“अनुपम श्रृंगार लिए आया ऋतुराज, कण-कण में गूँज रहा स्वागत का साज”
गोरखपुर, 14 फरवरी । साहित्यिक – सांस्कृतिक संस्था ‘ अभिव्यक्ति की काव्य गोष्ठी बसंत पंचमी / निराला जयन्ती के शुभ अवसर पर संस्था के कार्यालय १०, प्रताप नगर (टीचर्स कॉलोनी), चिलमापुर रुस्तमपुर में संरक्षक ‘नर्वदेश्वर सिंह (मास्टर साहब) की अध्यक्षता एवं सचिव शाशिबिन्दु नारायण मिश्र के संचालन में पूर्वान्ह 11:30 बजे से प्रारम्भ हुई।
गोष्ठी का प्रारम्भ वाग्देवी माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। वाणी की सुमधुर वंदना ख्यातिलब्ध कवयत्री निशा राय द्वारा की गयी। गोष्ठी के मुख्य अतिथि वारिष्ठ गीतकार / गजलकार वीरेन्द्र मिश्र दीपक एवं विशिष्ठ अतिधि डॉ. फूलचन्द गुप्त रहे।
सचालक शशिविन्दु नारायण मिश्र ने युवा गजलकार विनोद’ निर्भय’ को आमंत्रण दिया, जिन्होंने ” जहाँ भी मंथरा – शकुनी जम कर पांव रख देते, वहाँ श्रीराम जैसों का सदा वनवास होता है।” शेर पढ़कर वाहवाही लूटी। अपनी बारी में देश की जानी मानी कवयत्री निशा राय ने – ” मन की अमराई में मजरियाँ आयी हैं, कौन दे गया इसे बसंत” सबको भाव-विभोर कर दिया। इसके बाद ख्यातिलब्ध गजलकार केशव पाठक ‘सृजन’ ने – ” सितमगर भूल मत जाना-ख़ुदा के पास जाना है, वहाँ सच्ची अदालत है, बिका अफसर नहीं मिलता” पढ़कर गोष्ठी का माहौल बदला । कवयत्री प्रतिभा गुप्ता ने गीत – “अनुपम श्रृंगार लिए आया ऋतुराज, कण-कण में गूँज रहा स्वागत का साज” पढ़कर आगत बसंत का स्वागत किया । भोजपुरी गीतकार रामसमुझ ‘सांवंरा’ ने अपनी बारी में – डोलिया उठावेला कहंरवा, छूटल आजु घरवा दुअरवा” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । वरिष्ठ साहित्यकार डा0 फूलचंद गुप्त “नेकी क$ माहौल बने देतीं,अब त हमहूं के तने देतीं” पढ़कर समाज के कशमकश को अभिव्यक्ति दी । वरिष्ठ शायर अरुण ब्रह्मचारी ने अपने शेर में कहा “कंधा बदल बदलकर मेरा शव जला रहे हैं” ने पढ़कर चमत्कृत किया । मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार/गजलकार विरेंद्र मिश्र दीपक ने “महंगाई बेकारी को भूख और बिमारी को शंगीनो की नोक पर टंगे किलकारी को” सुनाकर सामाजिक विसंगतियों को बेहतरीन तरीके से उकेरा । अभिव्यक्ति के संयोजक डॉ.जयप्रकाश नायक ने कहा, ”सबसे खतरनाक है यारों,आंखों में आंसू भरकर मर जाना” सुनाकर गोष्ठी की उंचाई दी ।
संचालक ने संस्था के संरक्षक एवं गोष्ठी के अध्यक्ष नर्वदेश्वर सिंह (मास्टर साहब) से काव्य पाठ करने का अनुरोध किया । “अंग अंग बरसवलस हो मधुमाष महीनवां” सुनाकर मधुमाष का स्वागत किया ।
इस अवसर पर संस्थान के संजय सिंह, डॉ. दिवाकर गुप्ता, डॉ. केशव शरण चौधरी सहित अन्य कवियों ने अपनी रचनाएँ पढ़ीं। इस अवसर पर शहर के युवा वरिष्ठ रंगकर्मी बेचन सिंह पटेल उपस्थित रहे । संगोष्ठी के अंत में देश के जाने माने साहित्यकार भूतपूर्व राज्यसभा सदस्य पंडित विद्यानिवास मिश्र की 20वीं पुष्यतिथि पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी ।