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“वक्फ विधेयक 2024 के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन”

large protest at Jantar Mantar, New Delhi, against the Waqf Amendment Bill 2024.

“वक्फ विधेयक 2024 के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन”

AIMPLB और विभिन्न मुस्लिम संगठनों का विरोध प्रदर्शन
मांग: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को तत्काल वापस लिया जाए!
विपक्षी दलों और सिविल सोसाइटी से समर्थन 

🔴 “अगर विधेयक पास हुआ, तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा!” – AIMPLB

#WaqfBillProtest #JantarMantar #AIMPLB #MuslimRights

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ आज, 17 मार्च 2025 को, नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक महा धरना आयोजित किया है। इस प्रदर्शन में विभिन्न मुस्लिम संगठनों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और विपक्षी दलों के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है। AIMPLB का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को जब्त करने और नष्ट करने की साजिश है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों के लिए खतरा है।

बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि पहले यह धरना 13 मार्च को आयोजित होने वाला था, लेकिन संसद सत्र के संभावित अवकाश के कारण इसे 17 मार्च के लिए पुनर्निर्धारित किया गया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और जनता दल (यू) जैसे भाजपा के सहयोगी दलों को इस धरने में आमंत्रित नहीं किया गया है, क्योंकि ये दल सरकार के साथ नजर आ रहे हैं।

AIMPLB ने चेतावनी दी है कि यदि यह विधेयक पारित होता है, तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। बोर्ड ने विपक्षी दलों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से इस विरोध में शामिल होने की अपील की है, ताकि सरकार पर इस विधेयक को वापस लेने का दबाव बनाया जा सके।

AIMPLB का यह रुख दिखाता है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर मुस्लिम समुदाय और सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है। अगर यह विधेयक पारित होता है, तो AIMPLB राष्ट्रव्यापी आंदोलन की योजना बना रहा है, जिसमें विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की भी भागीदारी हो सकती है।

संभावित प्रभाव और आगे की रणनीति:

  1. राजनीतिक माहौल: विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और AIMIM जैसे दल इस विरोध में AIMPLB का समर्थन कर सकते हैं। इससे सरकार पर दबाव बढ़ सकता है।

  2. कानूनी लड़ाई: यदि विधेयक कानून बन जाता है, तो इसकी संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

  3. सड़क पर आंदोलन: देशभर में मुस्लिम संगठनों द्वारा प्रदर्शन, भूख हड़ताल और रैलियां हो सकती हैं, जिससे राजनीतिक माहौल गर्म हो सकता है।

  4. सरकार का जवाब: सरकार इस विधेयक को लेकर स्पष्टीकरण जारी कर सकती है या बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश कर सकती है।

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