Prathmik Shikshak Sangh गोरखपुर में हज़ारों शिक्षकों का हुंकार: काला कानून वापस लो, नौकरी सुरक्षित करो
Prathmik Shikshak Sangh गोरखपुर में आज हजारों प्राथमिक शिक्षक प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। शिक्षकों ने मांग की कि 25-30 साल पहले नियुक्त शिक्षकों को TET परीक्षा से मुक्त किया जाए। चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी न हुईं तो दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल आंदोलन होगा।
गोरखपुर, 16 सितंबर।उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर आज गोरखपुर जिला मुख्यालय पर हज़ारों की संख्या में शिक्षक जमा होकर अपने भविष्य को सुरक्षित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए। यह विशाल प्रदर्शन प्रादेशिक अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा के निर्देश पर आयोजित किया गया था।
Prathmik Shikshak Sangh जिला अध्यक्ष राजेश धर दुबे, जिला मंत्री श्रीधर मिश्र और मांडलिक मंत्री ज्ञानेंद्र ओझा के नेतृत्व में शिक्षकों का काफिला बीएसए कार्यालय से निकलकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। वहां उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि मजिस्ट्रेट को सौंपा।
Prathmik Shikshak Sangh शिक्षकों की प्रमुख मांग
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ज्ञापन में यह मांग रखी गई कि RTE एक्ट (Right to Education Act) में TET (Teacher Eligibility Test) की योग्यता लागू होने से 25-30 वर्ष पहले नियुक्त हुए शिक्षकों को इस परीक्षा से मुक्त किया जाए।
शिक्षकों का कहना है कि जिस समय उनकी नियुक्ति हुई, उस समय की शैक्षिक योग्यता और चयन प्रक्रिया पूरी तरह वैध और शासनादेश के अनुसार थी। ऐसे में अब नई योग्यता थोपना न केवल अन्यायपूर्ण बल्कि असंवैधानिक भी है।
Prathmik Shikshak Sangh नारों से गूंजा गोरखपुर
दोपहर 2 बजे से ही बीएसए कार्यालय परिसर में शिक्षक जुटना शुरू हो गए थे।
विशेष बात यह रही कि इसमें महिला शिक्षकों की संख्या सर्वाधिक रही।
करीब 2:30 बजे जैसे ही जुलूस जिलाधिकारी कार्यालय की ओर बढ़ा, पूरा इलाका नारों से गूंज उठा।
नारे गूंजे –
“काला कानून वापस करो”
“शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित करो”
“शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करो”
हजारों की संख्या में पहुंचे शिक्षक एकजुटता और अनुशासन के साथ अपनी मांगों को बुलंद करते दिखे।
Prathmik Shikshak Sangh जिलाधिकारी का आश्वासन
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जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचने पर शिक्षकों ने जोरदार प्रदर्शन के बाद अपना ज्ञापन मजिस्ट्रेट को सौंपा।
मजिस्ट्रेट ने भरोसा दिलाया कि ज्ञापन को शीघ्र ही प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा और उनकी मांगों पर उचित विचार किया जाएगा।
Prathmik Shikshak Sangh नेताओं के तेवर और चेतावनी
अपने संबोधन में जिला अध्यक्ष राजेश धर दुबे ने कहा –
“जब शिक्षक नियुक्त हुए थे तब हमने शासन द्वारा निर्धारित योग्यता पूरी की थी। अब नई शर्तें थोपकर हमें अपमानित करना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि यह भविष्य को अंधकार में धकेलने जैसा है। शिक्षक इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
Prathmik Shikshak Sangh जिला मंत्री श्रीधर मिश्रा ने कहा
“मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को भरोसा दिलाया है,कि उनका भविष्य सुरक्षित किया जाएगा। अब भारत सरकार को भी पुरानी नियुक्तियों पर TET थोपने के आदेश वापस लेने होंगे, अन्यथा इसका असर पूरे प्रदेश में देखने को मिलेगा।”
मांडलिक मंत्री ज्ञानेंद्र ओझा ने चेतावनी देते हुए कहा –
“आज पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया है। यदि केंद्र सरकार ने हमारी आवाज़ को अनसुना किया तो हमें दिल्ली के रामलीला मैदान में ऐतिहासिक आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।”
Prathmik Shikshak Sangh क्यों भड़के शिक्षक?
2009 में लागू हुआ RTE एक्ट शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था। इसके तहत नियुक्ति प्रक्रिया में TET को अनिवार्य कर दिया गया।
लेकिन यह नियम उन शिक्षकों पर भी लागू किया गया जिनकी नियुक्ति 25-30 साल पहले ही हो चुकी थी।
यही वजह है, कि पुराने शिक्षक आज अपने भविष्य को असुरक्षित मान रहे हैं। उनका कहना है कि –
“यदि नियुक्ति के बाद बार-बार नई शर्तें लगाई जाएंगी तो यह नौकरी कब तक सुरक्षित रहेगी?”
“हमें पढ़ाने के अनुभव की बजाय एक नई परीक्षा में कसौटी पर क्यूं कसा जा रहा है?”
पुराने आंदोलनों की गूंज
यह पहली बार नहीं है, जब शिक्षक सड़कों पर उतरे हों।
2015 और 2018 में भी TET लागू करने के फैसले को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए थे।
कई बार शिक्षक लखनऊ और दिल्ली तक कूच कर चुके हैं।
लेकिन अब तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका।
आज के प्रदर्शन ने साफ कर दिया कि शिक्षकों का गुस्सा चरम पर है और यदि समाधान न हुआ तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।
Prathmik Shikshak Sangh शिक्षकों की भावनाएँ
प्रदर्शन में शामिल महिला शिक्षकों ने भी अपनी पीड़ा साझा की।
एक महिला शिक्षक ने कहा –
“हम 20 साल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। अब अचानक नई परीक्षा देने की बात करना हमारे अनुभव का अपमान है।”
वहीं एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा –
“हमारे बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं। यदि नौकरी पर संकट आया तो हमारे पूरे परिवार की ज़िंदगी प्रभावित होगी।”
भारी उपस्थिति और शक्ति प्रदर्शन
आज के इस कार्यक्रम में हज़ारों शिक्षक शामिल हुए।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरेंद्र राय, राजेश पांडे, सुधांशु मोहन सिंह, अनिल पांडेय, वीरेंद्र दुबे, अजय कुमार सिंह, डॉ. गोविंद राय, योगेश शुक्ला, अनिल चंद, अरविंद चंद, राजेश सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह, नरेंद्र सिंह, सुमंत सिंह, डॉ. सी.बी. तिवारी, कुलदीप सिंह, जयप्रकाश मद्धेशिया, शिवेंद्र प्रताप उपाध्याय, डॉ. आशुतोष मिश्रा, आनंद तिवारी, रितेश राय, महेश शुक्ला समेत सभी ब्लॉकों के अध्यक्ष, मंत्री और जिला पदाधिकारी मौजूद रहे।
महिला शिक्षकों में प्रीति पाल, कंचन लता पांडे, मंजूषा सिंह, सुषमा त्रिपाठी, लक्ष्मी प्रजापति ने भी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई।
आज गोरखपुर में जो दृश्य देखने को मिला, उसने साफ कर दिया कि शिक्षक अब किसी भी हाल में अपने भविष्य के साथ समझौता नहीं करेंगे।
ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री से गुहार लगाई गई है, कि पुराने शिक्षकों को TET से मुक्त किया जाए और उनकी नौकरी सुरक्षित की जाए।
अब सबकी नज़र केंद्र सरकार के रुख पर है। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह आंदोलन दिल्ली कूच का रूप ले सकता है।