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Owaisi on CJI Gavai attack अगर नाम असद होता, राकेश किशोर नहीं ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला, CJI गवई पर हमले से सियासत में भूचाल

Owaisi on CJI Gavai attack अगर नाम असद होता, राकेश किशोर नहीं ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला, CJI गवई पर हमले से सियासत में भूचाल

Owaisi on CJI Gavai attack असदुद्दीन ओवैसी ने CJI बी.आर. गवई पर हमले के आरोपी राकेश किशोर को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा  बोले, “अगर नाम असद होता, तो गोली चला देते!”

देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के भीतर हुआ हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक गूंज है, जो अब सियासी गलियारों में ज़ोरों से सुनाई दे रही है।

Owaisi on CJI Gavai attack मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर हुए इस हमले के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर ऐसा हमला बोला है,कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक हलचल मच गई है।

ओवैसी ने कहा 

 “अगर हमलावर का नाम राकेश किशोर नहीं बल्कि असद होता, तो क्या तब भी सरकार इतनी चुप रहती?”

Owaisi on CJI Gavai attack अगर नाम असद होता, राकेश किशोर नहीं ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला, CJI गवई पर हमले से सियासत में भूचाल
सोर्स बाय गूगल इमेज

 CJI गवई पर हमला: सुप्रीम कोर्ट परिसर में मचा हड़कंप, वकील ने लगाए नारे

दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को वकील राकेश किशोर ने अचानक मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर हमला करने की कोशिश की।

किशोर नारे लगा रहा था।

 “सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”

पुलिस ने तुरंत उसे पकड़ लिया, लेकिन तब तक उसके शब्द और व्यवहार ने कोर्ट की गरिमा पर गहरी चोट छोड़ दी।

घटना के बाद कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

 Owaisi on CJI Gavai attack ओवैसी का तीखा सवाल  “मोदी जी, जिम्मेदारी कौन लेगा?”

हैदराबाद में एक सभा के दौरान ओवैसी ने कहा कि यह सिर्फ एक हमले की घटना नहीं है, बल्कि एक मानसिकता का नतीजा है, जिसे मौजूदा सरकार ने बढ़ावा दिया है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे शब्दों में निशाना साधा 

Owaisi on CJI Gavai attack “मोदी जी, बताइए! आपकी नीतियों ने इन लोगों को सशक्त किया है। अगर हमलावर का नाम असद होता, तो आज मीडिया ट्रायल चल रहा होता। पुलिस गोली चला देती। लेकिन जब नाम राकेश किशोर है, तो सब खामोश हैं।”

Owaisi on CJI Gavai attack “असद होता नाम तो…” AIMIM चीफ का बयान बना सुर्खियों का तूफान

ओवैसी का यह बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है।

उन्होंने AIMIM के X (ट्विटर) अकाउंट से वीडियो जारी करते हुए कहा 

 “अगर किसी मुस्लिम का नाम होता, तो कहा जाता वह पाकिस्तान से आया है, आईएसआई एजेंट है! लेकिन जब नाम राकेश किशोर है, तो मामला दबा दिया जाता है।”

उनकी यह टिप्पणी न केवल वायरल हुई, बल्कि इसे लेकर पूरे देश में बहस छिड़ गई है।

कई लोगों ने कहा  “ओवैसी ने एक सच्चाई बोल दी है, जिसे सब जानते हैं, पर कोई कहने की हिम्मत नहीं करता।”

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Owaisi on CJI Gavai attack राकेश किशोर की शिकायत और बरेली कनेक्शन

जानकारी के अनुसार, आरोपी राकेश किशोर ने अपने बयानों में उत्तर प्रदेश के बरेली का भी उल्लेख किया था।

उसने कहा था कि “सुप्रीम कोर्ट को योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर एक्शन के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए।”

वह खुद को “सनातन धर्म रक्षक” बताता है,और न्यायपालिका की टिप्पणी को “धर्म विरोधी” मानता है।

ओवैसी ने इसी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी 

 “जब बरेली में ‘आई लव मुहम्मद’ बैनर लगाने पर मुसलमानों पर एफआईआर हुई, तब सरकार बोली  ‘कानून अपना काम करेगा’। अब बताइए, कानून कहाँ गया?”

Owaisi on CJI Gavai attack जनता की राय: “न्याय को धर्म से ऊपर रखना होगा”

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर बहस छिड़ी हुई है।

एक यूज़र ने लिखा 

 “अगर आरोपी मुस्लिम होता, तो अब तक मीडिया चैनल 24 घंटे की डिबेट चला रहे होते।”

वहीं, दूसरे ने कहा 

“ओवैसी हर मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देते हैं, लेकिन कानून को धर्म से ऊपर रखना चाहिए।”

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Owaisi on CJI Gavai attack राजनीतिक गलियारों में मचा बवाल

ओवैसी के बयान ने विपक्षी दलों को भी बोलने का मौका दे दिया है।

कांग्रेस नेता ने कहा 

 “यह घटना न्यायपालिका की सुरक्षा पर बड़ा सवाल है। अगर देश के मुख्य न्यायाधीश तक सुरक्षित नहीं, तो आम नागरिक कैसे होगा?”

वहीं, भाजपा प्रवक्ताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि ओवैसी हर मुद्दे को धार्मिक चश्मे से देखते हैं।

 “यह हमला नहीं, लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार है”

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, कि यह मामला केवल कानून और व्यवस्था का नहीं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक चरित्र की परीक्षा है।

मुख्य न्यायाधीश पर हमला करना किसी व्यक्ति नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा पर हमला करने जैसा है।

ओवैसी के सवाल विवादास्पद भले हों, लेकिन उन्होंने एक सच्चाई की ओर इशारा ज़रूर किया है।

“कानून अगर नाम देखकर बदले, तो इंसाफ़ नाम की कोई चीज़ नहीं बचती।”

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Owaisi on CJI Gavai attack  लोकतंत्र के आईने में देखना होगा सच

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है, कि क्या आज भी हमारे देश में कानून सबके लिए समान है?

किसी व्यक्ति का धर्म, नाम या पहचान क्या न्याय के तराजू को प्रभावित कर रही है?

अगर ऐसा है, तो यह हम सबके लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

 डिस्क्लेमर 

  यह लेख सार्वजनिक बयानों, मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया स्रोतों पर आधारित है।

इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, धर्म या संस्था की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और न्यायिक मुद्दे पर चर्चा को बढ़ावा देना है।

सभी विचार संबंधित वक्ताओं के हैं, न कि लेखक या प्लेटफ़ॉर्म के।

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