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संसद के शीत कालीन सत्र में सांसदों का रिकार्डतोड़ निलम्बन

 

विपक्षी दलो के 78 सांसदों का 18 दिसम्बर के शीतकालीन सत्र में किया गया निलम्बन। यह संसद के इतिहास का पहला मामला है जो एक ही दिन में इतने अधिक सांसदों का निलम्बन किया गया।

13 दिसम्बर को लोकसभा में हुई सुरक्षा खामियों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर रहा और बार-बार सरकार से सवाल पूछ रहा नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडके ने कहा कि गृहमंत्री को इस मुददे पर जवाब देना चाहिये और संसद में इस पर चर्चा होनी चाहिये। जिसका परिणाम यह हुआ कि 14 दिसम्बर को विपक्षी दल के एक सांसद ओर लोकसभा के 13 सांसदों का निलम्बन किया गया। 18 दिसम्बर को 78 सांसदों का निलम्बन किया गया। जिसमें 45 राज्यसभा के सांसद है इनमें से 34 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए और 11 सांसदों को उनके व्यवहार पर विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलम्बित किया गया है 33 सांसद लोकसभा के है जिसमें 30 सांसदोें को पूरे शाीतकालीन सत्र के लिए और 3 सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलम्बित किया गया।

निलम्बन की मुख्य कारण

13 दिसम्बर को संसद पर हमले की बरसी थी उस दिन सदन की कार्यवाही के दौरान दर्शको की लाइन में लगे दो लोग कूदकर सांसदों के बीच विरोध प्रदर्शन करते हुये पीले धुएं वाली स्मोक कैन खोल दिया। जिसे सुरक्षा की बड़ी चूक मानकर  इसी मुददे पर विपक्ष लगातार सवाल पूछ रहा था और अपना विरोध प्रदर्शन कर रहा था ।

 

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा सदन में चर्चा लोक तांत्रिक व्यवस्था के तहत होनी चाहिये उन्होने कहा सदन में नारेबाजी करना, तख्तिया लेकर विरोध करना ठीक नही है. ऐसे आचरण को जनता भी नही पसंद नही करती है।

सांसदों के निलम्बन पर विपक्ष ने  लोकतंत्र पर हमला  बताया है.

 

 

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