावना।

सभी संदिग्धों को नोटिस और जांच के बाद सख्त कार्रवाई।

Health Department Fraud: One Person, Six Jobs  जिम्मेदार अधिकारी

तत्कालीन निदेशक पैरामेडिकल डॉ. ए.सी. त्रिपाठी

कार्यालय अधीक्षक, अनुभाग लिपिक

संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO)

  स्वास्थ्य सेवाओं पर असर

भर्ती घोटाले से केवल वित्तीय नुकसान नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा।

असली उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिली, जबकि फर्जी टेक्नीशियन मरीजों की जांच करते रहे।

यह घोटाला साबित करता है,कि भर्ती तंत्र में संगठित भ्रष्टाचार कितना गहरा हो सकता है।

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“एक नाम से छह नौकरी” जैसे मामले ने शासन की साख और स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह लेख केवल सूचनात्मक और समाचार आधारित उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी सरकारी रिपोर्ट, मीडिया स्रोतों और जांच टीम की रिपोर्ट पर आधारित है।

लेख में शामिल व्यक्ति, अधिकारी या मामले का विवरण जांच और रिपोर्ट पर आधारित है, और इसमें किसी पर कानूनी दोष या निर्णय लगाने का उद्देश्य नहीं है।

यदि इस मामले में कोई नई जानकारी या आधिकारिक बदलाव होता है, तो लेख में आवश्यक संशोधन किया जाएगा। पाठकों से अनुरोध है, कि किसी भी निर्णय या कार्रवाई से पहले संबंधित आधिकारिक स्रोत की पुष्टि अवश्य करें।

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