Gorakhpur land scam 2025 गोरखपुर का सनसनीखेज जमीन घोटाला: छह साल पहले मरी महिला को जिंदा दिखाकर रजिस्ट्री, लेखपाल समेत छह आरोपी फंसे
Gorakhpur land scam 2025 गोरखपुर में हाल ही में सामने आया एक जमीन घोटाला पूरे पूर्वांचल को हिला देने वाला है। यह मामला सिर्फ धोखाधड़ी तक सीमित नहीं, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है,कि आखिर सरकारी व्यवस्था और दस्तावेजों की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है, कि एक महिला की मौत के छह साल बाद भी उसे “जिंदा” दिखाकर न सिर्फ आधार और पैन कार्ड बनवाए गए, बल्कि बैंक खाता खोलकर जमीन की रजिस्ट्री कराने की कोशिश भी की गई।
यह मामला गोरखपुर जिले के खोराबार थाना क्षेत्र के ताल कंदला गांव का है, जहां मृत महिला चंद्रावती देवी (पत्नी स्व. राघव मिश्र) के नाम पर यह पूरी साजिश रची गई। चंद्रावती देवी की मृत्यु 23 मार्च 2019 को हो चुकी थी और नगर निगम से आधिकारिक मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी किया गया था। बावजूद इसके, जालसाजों ने उन्हें “जिंदा” साबित कर जमीन पर कब्जा करने का षड्यंत्र रचा।
पीड़ित परिवार की कहानी: बेटे ने खोली पोल

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चंद्रावती देवी के पुत्र महेश्वर मिश्र इस घोटाले के सबसे बड़े पीड़ित हैं। उनके पिता राघव मिश्र के निधन के बाद परिवार की जमीन चंद्रावती देवी के नाम दर्ज थी। वर्ष 2019 में उनकी माता का भी निधन हो गया और तब से महेश्वर विरासत (वरासत) की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने में लगे हुए थे।
कुछ महीने पहले जब उन्होंने तहसील में जमीन की स्थिति ऑनलाइन चेक की, तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि उसी जमीन से जुड़ी गतिविधियाँ लगातार अपडेट हो रही हैं। और यही से पूरी साजिश का खुलासा होना शुरू हुआ। महेश्वर को पता चला कि उनकी मृत मां के नाम से फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाकर न केवल बैंक ऑफ इंडिया की गोरखनाथ शाखा में खाता खोला गया, बल्कि जमीन की रजिस्ट्री कराने की भी तैयारी की जा रही है।
महेश्वर मिश्र का कहना है: Gorakhpur land scam 2025
“यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था। मां को खोए छह साल हो गए, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें जिंदा बताकर उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की। अगर समय रहते हमें जानकारी न मिलती, तो हमारी पुश्तैनी जमीन हमारे हाथ से निकल जाती।”
जालसाजी का पूरा खेल: आधार से बैंक तक
पुलिस जांच में सामने आया है,कि जालसाजों ने पहले चंद्रावती देवी के नाम पर नकली आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाए। इसके बाद उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर बैंक में खाता खुलवाया गया।
बैंक खाता खुलने के बाद आरोपी सीधे रजिस्ट्री की प्रक्रिया की ओर बढ़े। योजना यह थी कि चंद्रावती देवी को “जिंदा” दिखाकर उनकी सहमति से जमीन औने-पौने दाम पर बेच दी जाए। इस पूरे खेल में स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली लोगों और कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत होने की आशंका है।
आरोपी कौन-कौन?
खोराबार पुलिस ने इस घोटाले में छह लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें एक लेखपाल भी शामिल है। पुलिस ने जिनके खिलाफ केस दर्ज किया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
1. जगदीश प्रसाद (लेखपाल)
2. संतोष कुमार
3. वाहिद अली
4. अमित कुमार राय
5. सन्नी कुमार
6. और स्वयं चंद्रावती देवी का नाम भी फर्जी रजिस्ट्री दस्तावेज में शामिल किया गया है।
लेखपाल की भूमिका सबसे संदिग्ध मानी जा रही है, क्योंकि बिना सरकारी सहयोगियों के ऐसे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल लंबे समय तक संभव नहीं हो सकता।
पुलिस प्रशासन की कार्रवाई Gorakhpur land scam 2025
महेश्वर मिश्र की शिकायत पर खोराबार थाने की पुलिस तुरंत हरकत में आई और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। फिलहाल पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ चल रही है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है, कि यह कोई साधारण धोखाधड़ी नहीं बल्कि संगठित अपराध है। कई स्तरों पर जांच की जा रही है, कैसे मृत महिला का आधार कार्ड और पैन कार्ड जारी हुआ, किसने बैंक खाता खोला और लेखपाल की मिलीभगत कितनी गहरी थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, केस की गंभीरता को देखते हुए इसे जल्द ही एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) को सौंपा जा सकता है।
प्रशासन और जनता की प्रतिक्रिया
यह मामला उजागर होते ही स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है, कि बिना तहसील और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी संभव ही नहीं है।
गांव के बुजुर्ग रामआसरे का कहना है: Gorakhpur land scam 2025
“आज अगर चंद्रावती देवी को जिंदा दिखाया जा सकता है, तो कल हमारे नाम पर भी फर्जीवाड़ा हो सकता है। जब तक अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, आम जनता सुरक्षित नहीं है।”
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे “सिस्टम की नाकामी” बताया है और मांग की है कि दोषी कर्मचारियों पर न केवल निलंबन बल्कि आपराधिक धाराओं में भी सख्त कार्रवाई हो।
कानूनी पहलू Gorakhpur land scam 2025
इस मामले में जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें शामिल हैं:
धोखाधड़ी (IPC 420)
फर्जी दस्तावेज बनाना (IPC 468, 471)
साजिश (IPC 120B)
और सरकारी काम में बाधा डालना।
अगर आरोप साबित होते हैं, तो दोषियों को 7 से 10 साल तक की सजा हो सकती है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह केस?Gorakhpur land scam 2025
गोरखपुर का यह मामला कई वजहों से अहम है:
1. यह दिखाता है,कि कैसे तकनीकी खामियों और भ्रष्टाचार का फायदा उठाकर मृत व्यक्ति को भी “जिंदा” दिखाया जा सकता है।
2. यह सवाल खड़ा करता है, कि आधार, पैन और बैंकिंग जैसी संवेदनशील प्रणालियाँ कितनी सुरक्षित हैं।
3. यह केस उन हजारों परिवारों के लिए चेतावनी है, जिनकी जमीनों पर निगाहें गड़ी रहती हैं।
आगे क्या?Gorakhpur land scam 2025
फिलहाल पुलिस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। आरोपियों से पूछताछ में यह भी पता लगाया जा रहा है, कि कहीं ऐसे और मामले तो नहीं चल रहे, जिनमें मृत लोगों के नाम पर जमीन का सौदा किया गया हो।
विशेषज्ञों का मानना है, कि सरकार को ऐसे मामलों को रोकने के लिए जमीन और संपत्ति से जुड़ी रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और बायोमेट्रिक आधारित करना चाहिए, ताकि कोई भी मृत व्यक्ति के नाम पर धोखाधड़ी न कर सके।
Gorakhpur land scam 2025 गोरखपुर का यह जमीन घोटाला केवल एक परिवार की परेशानी नहीं, बल्कि पूरे समाज और सिस्टम के लिए चेतावनी है। यह घटना बताती है, कि भ्रष्टाचार और लापरवाही मिलकर कैसे किसी भी व्यक्ति के अधिकारों पर डाका डाल सकते हैं।
अब देखना यह है, कि पुलिस और प्रशासन आरोपियों के खिलाफ कितनी सख्ती दिखाते हैं, और क्या यह मामला अन्य जमीन घोटालों की जांच का रास्ता खोलता है।
लेखक की टिप्पणी:Gorakhpur land scam 2025
यह रिपोर्ट न सिर्फ गोरखपुर बल्कि पूरे देश की आंख खोलने वाली है। अगर जनता सतर्क रहे और प्रशासन ईमानदारी से कार्रवाई करे, तभी भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।