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Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital डॉक्टर ने कहा  तुम मुस्लिम हो, ऑपरेशन नहीं करेंगे  इंसानियत को शर्मसार करती घटना

Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital डॉक्टर ने कहा  तुम मुस्लिम हो, ऑपरेशन नहीं करेंगे  इंसानियत को शर्मसार करती घटना

Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital जौनपुर में डॉक्टर द्वारा मुस्लिम महिला का इलाज धर्म के आधार पर ठुकराने का मामला, इंसानियत और संविधान पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

समाज की सबसे बड़ी ताक़त होती है, इंसानियत। जब किसी माँ की कोख में दर्द होता है, तो पूरा परिवार दुआ करता है,कि माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें। अस्पताल और डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है, क्योंकि वहीं जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर इंसान को जीने की उम्मीद देते हैं। लेकिन जब वही डॉक्टर धर्म देखकर इलाज से इनकार कर दे, तो सोचिए समाज कहाँ जा रहा है?

Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले से आई यह खबर इंसानियत को झकझोर कर रख देती है। यहाँ शमा परवीन नाम की एक गर्भवती महिला को रातभर दर्द से तड़पते हुए सिर्फ़ इसलिए इलाज से वंचित रखा गया, क्योंकि वह “मुस्लिम” थी।

  Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospit घटना का पूरा विवरण

जौनपुर के चंदवक थाना क्षेत्र की रहने वाली शमा परवीन को मंगलवार शाम अचानक प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने तुरंत उन्हें ज़िला महिला अस्पताल पहुँचाया, जहाँ उन्हें भर्ती कर लिया गया।

  Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital परिजनों का आरोप है,कि घंटों तक वह बिस्तर पर तड़पती रहीं, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद महिला डॉक्टर न तो समय पर आईं और न ही उन्होंने इंसानियत दिखाई। बाद में जब डॉक्टर पहुँचीं, तो उनका कथित बयान और भी चौंकाने वाला था।

“तुम मुस्लिम हो, हम ऑपरेशन नहीं करेंगे।”

सोचिए, यह शब्द एक डॉक्टर के होंठों से निकले, जिनके ऊपर हर ज़िंदगी को बचाने की ज़िम्मेदारी है।

Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital डॉक्टर या इंसानियत का हत्यारा

Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital डॉक्टर ने कहा  तुम मुस्लिम हो, ऑपरेशन नहीं करेंगे  इंसानियत को शर्मसार करती घटना

डॉक्टर का काम है, इलाज करना  चाहे वह मरीज हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो या किसी भी जाति धर्म से जुड़ा हो। डॉक्टर बनने की पहली शपथ ही यही है,कि हर जीवन की रक्षा करनी है। लेकिन जब डॉक्टर ही धर्म देखकर भेदभाव करने लगे, तो यह सिर्फ़ संविधान के साथ गद्दारी नहीं बल्कि इंसानियत की हत्या है।

भारत का संविधान हर नागरिक को बराबरी का हक़ देता है। चाहे वह धर्म, जाति, लिंग या क्षेत्र कोई भी क्यों न हो। डॉक्टर का ऐसा व्यवहार न सिर्फ़ संविधान के खिलाफ़ है, बल्कि यह क़ानून के दायरे में भी अपराध है।

  Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital समाज में नफ़रत की जड़ें

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आज हम एक ऐसे दौर में पहुँच चुके हैं जहाँ नफ़रत की राजनीति इंसान के दिल और दिमाग़ को ज़हर से भर रही है। यह घटना इसका जीता-जागता सबूत है। डॉक्टर जैसे शिक्षित वर्ग में भी जब धर्म देखकर नफ़रत पैदा हो जाती है, तो आम इंसान से क्या उम्मीद की जा सकती है?

यह नफ़रत केवल एक परिवार या एक धर्म के खिलाफ़ नहीं है। असल में यह पूरे समाज की नींव को खोखला कर रही है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल यह नफ़रत किसी और धर्म, किसी और जाति, किसी और परिवार को निगल जाएगी।

डॉक्टर की भूमिका  भगवान से भी बढ़कर

Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital भारत में कहा जाता है, “डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं।” क्योंकि जब जिंदगी और मौत के बीच कोई रास्ता नहीं दिखता, तब डॉक्टर ही इंसान को जीवन की राह दिखाते हैं।

लेकिन जब वही डॉक्टर धर्म देखकर अपना फर्ज़ भूल जाए, तो यह सोचने वाली बात है,कि हमने इंसानियत को कहाँ खो दिया?

  Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital संविधान और कानून क्या कहते हैं,

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 21 तक हर नागरिक को बराबरी का अधिकार दिया गया है।

अनुच्छेद 14  सबको बराबरी का हक़ है।

अनुच्छेद 15  किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

अनुच्छेद 21 हर इंसान को जीवन जीने और सुरक्षा का अधिकार है।

स्पष्ट है कि किसी भी डॉक्टर द्वारा धर्म देखकर इलाज से मना करना संविधान के खिलाफ़ है,और यह क़ानूनन अपराध है।

हमें क्या करना चाहिए

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1. कानूनी कार्यवाही  ऐसे मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

2. सामाजिक जागरूकता  समाज को समझना होगा कि नफ़रत फैलाने वाले लोग हमारे बीच की इंसानियत खत्म कर रहे हैं।

3. डॉक्टरों की जवाबदेही  मेडिकल संस्थानों को सुनिश्चित करना चाहिए कि हर डॉक्टर अपनी शपथ का पालन करे।

4. एकता का संदेश  हिंदू-मुस्लिम सिख-ईसाई सभी को मिलकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ़ आवाज उठानी होगी।

  Muslim woman denied treatment in Jaunpur hospital नफ़रत से ऊपर उठकर इंसानियत ज़रूरी

अगर किसी महिला को सिर्फ़ उसके धर्म की वजह से इलाज न मिले और वह दर्द से तड़पती रहे, तो यह केवल उसकी तकलीफ़ नहीं, बल्कि पूरे समाज का दर्द है। हमें याद रखना होगा कि धर्म इंसान को जोड़ने के लिए है, तोड़ने के लिए नहीं।

आज ज़रूरत है,कि हम ऐसी सोच रखने वाले लोगों को कानून के दायरे में रहकर सबक सिखाएँ और यह साबित करें कि भारत की असली पहचान “गंगा-जमुनी तहज़ीब” और भाईचारा है।

जौनपुर की यह घटना सिर्फ़ एक परिवार का दर्द नहीं है, बल्कि यह उस नफ़रत का परिणाम है,जो समाज में फैलाई जा रही है। डॉक्टर जैसे पवित्र पेशे में अगर भेदभाव घर कर गया है, तो हमें चेत जाना चाहिए।

समाज को यह तय करना होगा कि हम इंसानियत के रास्ते पर चलेंगे या नफ़रत की आग में जलकर खुद को और अपने बच्चों के भविष्य को बर्बाद करेंगे।

 डिस्क्लेमर

यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स और परिजनों के आरोपों पर आधारित है। घटनाक्रम की अंतिम पुष्टि प्रशासनिक जाँच के बाद ही स्पष्ट होगी। हमारा उद्देश्य केवल समाज को जागरूक करना और इंसानियत तथा संविधान की महत्ता को सामने रखना है।

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