World Health Day विश्व स्वास्थ्य दिवस: पीएम मोदी ने गिनाईं सरकार की स्वास्थ्य प्राथमिकताएं, खरगे ने दवा-इलाज की महंगाई को बताया “भाजपाई गोली”
World Health Day विश्व स्वास्थ्य दिवस पर पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत और स्वास्थ्य ढांचे की उपलब्धियों पर जोर दिया, वहीं कांग्रेस नेता खरगे ने दवाओं की बढ़ती कीमतों को “भाजपाई गोली” बताया। world-health-day-pm-modi-health-priorities- जानें सरकार की नीतियां, विपक्षी आरोप, और स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत।
World Health Day pm-modi-health-priorities विश्व स्वास्थ्य दिवस: स्वास्थ्य प्राथमिकताएं और राजनीतिक बहस का दिन
7 अप्रैल, World Health Day विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर भारत में स्वास्थ्य नीतियों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की स्वास्थ्य योजनाओं की उपलब्धियों को साझा किया, जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने दवाओं और इलाज की बढ़ती लागत को “भाजपाई गोली” करार दिया। यह टकराव न सिर्फ राजनीतिक है, बल्कि आम जनता के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की सुलभता और गुणवत्ता का सवाल भी उठाता है।
pm modi पीएम मोदी का जोर: health-priorities “स्वास्थ्य प्राथमिकताएं” ही विकास की नींव
प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, “स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत की पहली शर्त है। हमने पिछले एक दशक में स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।” उन्होंने निम्नलिखित योजनाओं पर प्रकाश डाला:
- आयुष्मान भारत योजना: 50 करोड़ से अधिक गरीबों को मुफ्त इलाज का लाभ।
- प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र: 80% तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना।
- कोविड टीकाकरण अभियान: 220 करोड़ वैक्सीन डोज का रिकॉर्ड।
- ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचा: 1.5 लाख से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स का निर्माण।
मोदी ने दावा किया कि इन प्रयासों से मातृ-शिशु मृत्यु दर में 30% की गिरावट और टीबी के मामलों में 15% कमी आई है।
“भाजपाई गोली” का आरोप: खरगे ने उठाए सवाल
- दवाओं की कीमतें: पिछले 5 साल में एंटीबायोटिक्स और कैंसर दवाओं के दाम 50% बढ़े।
- निजी अस्पतालों का शुल्क: हार्ट सर्जरी की लागत 2014 के मुकाबले 3 गुना हुई।
- हेल्थ इंश्योरेंस: प्रीमियम में 20% सालाना वृद्धि।
आंकड़ों की कहानी: क्या कहते हैं सरकार और ग्राउंड रियलिटी?
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों और स्वतंत्र एजेंसियों के सर्वे में बड़ा अंतर दिखाई देता है:
मुद्दा | सरकारी दावा | ग्राउंड रिपोर्ट |
---|---|---|
आयुष्मान भारत का लाभ | 23 लाख लाभार्थी | केवल 40% ग्रामीणों तक पहुंच |
दवाओं की कीमतें | 80% सस्ती दवाएं | 60% दवाएं अभी भी महंगी |
स्वास्थ्य बजट | 2023 में 86,000 करोड़ | जीडीपी का केवल 1.2% |
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी योजनाएं दिखावटी हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों और अस्पतालों की कमी बनी हुई है।
स्वास्थ्य प्राथमिकताएं बनाम भाजपाई गोली: जनता किसके साथ?
आम नागरिकों से बातचीत में पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में आयुष्मान भारत और जन औषधि केंद्रों से राहत मिली है, लेकिन ग्रामीण भारत अभी भी चुनौतियों से जूझ रहा है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की रहने वाली मीना देवी कहती हैं, “सरकारी अस्पताल में दवाएं नहीं मिलतीं। निजी क्लिनिक में फीस इतनी है कि महीने की कमाई एक दिन में खत्म हो जाती है।”
वहीं, दिल्ली के झुग्गी इलाके में रहने वाले रमेश कुमार ने आयुष्मान कार्ड की मदद से हार्ट सर्जरी कराई, लेकिन उनका कहना है, “दवाइयां महंगी हैं। इलाज के बाद का खर्च उठाना मुश्किल हो जाता है।”
विशेषज्ञों की राय: क्या है समाधान?
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ डॉ. अरुण गुप्ता कहते हैं, “सरकार को निजी क्षेत्र पर नियंत्रण करना होगा। दवाओं की कीमतों पर कैप लगाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट को जीडीपी के 3% तक बढ़ाने की जरूरत है।” उनके अनुसार, राज्यों को भी स्वास्थ्य ढांचे में निवेश बढ़ाना चाहिए।
दूसरी ओर, नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने कहा, “हम डिजिटल हेल्थ मिशन और टेलीमेडिसिन को बढ़ावा दे रहे हैं। ग्रामीणों तक विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है।”
स्वास्थ्य प्राथमिकताएं पूरी करने का रास्ता: 5 जरूरी कदम
दवाओं पर जीएसटी घटाएं: एसेंशियल ड्रग्स को टैक्स-फ्री करना।
निजी अस्पतालों का शुल्क नियंत्रण: मेडिकल चार्जेज पर सरकारी गाइडलाइन्स।
ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती: डॉक्टरों और नर्सों की कमी दूर करना।
हेल्थ इंश्योरेंस का विस्तार: सभी वर्गों के लिए किफायती पॉलिसी।
जन जागरूकता अभियान: योजनाओं की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाना।
स्वास्थ्य प्राथमिकताएं या भाजपाई गोली—किसकी जीत?
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर सरकार और विपक्ष के बयानों ने स्वास्थ्य के मुद्दे को राजनीतिक मैदान में बदल दिया है। जहां केंद्र स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के तहत अपनी उपलब्धियां गिना रही है, वहीं महंगाई की भाजपाई गोली का सवाल बना हुआ है। आम जनता की नजर में, स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती और सुलभ हों, यही सबसे बड़ी जरूरत है। अगर सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट होकर काम करें, तो भारत वैश्विक स्वास्थ्य मॉडल बन सकता है।
(FAQ)
Q1: आयुष्मान भारत योजना का लाभ कैसे उठाएं?
A: आधार कार्ड और जन धन खाते से लिंक करके नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर में आवेदन करें।
Q2: दवाओं की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?
A: कच्चे माल की महंगाई, जीएसटी दरें, और निजी कंपनियों का मुनाफाखोरी।
Q3: स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की मांग क्यों?
A: WHO के मुताबिक, स्वास्थ्य पर जीडीपी का कम से कम 5% खर्च होना चाहिए, जबकि भारत में यह 1.2% है।