Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes: जर्जर भवन, तिरपाल के नीचे पढ़ाई – सरकार के दावों की पोल खोलती हकीकत
Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classesलखनऊ का महीपतामऊ प्राथमिक विद्यालय आज सरकारी उदासीनता का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes में मासूम बच्चे पिछले कई सालों से तिरपाल के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
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Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes इस स्कूल की इमारत एक दशक से जर्जर है। ऊपर से हाईटेंशन लाइन का तार गुजरती है, जिससे हर समय जान का खतरा बना रहता है। बरसात में तिरपाल टपकता है, गर्मियों में बच्चे पसीने से तरबतर हो जाते हैं,। लेकिन शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की नजरें मानो बंद हैं।
Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes शिकायतों पत्र का ढेर, मगर जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी
गांव के लोग बताते हैं कि उन्होंने जिला प्रशासन, बेसिक शिक्षा अधिकारी और यहां तक कि नेताओं तक से गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला – “जल्द कार्रवाई होगी।”
एक बुजुर्ग किसान तंज कसते हैं – “सरकार स्मार्ट क्लास, डिजिटल इंडिया की बातें करती है, लेकिन हमारे बच्चे तिरपाल के नीचे बैठकर अपना भविष्य दांव पर लगा रहे हैं।”
बच्चों और अभिभावकों की पीड़ा
राधा (कक्षा-3) की मां कहती हैं – “मेरी बेटी रोज पूछती है, मम्मी हमारा स्कूल क्यों नहीं बन रहा? हमें शर्म आती है कि हम जवाब नहीं दे पाते।”
रवि (कक्षा-5) बताता है – “बारिश में तिरपाल टपकता है, हम गीली जमीन पर बैठते हैं। कभी-कभी पढ़ाई से ज्यादा डर लगता है।”
हाईटेंशन लाइन तार – बच्चों के सिर पर मौत का साया
बरसात और आंधी के मौसम में खंभों से चिंगारियां निकलती हैं। गांव वालों का कहना है – “अगर कोई हादसा हुआ तो जिम्मेदार अफसर सिर्फ बयान देंगे, लेकिन किसी की जवाबदेही तय नहीं होगी।”
सरकार के किये हुऐ वादे बनाम हकीकत
प्रधानमंत्री आवास योजना, डिजिटल क्लासरूम और सर्व शिक्षा अभियान के दावों के बीच Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes बताती है कि विकास की चमकती तस्वीरें बस फाइलों तक सीमित हैं।
स्थानीय लोग सवाल पूछते हैं – “क्या यही है सरकार का ‘शिक्षा का अधिकार’? क्या बच्चों का भविष्य सिर्फ चुनावी भाषणों का हिस्सा रह गया है?”
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Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes क्या होना चाहिए तात्कालिक कदम?
1️⃣ सरकार के लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं यदि हो सके तो इस विद्यालय के लिए तत्काल प्रभाव से फंड देकर इसका बेहतर निर्माण करें
2️⃣ हाईटेंशन लाइन को हटाकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
3️⃣ जवाबदेही तय हो – लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई हो।
4️⃣ अस्थायी प्रीफैब क्लासरूम तैयार किए जाएं, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।
उम्मीद की किरण: बच्चे अब भी पढ़ाई के लिए स्कूल आ रहे हैं, कुछ सामाजिक संस्थाएं मदद के लिए आगे बढ़ रही हैं।
कटु सच्चाई: प्रशासन चुप है, सरकार के दावे खोखले हैं और नेता चुनाव बाद इस मुद्दे से मुंह मोड़ चुके हैं।
बच्चों के सपनों से खेलती लापरवाह व्यवस्था
Lucknow Mhipatamau Primary School Tarpaulin Classes महीपतामऊ का यह स्कूल बताता है कि विकास के दावों और जमीनी सच्चाई में कितना फर्क है। सरकार और उसके तंत्र के लिए यह शर्म की बात होनी चाहिए कि बच्चे तिरपाल के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
अगर प्रशासन और नेताओं की प्राथमिकता वास्तव में शिक्षा है, तो यह मामला तुरंत हल होना चाहिए – वरना “सबका साथ, सबका विकास” सिर्फ एक नारा बनकर रह जाएगा बिल्कुल सही बात है।
हम बात करते हैं सबके साथ और सबके विकास लेकिन जो बच्चे भारत के भविष्य भारत का आने वाले कल है। हम उनकी ही शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में लापरवाही करें रहे हैं । मजबूरन वह बच्चे तिपाल के नीचे शिक्षा ले रहे हैं जो सरकार और क्षेत्र के नेता और अधिकारियों के लिए शर्म की बात है।
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