Shikshamitra in Gorakhpur शिक्षामित्रों ने जताया आभार, एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह को सौंपा ज्ञापन
Shikshamitra in Gorakhpur गोरखपुर के शिक्षामित्रों ने एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह का सम्मान कर ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री की घोषणा पर आभार जताते हुए शिक्षामित्रों ने कैशलेस सुविधा, मानदेय वृद्धि और ट्रांसफर संबंधी शासनादेश जल्द जारी करने की मांग की।
Shikshamitra in Gorakhpur गोरखपुर जनपद के शिक्षामित्रों ने बुधवार को एकजुट होकर एमएलसी माननीय देवेंद्र प्रताप सिंह का सम्मान और आभार प्रकट किया। यह अवसर केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं था, बल्कि शिक्षामित्रों की वर्षों पुरानी पीड़ा और उम्मीदों का साझा मंच भी बना। इस दौरान शिक्षामित्रों ने अपनी समस्याओं से जुड़ा ज्ञापन सौंपते हुए उम्मीद जताई कि सरकार जल्द ही उनके हक में ठोस कदम उठाएगी।
Shikshamitra in Gorakhpur शिक्षामित्रों की पीड़ा और उम्मीदें
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शिक्षामित्र लंबे समय से मानदेय वृद्धि, कैशलेस सुविधा और ट्रांसफर जैसी बुनियादी मांगों को लेकर संघर्षरत हैं। इनकी आर्थिक स्थिति और पारिवारिक जिम्मेदारियां अक्सर बोझिल हो जाती हैं। ऐसे में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 सितंबर 2025, शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षामित्रों के लिए कैशलेस सुविधा और मानदेय वृद्धि की घोषणा की, तो यह उनके लिए किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं था।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष रामनगीना निषाद ने एमएलसी महोदय को संबोधित करते हुए कहा,
Shikshamitra in Gorakhpur”माननीय महोदय, आपने हर बार हमारी आवाज़ को शासन-प्रशासन तक पहुँचाया और हमारी पीड़ा को समझा। आपकी कोशिशों का ही परिणाम है,कि मुख्यमंत्री जी ने शिक्षामित्रों के लिए राहतकारी घोषणा की है। अब हमारी विनती है, कि इस घोषणा को जल्द से जल्द शासनादेश का रूप दिया जाए।”
Shikshamitra in Gorakhpur एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह का आश्वासन
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ज्ञापन प्राप्त करने के बाद माननीय एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने शिक्षामित्रों की भावनाओं को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उनकी मांगों को प्राथमिकता से उठाएंगे। उन्होंने शिक्षामित्रों से कहा,
“आप सभी लोग निश्चिंत रहें। मुख्यमंत्री जी शिक्षामित्रों की समस्याओं से भलीभांति अवगत हैं। कैशलेस सुविधा, मानदेय वृद्धि और ट्रांसफर से संबंधित शासनादेश बहुत जल्द जारी किया जाएगा।”
एमएलसी का यह आश्वासन सुनकर शिक्षामित्रों के चेहरे पर संतोष और उम्मीद की झलक साफ़ दिखाई दी।
Shikshamitra in Gorakhpur कार्यक्रम का संचालन और सहयोग
इस पूरे कार्यक्रम का संचालन अफजाल समानी, जिला उपाध्यक्ष, द्वारा किया गया।
संगठन के पूर्व जिलाध्यक्ष अजय सिंह ने भी इस मौके पर मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान हेतु ठोस कदम उठाने की अपील की।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शिक्षामित्र केवल अपनी सुविधाओं के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी लड़ाई लड़ रहे हैं। क्योंकि यदि शिक्षामित्र आर्थिक और सामाजिक रूप से सुरक्षित रहेंगे, तो वे बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पाएंगे।
Shikshamitra in Gorakhpur सम्मान और एकजुटता का संदेश
इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि जब भी शिक्षामित्रों के हित की बात आएगी, वे एक परिवार की तरह एकजुट होकर खड़े होंगे। जिलाध्यक्ष रामनगीना निषाद, पूर्व जिलाध्यक्ष अजय कुमार सिंह, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ब्लाक अध्यक्ष जंगल कौड़ियां अजय सिंह, संरक्षक दिलीप कुमार सिंह, ब्लॉक अध्यक्ष अशोक चंद्रा, प्रमोद शर्मा, रामनिवास निषाद, परीक्षित उपाध्याय, रविंद्र चौधरी (पिपरौली) समेत कई बड़े नाम इस मौके पर मौजूद रहे।
इसके अलावा, बेचन सिंह, संजय, शबाब आलम, राधेश्याम, गोपाल सिंह, संतोष कुमार, कृष्ण मुरारी सिंह, अजय कुमार सिंह, राकेश कुमार साहनी, संतोष कुमार सिंह, अजय शर्मा, लालधर निषाद, इंदल प्रजापति, राघवेंद्र पांडेय आदि दर्जनों शिक्षामित्र भी उपस्थित रहे और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
शिक्षक दिवस की घोषणा बनी उम्मीद की किरण
5 सितंबर को मुख्यमंत्री जी की घोषणा शिक्षामित्रों के जीवन में नई उम्मीद लेकर आई है। शिक्षामित्रों ने कहा कि यह कदम उनकी वर्षों की लड़ाई का पहला सकारात्मक परिणाम है। अब वे चाहते हैं,कि यह घोषणा केवल कागजों में न रह जाए, बल्कि हकीकत में बदलकर उनके जीवन में राहत लाए।
समाज और शिक्षा के बीच पुल हैं शिक्षामित्र
यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षामित्र समाज और शिक्षा के बीच पुल का काम करते हैं। गांव-गांव और कस्बों में वे बच्चों तक शिक्षा की रोशनी पहुँचाते हैं। उनकी सेवा और समर्पण के बिना प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था अधूरी है।
इसलिए उनकी समस्याओं का समाधान केवल उनका हक़ ही नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
भविष्य की राह और उम्मीद
इस सम्मान और ज्ञापन कार्यक्रम ने यह साफ़ कर दिया है कि शिक्षामित्र अब अपने हक के लिए और भी मज़बूती से आवाज़ उठाएंगे। एमएलसी का आश्वासन उन्हें ऊर्जा देता है, लेकिन असली जीत तब होगी जब शासनादेश जारी होगा और उनके जीवन में वास्तविक सुधार दिखेगा।
गोरखपुर के शिक्षामित्रों का यह कार्यक्रम केवल एक सम्मान समारोह नहीं था, बल्कि यह उनकी पीड़ा, संघर्ष और उम्मीदों की गूंज भी था। मुख्यमंत्री की घोषणा ने उनके जीवन में नई रोशनी जगाई है, और एमएलसी के आश्वासन ने इस उम्मीद को और मजबूत किया है। अब देखना यह है,कि शासनादेश कब तक जारी होता है, और शिक्षामित्रों की जिंदगी में वास्तविक सुधार कब आता है।
यह लेख उपलब्ध समाचारों और घटनाओं पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार और जानकारी संबंधित संघ और प्रतिभागियों के वक्तव्यों से ली गई है। लेखक या प्रकाशक इसकी पूर्ण सटीकता की गारंटी नहीं देते। पाठकों से निवेदन है, कि किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक स्रोतों से जानकारी अवश्य प्राप्त करें।