Lucknow Fish Release Tragedy मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय निषाद, Principal Secretary व विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में गोमती नदी में हजारों मछलियाँ मर गईं। जानिए क्या हुई चूक और कैसे हुआ पर्यावरण को नुकसान।
मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद के कार्यक्रम में बड़ी Fish Release Tragedy गोमती किनारे मौत का मंजर
कभी कभी सरकारी चमक दमक के बीच सच्चाई दब जाती है। लखनऊ की गोमती नदी किनारे उसी दर्दनाक अध्याय को देखा गया, जहाँ UP के मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय निषाद के कार्यक्रम में हजारों मछलियाँ जान गंवा बैठीं। यह कार्यक्रम मछली संरक्षण की पहल जैसा दिखाया गया, लेकिन असल में यह एक बड़ी Fish Release Tragedy साबित हुआ। मंत्री के साथ मौके पर विभाग के Principal Secretary, संयुक्त निदेशक, जिला मत्स्य अधिकारी और कई कर्मचारी मौजूद थे।
लेकिन इतनी बड़ी टीम के बीच भी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया और अंत में नदी में मौत की चुप्पी फैल गई।
भव्य तैयारी पर लापरवाही भारी कैसे मंत्री के फोटोशूट ने जन्म दी Fish Release Tragedy
गोमती नदी के तट पर कार्यक्रम के लिए भारी तैयारी की गई।
नदी किनारे फूलों और गुब्बारों से सजावट मंत्री और अधिकारियों के लिए विशेष नाव दर्जनों सफेद पॉलीथीन बैगों में भरी मछलियाँ कैमरों की लंबी लाइन यह सब कार्यक्रम को शानदार दिखाने के लिए तैयार था।
मंत्री डॉ. संजय निषाद के आते ही कैमरे चलने लगे। उन्होंने Principal Secretary और अन्य अधिकारियों के साथ नाव पर बैठकर मछलियाँ नदी में छोड़नी शुरू कीं।
Click-click-click, हर एंगल से फोटो ली गई।
लेकिन इसी भव्यता के पीछे छिपी थी वही अनदेखी जिसने पूरे आयोजन को Fish Release Tragedy का रूप दे दिया।
बैग कई घंटों से खुले आसमान के नीचे पड़े थे, तापमान बढ़ चुका था, ऑक्सीजन स्तर घट चुका था और मछलियाँ पहले ही आधी मर चुकी थीं। फिर अचानक ठंडे पानी में छोड़े जाने से हजारों मछलियाँ Shock में आ गईं और कुछ ही मिनटों में मर गईं।

अधिकारी मौजूद फिर भी नहीं दिखी संवेदनशीलता कैसे बढ़ती गई Fish Release Tragedy
कार्यक्रम में मौजूद थे: Principal Secretary, मत्स्य विभाग संयुक्त निदेशक (Fisheries) जिला मत्स्य अधिकारी विभागीय टीम और फोटोग्राफी स्टाफ इन सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि बैगों को धूप में न रखा जाए मछलियों को Oxygenated tanks में रखा जाए बैग को नदी में तैराकर तापमान संतुलित किया जाए अचानक पानी बदलने से होने वाले Shock से मछलियाँ बच सकें लेकिन इनमें से कोई भी कदम नहीं उठाया गया।
और जैसे ही फोटोशूट समाप्त हुआ… कार्यक्रम एक भयानक Fish Release Tragedy बनकर सामने आया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई मछलियाँ बैग खोलने से पहले ही दम तोड़ चुकी थीं।
कार्यक्रम खत्म और गोमती नदी में तैरती लाशे Fish Release Tragedy का सबसे दर्दनाक पहलू
कार्यक्रम के खत्म होते ही मंत्री और अधिकारी अपने वाहनों में बैठकर रवाना हो गए। गुब्बारे हटाए गए पोस्टर उतार लिए गए… मीडिया लौट गई। लेकिन कुछ ही देर बाद गोमती नदी की सतह पर हजारों मृत मछलियाँ तैरते हुए दिखाई दीं। लोगों के लिए यह दृश्य किसी Shock से कम नहीं था। विशेषज्ञों के अनुसार यह Fish Release Tragedy इसलिए हुई बैग धूप में लंबे समय तक पड़े रहे पानी और ऑक्सीजन की कमी अचानक तापमान परिवर्तन अत्यधिक भीड़ और शोर असुरक्षित हैंडलिंग यह सब मिलकर एक “संरक्षण कार्यक्रम” को एक जानलेवा हादसे में बदल देने के लिए काफी था।
पहले से बीमार गोमती नदी पर और बोझ क्यों खतरनाक है यह Fish Release Tragedy
गोमती नदी पहले से ही प्रदूषण सीवेज डिस्चार्ज प्लास्टिक कचरे
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रासायनिक अवशेष से परेशान है। अब इस Fish Release Tragedy ने खतरा और बढ़ा दिया है। हजारों मृत मछलियाँ नदी में अमोनिया और टॉक्सिन बढ़ाएंगी। इससे पानी का Dissolved Oxygen घटेगा बदबू बढ़ेगी बाकी जलीय जीव खतरे में आ जाएंगे नदी की सेहत और बिगड़ जाएगी
इस हादसे ने साफ कर दिया है, कि केवल फोटोशूट से “नदी संरक्षण” नहीं होता।
यह Fish Release Tragedy हमें क्या सिखाती है कौन लेगा जिम्मेदारी
अब सबसे बड़ा सवाल क्या सिर्फ कैमरे की चमक के लिए हजारों मछलियों की जान चली गई? विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी Fish Release Program में यह नियम कठोरता से लागू होने चाहिए मछलियों को Oxygenated Tank में रखना धूप से दूर रखना तापमान संतुलन (Acclimatization)
वैज्ञानिक पद्धति से रिलीज प्रशिक्षित विशेषज्ञों की मौजूदगी भीड़ और मीडिया से दूरी अगर इनका पालन किया जाता, तो यह Fish Release Tragedy आसानी से टल सकती थी।
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध तथ्यों और प्रत्यक्ष घटनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, विभाग या संस्था की छवि खराब करना नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता, जिम्मेदारी और सुधार की आवश्यकता को सामने लाना है।
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