Gorakhpur University Bribery Case गोरखपुर विश्वविद्यालय में बड़ा खुलासा: 50 हजार की रिश्वत लेते प्रधान सहायक रंगे हाथ गिरफ्तार
Gorakhpur University Bribery Case गोरखपुर विश्वविद्यालय में बड़ा खुलासा, संबद्धता विभाग के प्रधान सहायक को 50 हजार की रिश्वत लेते एंटी करप्शन टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया। पूरा मामला, नाम, कार्रवाई और प्रशासन की प्रतिक्रिया यहां पढ़ें।
Gorakhpur University Bribery Case गोरखपुर। शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले विश्वविद्यालयों में जब भ्रष्टाचार की पोल खुलती है, तो यह सिर्फ एक खबर नहीं रह जाती, बल्कि समाज और छात्रों के लिए गहरा झटका बन जाती है। ऐसा ही मामला गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) में सामने आया, जहां संबद्धता विभाग के प्रधान सहायक को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।
पूरा मामला: कब और कैसे हुआ रिश्वतखोरी का खेल
तमकुहीराज (कुशीनगर) के भरपटिया गांव निवासी संदीप कुशवाहा ने शिकायत की थी कि विश्वविद्यालय के संबद्धता विभाग में कार्यरत प्रधान सहायक और कार्यालय अधीक्षक डॉ. बृजनाथ सिंह उर्फ बी. एन. सिंह, उनसे कॉलेज की मान्यता और सह-आचार्य की नियुक्ति अनुमोदन कराने के नाम पर रिश्वत मांग रहे थे।
शिकायत के बाद एंटी करप्शन टीम ने प्लान बनाया। तयशुदा दिन यानी गुरुवार को जैसे ही बी. एन. सिंह ने 50 हजार रुपये रिश्वत के तौर पर स्वीकार किए, उसी वक्त उन्हें रंगे हाथ दबोच लिया गया।
Gorakhpur University Bribery Case गिरफ्तार अधिकारी और शिकायतकर्ता
गिरफ्तार अधिकारी: डॉ. बृजनाथ सिंह (बी. एन. सिंह), प्रधान सहायक एवं कार्यालय अधीक्षक, संबद्धता विभाग, डीडीयू
शिकायतकर्ता: संदीप कुशवाहा, निवासी भरपटिया गांव, तमकुहीराज, कुशीनगर
Gorakhpur University Bribery Case कार्रवाई और एफआईआर
गिरफ्तारी के बाद आरोपी बी. एन. सिंह को कैंट थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस और एंटी करप्शन टीम की संयुक्त कार्रवाई ने विश्वविद्यालय परिसर और शहर में खलबली मचा दी।
प्रशासन की भूमिका और अधिकारियों की मौजूदगी
Gorakhpur University Bribery Case इस कार्रवाई में एंटी करप्शन टीम के अधिकारी और कैंट थाना पुलिस मौजूद रहे। गिरफ्तारी के दौरान पूरी प्रक्रिया को कानूनन तरीके से पूरा किया गया।
गोरखपुर के एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपी को रंगे हाथ पकड़ा गया है,और उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
Gorakhpur University Bribery Case विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने संबद्धता विभाग की सभी फाइलों और प्रक्रियाओं की विशेष जांच कराने के आदेश दिए हैं।
साथ ही यह भी संकेत दिए कि संबद्धता विभाग में वर्षों से जमे लिपिक और कर्मचारियों की तैनाती की समीक्षा की जाएगी और जल्द ही बड़े पैमाने पर बदलाव किए जाएंगे।
Gorakhpur University Bribery Case क्यों बढ़ती हैं ऐसी घटनाएँ
1. संबद्धता की फाइलों में देरी – कॉलेजों की मान्यता और नियुक्तियों की फाइलें लंबे समय तक पेंडिंग रहती हैं।
2. कर्मचारियों की लंबे समय से तैनाती – नियमों के बावजूद वर्षों से एक ही जगह जमे कर्मचारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
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3. पारदर्शिता की कमी – प्रक्रियाएं धीमी और जटिल होने के कारण कॉलेज संचालकों को मजबूरी में रिश्वत का सहारा लेना पड़ता है।
असर: छात्रों और कॉलेजों पर गहरा प्रभाव
कॉलेजों की मान्यता और नियुक्ति में देरी से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
कॉलेज प्रबंधन पर अनावश्यक दबाव बढ़ता है,और उनका भरोसा सिस्टम से उठता है।
विश्वविद्यालय की साख को नुकसान पहुँचता है, जिससे गोरखपुर की शैक्षिक छवि धूमिल होती है।
Gorakhpur University Bribery Case छात्रों और समाज की उम्मीद
गोरखपुर और आसपास के जिलों के हजारों छात्रों की शिक्षा का भविष्य इसी विश्वविद्यालय से जुड़ा है। ऐसे में यह मामला केवल एक घूसखोरी का नहीं, बल्कि पूरे शैक्षणिक सिस्टम पर सवाल खड़े करता है। छात्रों और अभिभावकों को उम्मीद है, कि यह कार्रवाई सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे नेटवर्क पर कठोर कदम उठाए जाएं।
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गोरखपुर विश्वविद्यालय में सामने आया यह मामला साफ संदेश देता है,कि भ्रष्टाचार शिक्षा जैसी पवित्र जगह को भी नहीं छोड़ता। लेकिन यह भी सच है कि ईमानदार आवाज़ और शिकायत दर्ज करने वाले लोग ही बदलाव की शुरुआत करते हैं। संदीप कुशवाहा जैसे लोगों की हिम्मत और पुलिस-एंटी करप्शन टीम की तत्परता ने यह साबित किया है,कि भ्रष्टाचार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बचना मुश्किल है।
यह लेख उपलब्ध तथ्यों और आधिकारिक बयानों पर आधारित है। इसमें शामिल नाम और घटनाएँ उसी आधार पर प्रस्तुत किए गए हैं। अदालत में आरोप सिद्ध होना बाकी है, और अंतिम निर्णय न्यायालय की प्रक्रिया से ही होगा। इस लेख का उद्देश्य केवल जनता को सूचित करना और भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाना है।
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