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Mathura waterlogging मथुरा की सड़कों पर जलभराव क्या यही है बीजेपी सरकार का विकास मॉडल

Mathura waterlogging मथुरा, काशी और अयोध्या में बारिश के बाद जलभराव और गंदगी ने बीजेपी सरकार के विकास मॉडल की पोल खोल दी है। करोड़ों खर्च

Mathura waterlogging मथुरा, काशी और अयोध्या में बारिश के बाद जलभराव और गंदगी ने बीजेपी सरकार के विकास मॉडल की पोल खोल दी है। करोड़ों खर्च होने के बावजूद धार्मिक शहरों में भ्रष्टाचार और लापरवाही क्यों?

Mathura waterlogging आम जनता का सवाल यह कैसा विकास

सोचिए, आप मथुरा जैसे पवित्र शहर में दर्शन करने आए हैं, और चारों तरफ गंदगी, कीचड़ और जलभराव से आपका स्वागत हो रहा है। यह दृश्य न केवल परेशान करता है,बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है, कि आखिर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जनता को मिल क्या रहा है?

Mathura waterlogging बीजेपी सरकार ने धार्मिक शहरों काशी, अयोध्या, मथुरा में विकास का वादा किया था। लेकिन हकीकत यह है,कि इन शहरों में आज भी बरसात के दिनों में सड़कों पर तैरती गंदगी और पानी ही विकास की असली तस्वीर पेश करते हैं।

मथुरा भगवान की नगरी में बदहाल हालात

Mathura waterlogging मथुरा, काशी और अयोध्या में बारिश के बाद जलभराव और गंदगी ने बीजेपी सरकार के विकास मॉडल की पोल खोल दी है। करोड़ों खर्च
सोर्स बाय गूगल इमेज

मथुरा, जिसे श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में पूरी दुनिया जानती है, यहां देश विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। सरकार ने यहां विकास योजनाओं की लंबी-चौड़ी घोषणाएं कीं, लेकिन जब हल्की बारिश होती है, तो पूरा शहर तालाब बन जाता है।

सड़कों पर पानी इतना भर जाता है, कि लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। दुकानदार अपने व्यापार को लेकर परेशान हैं, और आम लोग घर से बाहर निकलने से डरते हैं।

Mathura waterlogging काशी और अयोध्या में भी वही हाल

यह समस्या सिर्फ मथुरा तक सीमित नहीं है। काशी और अयोध्या में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं।

काशी में गंगा के घाटों के आसपास गंदगी और सीवर की समस्या बनी रहती है।

अयोध्या, जहां भगवान राम मंदिर बनने का सपना दिखाया गया, वहां भी बारिश में कीचड़ और पानी से लोग परेशान रहते हैं।

इन धार्मिक शहरों को चमकाने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च होने का दावा किया गया, लेकिन जमीन पर नतीजा बहुत ही निराशाजनक है।

Mathura waterlogging  विकास के नाम पर भ्रष्टाचार

बीजेपी सरकार और उसके नेता जब चुनाव आते हैं तो धर्म के नाम पर जनता से वोट मांगते हैं। saffron वस्त्र पहनकर बड़े-बड़े मंचों से भाषण देते हैं। लेकिन जब असल विकास की बारी आती है, तो जनता को सिर्फ भ्रष्टाचार और लापरवाही मिलती है।

ठेकेदारों को करोड़ों रुपये की योजनाएं दी जाती हैं, लेकिन काम अधूरा और घटिया गुणवत्ता का होता है। नतीजा यह है, कि पहली बारिश में ही सारी पोल खुल जाती है।

Mathura waterlogging जनता की पीड़ा

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स्थानीय लोगों का कहना है,कि हर साल यही हाल होता है। चुनाव से पहले वादे किए जाते हैं,कि जलनिकासी की व्यवस्था सुधारी जाएगी, सड़कों को दुरुस्त किया जाएगा। लेकिन बारिश के आते ही सारे वादे धरे रह जाते हैं।

एक दुकानदार ने कहा:

Mathura waterlogging  हम तो भगवान के भरोसे जी रहे हैं। सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं है। हर साल दुकान में पानी घुस जाता है और हमारा नुकसान हो जाता है।”

क्या धार्मिक नगरी सिर्फ वोट बैंक है

यहां बड़ा सवाल यह है,कि क्या धार्मिक शहरों को सिर्फ वोट बैंक समझा जा रहा है? विकास का नाम लेकर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन जनता तक उसका लाभ नहीं पहुंचता।

काशी, अयोध्या और मथुरा में धार्मिक आस्था का फायदा उठाकर वोट तो लिए जाते हैं, लेकिन बदले में आम लोगों को सिर्फ जलभराव और गंदगी मिल रही है।

धर्म के नाम पर राजनीति, जनता का शोषण

सच यह है,कि बीजेपी के कई नेता धर्म की आड़ में सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। saffron वस्त्र पहनकर वे खुद को धर्मरक्षक दिखाते हैं, लेकिन असल में धर्म के नाम पर भ्रष्टाचार ही करते हैं।

धर्म की आस्था का उपयोग कर जनता से वोट लेना और फिर जनता को उनके हाल पर छोड़ देना यही आज का विकास मॉडल बन गया है।

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Mathura waterlogging  क्या यही है रामराज्य का सपना

बीजेपी सरकार बार बार ‘रामराज्य’ की बात करती है। लेकिन सवाल है, कि क्या रामराज्य में जनता की सड़कों पर पानी और गंदगी भरी होती थी? क्या भगवान श्रीराम की नगरी में भक्तों को कीचड़ और बदबू का सामना करना पड़ता था?

आज की हकीकत देखकर लगता है कि रामराज्य का सपना सिर्फ चुनावी नारा बनकर रह गया है।

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  Mathura waterlogging समाधान क्या है

धार्मिक शहरों में ड्रेनेज सिस्टम को तुरंत दुरुस्त किया जाए।

सड़कों की मरम्मत और जलनिकासी की व्यवस्था स्थायी होनी चाहिए।

ठेकेदारों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

विकास योजनाओं का पारदर्शी ऑडिट हो।

जनता की भागीदारी के साथ ही काम की निगरानी हो।

जब तक यह सब नहीं होगा, तब तक जनता सिर्फ वोट बैंक बनकर ही रह जाएगी।

जनता की आवाज़ ही बदलाव लाएगी

लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी ताकत है। अगर जनता चुप रही तो हालात कभी नहीं बदलेंगे। आज ज़रूरत है,कि लोग सवाल पूछें

हमारे टैक्स के पैसे कहां गए?

विकास के नाम पर भ्रष्टाचार क्यों?

धार्मिक आस्था को बार-बार क्यों बेचा जा रहा है?

जब जनता अपनी आवाज़ बुलंद करेगी तभी व्यवस्था बदलेगी।

मथुरा, काशी और अयोध्या जैसे शहर हमारी धार्मिक पहचान हैं। इन्हें चमकाना सिर्फ सरकार का नहीं बल्कि पूरे देश का कर्तव्य है। लेकिन जब सरकार ही भ्रष्टाचार और लापरवाही में लिप्त हो, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

आज मथुरा का जलभराव हमें यह सोचने पर मजबूर करता है,कि क्या यही है,बीजेपी सरकार का विकास मॉडल?

डिस्क्लेमर

यह आर्टिकल किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति को बदनाम करने के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य केवल जनता की समस्याओं और भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों को उजागर करना है, ताकि धार्मिक शहरों की पवित्रता और असल विकास सुरक्षित रह सके।

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