Humayun Kabir Alliance, ओवैसी के साथ गठबंधन की तैयारी, बंगाल चुनाव नई राजनीतिक जंग

Written by: akhtar husain

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Humayun Kabir Alliance: बाबरी जैसी मस्जिद शिलान्यास के बाद हुमायूं कबीर का बड़ा धमाका, ओवैसी संग मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी

Humayun Kabir Alliance, बाबरी जैसी मस्जिद शिलान्यास के बाद बंगाल में नई राजनीतिक जंग, ओवैसी की AIMIM के साथ गठबंधन पर चर्चा, बेलडांगा में बढ़ी हलचल

शिलान्यास के बाद बढ़ती भीड़, राजनीतिक बयान और बंगाल में बदलता समीकरण इन सबके बीच Humayun Kabir Alliance आज देशभर की सुर्खियों में है। बाबरी जैसी मस्जिद के शिलान्यास के कुछ ही घंटे बाद TMC से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने अचानक ऐसा बयान दिया जिसने पूरे राज्य की राजनीति में तूफान ला दिया। उन्होंने साफ कहा कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ उनकी सीधी बातचीत चल रही है, और जल्द ही Humayun Kabir Alliance को औपचारिक रूप दिया जा सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब बेलडांगा में मस्जिद निर्माण स्थल पर लोग ईंट, दान और सहयोग लेकर बड़ी संख्या में पहुँचने लगे हैं।

Humayun Kabir Alliance, ओवैसी के साथ
Humayun Kabir Alliance, ओवैसी के साथ

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है,कि यदि Humayun Kabir Alliance सच में मैदान में उतरता है, तो TMC और BJP दोनों को नए मोर्चे का सामना करना पड़ सकता है। बंगाल में अल्पसंख्यक वोटों का प्रभाव निर्णायक माना जाता है, और विशेषज्ञ मानते हैं, कि यह गठबंधन कई सीटों पर राजनीतिक समीकरण को पूरी तरह बदल सकता है। कबीर पहले भी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ और सामाजिक कामों के कारण चर्चा में रहे हैं, ऐसे में उनका ओवैसी के साथ आना AIMIM के लिए भी गेम चेंजर साबित हो सकता है।

AIMIM की रणनीति हमेशा स्थानीय मुद्दों पर आधारित होती है, और अब अगर इसे कबीर की स्थानीय लोकप्रियता का साथ मिलता है, तो Humayun Kabir Alliance बंगाल की राजनीति में तीसरे विकल्प के रूप में उभर सकता है। ओवैसी के राजनीतिक अंदाज़ और कबीर की क्षेत्रीय पकड़ दोनों मिलकर TMC के पारंपरिक वोट बैंक को चुनौती दे सकते हैं।
बेलडांगा में बाबरी जैसी मस्जिद निर्माण को लेकर लोगों की भावनाएँ भी उभरकर सामने आईं। शिलान्यास के तुरंत बाद लोगों का दान और ईंट लेकर पहुंचना साफ बताता है, कि यह मुद्दा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक तौर पर भी बड़ा महत्व रखता है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जनता की इस सक्रियता से Humayun Kabir Alliance को अप्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा मिल रही है, क्योंकि जनभावनाओं से जुड़ाव किसी भी गठबंधन को मजबूत आधार देता है।

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ये भी माना जा रहा है, कि इस गठबंधन का ऐलान आने वाले महीनों में होने वाले स्थानीय दौरे, जनसभाओं और बंगाल के चुनावी माहौल को सीधा प्रभावित करेगा। राजनीतिक पंडितों का कहना है, कि Humayun Kabir Alliance यदि AIMIM के साथ मिलकर चुनाव लड़ता है, तो विपक्षी दलों के लिए यह एक नई चुनौती होगी। साथ ही, कई क्षेत्रों में यह गठबंधन उन वोटरों को आकर्षित कर सकता है,जो लंबे समय से स्थानीय नेतृत्व की कमी महसूस कर रहे थे।

शिलान्यास के बाद दिए गए कबीर के बयान ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर भी Humayun Kabir Alliance शब्द तेजी से ट्रेंड कर रहा है। लोग इसे ‘‘नए दौर की राजनीति’’ कह रहे हैं, जहाँ नेता बड़े दलों से अलग होकर अपने स्वतंत्र प्रभाव और स्थानीय जुड़ाव को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि AIMIM और कबीर के बीच बातचीत किस दिशा में आगे बढ़ती है,और Humayun Kabir Alliance कब आधिकारिक रूप लेता है। लेकिन इतना स्पष्ट है, कि यह गठबंधन अगर बनता है, तो बंगाल की राजनीति में काफी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ओवैसी कबीर का साथ भाजपा और TMC दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करेगा।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल उपलब्ध जानकारी, मीडिया रिपोर्टों और राजनीतिक विश्लेषण पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति, दल या संगठन के समर्थन या विरोध को बढ़ावा देना नहीं है। पाठक जानकारी को समाचार परिप्रेक्ष्य में देखें।

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akhtar husain

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