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Muslim Rights in India Constiu आई लव मोहम्मद पर FIR: क्या संविधानिक अधिकारों से मुसलमान वंचित हो रहे हैं

Muslim Rights in India Constiu आई लव मोहम्मद पर FIR: क्या संविधानिक अधिकारों से मुसलमान वंचित हो रहे है

Muslim Rights in India Constiution बरेली की घटना ने संविधान और समानता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। “आई लव मोहम्मद” लिखने पर FIR और शांतिपूर्ण विरोध पर लाठीचार्ज क्या भारत के लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ नहीं है? पढ़िए यह विस्तार से लिखा गया आर्टिकल।

प्रस्तावना

Muslim Rights in India Constitution भारत की आत्मा उसकी गंगा-जमुनी तहज़ीब और धार्मिक सहिष्णुता में बसती है। यहाँ हर धर्म, हर जाति और हर भाषा का समान सम्मान होता आया है। लेकिन जब किसी समुदाय की आस्था को लेकर उसके संवैधानिक अधिकारों पर हमला होता है, तो सवाल खड़ा होना लाजमी है।

Muslim Rights in India Constitution उत्तर प्रदेश के बरेली से आई हालिया घटना ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है। मुसलमान समाज ने शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने जा रहा था। उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने अपनी आस्था जताते हुए “आई लव मोहम्मद” लिखा। इसके बाद उन पर FIR दर्ज कर दी गई और पुलिस ने लाठियां बरसा दीं।

सोशल मीडिया पर @IqraMunawwar_ जी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा

BJP सरकार का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है; जनता उन्हें धूल चटा देगी। सिंहासन पर बैठने वालों को हल्के में लेना बड़ी भूल है।”

यह बयान न केवल जनता के गुस्से को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है, कि लोकतंत्र की नींव कितनी हिल चुकी है।

Muslim Rights in India Constitution संविधान क्या कहता है?

भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है।

Muslim Rights in India Constitution 1. अनुच्छेद 19(1)(a)

नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। इसका मतलब यह है कि कोई भी नागरिक अपने विचार शांतिपूर्वक रख सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार (2015) केस में कहा था कि “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की नींव है।”

2. अनुच्छेद 25:

हर नागरिक को अपने धर्म को मानने, प्रचार करने और प्रसार करने की आज़ादी है।

सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती बनाम राज्य केरल (1973) केस में माना था कि धर्म की स्वतंत्रता संविधान की बुनियादी संरचना का हिस्सा है।

3. अनुच्छेद 14:

हर नागरिक कानून की नज़रों में बराबर है।

इसका मतलब है, कि किसी के साथ धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

Muslim Rights in India Constitution 4. अनुच्छेद 21:

जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।

सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि गरिमा (dignity) के साथ जीना हर नागरिक का हक है।

Muslim Rights in India Constitution इन अनुच्छेदों को देखते हुए, सिर्फ “आई लव मोहम्मद” लिखने पर FIR दर्ज करना और शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर लाठियां चलाना न केवल असंवैधानिक है बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा को ठेस पहुँचाना है।

Muslim Rights in India Constitution बरेली की घटना: दर्दनाक तस्वीर

Muslim Rights in India Constitution बरेली की घटना सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं बल्कि एक समुदाय के दिल को चोट पहुँचाने वाली तस्वीर है। लोग सड़कों पर शांतिपूर्वक निकले थे। उनके हाथ में सिर्फ ज्ञापन था, हथियार नहीं। उनके नारे शांति और अधिकार की मांग कर रहे थे, न कि हिंसा की।

फिर भी पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा। महिलाएं, बुज़ुर्ग और नौजवान  सबको लाठियों से घायल किया गया। कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए, जिनमें साफ दिखा कि प्रदर्शनकारी हिंसा नहीं कर रहे थे।

मुसलमानों की तकलीफ और धैर्य

आज मुसलमान समाज यह महसूस कर रहा है, कि उसके अधिकार धीरे-धीरे छीने जा रहे हैं। उनकी आस्था को लेकर उन्हें अपराधी बना दिया जाता है। लेकिन इसके बावजूद मुसलमानों ने हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया।

हमारे प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमेशा शांति और भाईचारे की शिक्षा दी। कुरआन में साफ कहा गया है कि “अल्लाह ज़ुल्म करने वालों को पसंद नहीं करता।” यही कारण है, कि बरेली की घटना के बाद भी मुसलमान समाज हिंसा से दूर रहा और संविधान पर भरोसा जताया।

अन्य धर्मों के उदाहरण और असमानता का सवाल

Muslim Rights in India Constiu आई लव मोहम्मद पर FIR: क्या संविधानिक अधिकारों से मुसलमान वंचित हो रहे है
सोर्स बाय गूगल इमेज

जब कुछ समूह धार्मिक जुलूसों में भड़काऊ नारे लगाते हैं, मस्जिदों के सामने उकसाने वाले गाने बजाते हैं, तब प्रशासन अक्सर खामोश रहता है।

लेकिन जब मुसलमान समाज संविधान के दायरे में रहकर अपनी आस्था जताता है, तो उस पर FIR और लाठियां चलती हैं।

क्या यही है “सबका साथ, सबका विकास” की परिभाषा? क्या यही है अनुच्छेद 14 की समानता?

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सुप्रीम कोर्ट और धार्मिक स्वतंत्रता

भारत का सर्वोच्च न्यायालय कई बार यह साफ कर चुका है कि धार्मिक स्वतंत्रता पर बिना वजह रोक लगाना असंवैधानिक है।

अरुणा रॉय बनाम भारत सरकार (2002) केस में कहा गया कि राज्य किसी भी नागरिक को धार्मिक अभिव्यक्ति से वंचित नहीं कर सकता।

टी.टी.एंटनी बनाम केरल राज्य (2001) में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की FIR दर्ज करने की शक्तियों पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि FIR दर्ज करने का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

Muslim Rights in India Constitution  ट्विटर और सोशल मीडिया की गूंज

आज सोशल मीडिया हर नागरिक की आवाज़ बन चुका है। @IqraMunawwar_ जैसे अकाउंट्स इस घटना को लेकर खुलकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा।

“जो तख़्त पर बैठा है, उसे हल्के में मत लो। अराजकता का इलाज उससे बेहतर कोई नहीं जानता।”

यह संदेश सरकार के लिए चेतावनी है,कि जनता अब चुप नहीं बैठेगी।

Muslim Rights in India Constitution सरकार और समाज के लिए सबक

सरकार को समझना होगा कि भारत अंग्रेज़ों की तानाशाही से मुक्त होकर बना है। अगर आज भी नागरिकों की आवाज़ दबाई जाएगी, तो यह लोकतंत्र की आत्मा को मारने जैसा होगा।

मुसलमान भी इस देश के नागरिक हैं।

उन्हें संविधान में बराबर का अधिकार मिला है।

सरकार का कर्तव्य है,कि वह उनके अधिकारों की रक्षा करे, न कि उन्हें कुचले।

Muslim Rights in India Constitution  भाईचारे का पैगाम

इतिहास गवाह है, कि जब-जब समाज में नफरत फैलाई गई, तब-तब भारत ने भाईचारे से ही अपनी ताक़त दिखाई है।

मुसलमान समाज आज भी हिंसा से दूर है।

वह संविधान पर भरोसा करता है।

और सबसे अहम, वह देशवासियों को यही संदेश देता है,कि नफरत को हराने का तरीका सिर्फ मोहब्बत है।

बरेली की घटना केवल एक शहर की घटना नहीं, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र की परीक्षा है। अगर किसी नागरिक को सिर्फ “आई लव मोहम्मद” लिखने पर FIR का सामना करना पड़े, तो यह संविधान की आत्मा के खिलाफ है।

सरकार को सोचना चाहिए कि मुसलमान भी इस देश की रीढ़ हैं। उन्हें दरकिनार कर भारत मजबूत नहीं हो सकता।

अगर संविधान की इज्ज़त बचानी है,तो सभी नागरिकों को बराबरी का दर्जा देना होगा।

Muslim Rights in India Constitution Disclaimer

यह लेख किसी विशेष व्यक्ति, सरकार या संस्था को आहत करने के लिए नहीं लिखा गया है। इसका उद्देश्य केवल भारत के संविधान, समानता, भाईचारे और शांति का संदेश फैलाना है। सभी धर्म और समुदाय भारत की ताक़त हैं, और सभी का सम्मान करना हर भारतीय की ज़िम्मेदारी है।

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