Nursing student Attempt मेरी किस्मत यहीं खत्म नर्सिंग छात्रा की दर्दभरी चीख पुलिस ने दी जिंदगी की नई उम्मीद
Nursing student Attempt गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक नर्सिंग छात्रा ने सुसाइड नोट लिखकर पांचवीं मंजिल पर चढ़कर आत्महत्या की कोशिश की। “मेरी किस्मत यहीं खत्म” लिखने वाली इस छात्रा को पुलिस ने समय रहते बचा लिया। पढ़ें, इस दिल दहलाने वाली घटना की पूरी कहानी और मानसिक स्वास्थ्य का महत्व।
जिंदगी की जंग में कभी-कभी छोटी सी बात दिल पर इतना भारी पड़ जाती है कि इंसान टूटने लगता है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की एक नर्सिंग छात्रा की कहानी कुछ ऐसी ही है। उसने एक सुसाइड नोट में अपनी पीड़ा उकेरी और पांचवीं मंजिल पर चढ़ गई। नोट में लिखा था, “मेरे साथ मेरी किस्मत खत्म हो गई।” लेकिन पुलिस की सूझबूझ और इंसानियत ने उसे नई जिंदगी दी। यह घटना 23 सितंबर 2025 की है, जब एक साधारण शाम सनसनी में बदल गई। आइए, इस कहानी को करीब से समझें क्या हुआ, क्यों हुआ, और हम क्या सीख सकते हैं।
Nursing student Attempt एक साधारण दिन, असाधारण दर्द

सोमवार को प्रैक्टिकल परीक्षा खत्म हुई थी। बीएससी नर्सिंग की सातवें सेमेस्टर की यह छात्रा मेरठ से थी। छुट्टियों का ऐलान हुआ 3 अक्टूबर तक आजादी। उसने मंगलवार की ट्रेन बुक की, घर की यादें आंखों में तैर रही थीं। मां का खाना, दोस्तों की हंसी, और थोड़ा सुकून। लेकिन जब विभाग से छुट्टी की मंजूरी नहीं मिली, तो उसका गुस्सा फूट पड़ा। उसने मोबाइल पटका और हॉस्टल से निकल गई। सहेलियां परेशान, कॉलेज प्रशासन सकते में। गुलरिहा थाने को खबर दी गई।
Nursing student Attempt सनसनी की रात पांच घंटे की सांस थामने वाली खोज
शाम सात बजे। कॉलेज परिसर में सन्नाटा। पुलिस ने सीसीटीवी खंगाले, आसपास की झाड़ियां छानीं। लेकिन छात्रा का कोई सुराग नहीं। अस्थायी हॉस्टल में न कैमरे थे, न महिला वार्डन। निर्माणाधीन हॉस्टल की वजह से छात्राएं पुरानी नगर निगम बिल्डिंग में रह रही थीं। सुरक्षा? बस नाम की। रात नौ बजे एक सहेली के फोन पर कॉल आई। कांपती आवाज: “मैं बाल रोग विभाग की पांचवीं मंजिल पर हूं।” पुलिस दौड़ी। अंधेरी सीढ़ियां, रेलिंग पर खड़ी वह लड़की, और रुमाल में बंधा सुसाइड नोट।
नोट में छिपा दर्द मुझे साबित करना होगा
Nursing student Attempt शायद मुझे मरकर साबित करना होगा कि मेरे साथ गलत हुआ। मैं ये बात किसी से कह नहीं सकती। मेरी किस्मत यहीं खत्म। मेरे दोस्तों, शिक्षकों, परिवार का कोई दोष नहीं।” ये शब्द सिर्फ स्याही नहीं, एक टूटे दिल की चीख थे। क्या थी वह अनकही बात? शायद पढ़ाई का बोझ, शायद अकेलापन, या शायद छोटी सी गलतफहमी। मेडिकल की पढ़ाई का दबाव, घर से दूरी ये सब मिलकर जिंदगी को भारी बना देते हैं।
Nursing student Attempt पुलिस की इंसानियत बेटी, नीचे आ जाओ
गुलरिहा थाने की टीम असली नायक बनी। सादी वर्दी में सिपाहियों ने रेलिंग तक पहुंचकर उसे समझाया। “सब ठीक हो जाएगा।” घंटों की मेहनत, नरम शब्द, और धैर्य। आखिरकार, वह नीचे आई। थकी, रोती, लेकिन सुरक्षित। पुलिस ने नोट जब्त किया, परिवार को बुलाया। यह सिर्फ एक रेस्क्यू नहीं था यह एक जिंदगी को लौटाना था।
Nursing student Attempt छोटी सी बात, बड़ा संकट
छुट्टी न मिलना। इतनी सी बात। प्राचार्य डॉ. अल्का सक्सेना ने कहा, “सभी की छुट्टियां मंजूर थीं। अभिभावकों की सहमति का इंतजार था।” लेकिन छात्रा को लगा, उसके साथ नाइंसाफी हुई। शायद पुरानी शिकायत, शायद तनाव। मेडिकल छात्रों की जिंदगी आसान नहीं। सुबह से रात तक किताबें, प्रैक्टिकल, और अपेक्षाएं। एक स्टडी कहती है, 60% मेडिकल स्टूडेंट्स डिप्रेशन से जूझते हैं। क्या हम उनकी सुनते हैं।
Nursing student Attempt परिवार का आलिंगन घर लौट आ
मंगलवार को परिजन पहुंचे। मां ने बेटी को गले लगाया, आंसू नहीं रुके। “वह मजबूत है, बस थोड़ा टूट गई थी।” परिवार ने उसे घर ले जाने का फैसला किया। यह पल याद दिलाता है,प्यार और साथ कितनी ताकत देते हैं। लेकिन सवाल यह क्या हम बच्चों को पहले बता पाते हैं,कि वे कितने कीमती हैं,।
कॉलेज की जवाबदेही: सुधार का वक्त
Nursing student Attempt कॉलेज ने मेडिकल और साइकोलॉजिकल मदद दी। लेकिन सवाल बाकी हैं। अस्थायी हॉस्टल में सुरक्षा क्यों नहीं? काउंसलिंग सेंटर कितने प्रभावी? प्राचार्य ने वादा किया हम सुधार करेंगे।” उम्मीद है, यह वादा हकीकत बने।
Nursing student Attempt मानसिक स्वास्थ्य अनसुनी पुकार
यह घटना चेतावनी है। मेडिकल कॉलेजों में तनाव आम है। उत्तर प्रदेश में हर साल सैकड़ों छात्र सुसाइड की कोशिश करते हैं। समाधान काउंसलिंग, दोस्तों का साथ, और खुली बात। स्कूल-कॉलेजों को मेंटल हेल्थ को गंभीरता से लेना होगा। एक कॉल, एक बातचीत जिंदगी बचा सकती है।
Nursing student Attempt नई सुबह उम्मीद की किरण
छात्रा अब ठीक है। घर लौट रही है। लेकिन यह कहानी हमें जगाती है। छोटी बातों को अनदेखा न करें। सुनें, समझें, साथ दें। जिंदगी अनमोल है। आइए, हर टूटे दिल को जोड़ें।
Gorakhpur Daroga Dabanggai गोरखपुर में दारोगा की दबंगई: दुर्गा पंडाल तोड़ा, समिति अध्यक्ष को जड़ा थप्पड़
डिस्क्लेमर
यह आर्टिकल सार्वजनिक समाचारों पर आधारित है। नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें। मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए हेल्पलाइन 104 या 1858 पर