Uttar Pradesh GST land scam यूपी जीएसटी घोटाला: 200 करोड़ की बेनामी जमीन में फंसे 50 अफसर, मोहनलालगंज से लेकर कानपुर तक फैला भ्रष्टाचार का जाल
Uttar Pradesh GST land scam उत्तर प्रदेश में जीएसटी विभाग के 50 अधिकारी 200 करोड़ रुपये की बेनामी जमीन खरीद घोटाले में फंसे। मोहनलालगंज, लखनऊ, कानपुर, आजमगढ़ समेत कई जिलों में फैला भ्रष्टाचार। जांच में 11 अधिकारियों के नाम सामने आए, सरकार ने कसी जांच की लगाम।
उत्तर प्रदेश में टैक्स वसूली करने वाले अधिकारियों का खुद टैक्स और जमीन घोटाले में फंसना किसी चौंकाने वाली खबर से कम नहीं है। जीएसटी विभाग के करीब 50 अधिकारी अब जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। आरोप है, कि इन अधिकारियों ने कोरोना काल के दौरान करीब 200 करोड़ रुपये से अधिक की नामी बेनामी जमीनें खरीदीं।
Uttar Pradesh GST land scam प्रारंभिक जांच में 11 अधिकारियों के नाम और दस्तावेज सामने आए हैं। ज्यादातर रकम लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र में एक चर्चित बिल्डर के जरिए निवेश की गई है।

Uttar Pradesh GST land scam जांच में कैसे खुली पोल
सूत्रों के मुताबिक, कुछ महीनों पहले एक गुमनाम शिकायत शासन तक पहुँची थी। उसमें आरोप था कि राज्य जीएसटी विभाग के कई अधिकारी अपने परिजनों और परिचितों के नाम पर जमीनें खरीद रहे हैं।
Uttar Pradesh GST land scam शिकायत के बाद शासन ने जब रजिस्ट्री कार्यालयों से खरीद बिक्री के दस्तावेज मंगवाए, तो पूरा खेल सामने आने लगा। कागज़ों में रकम, खरीदार और विक्रेता के नामों में गड़बड़ी पाई गई। कई जमीनें एक ही बिल्डर के माध्यम से खरीदी गई थीं, जो अधिकारियों का रिश्तेदार बताया जा रहा है।
Uttar Pradesh GST land scam किन जिलों में हुआ सबसे ज़्यादा खेल
जांच में सामने आया है,कि यह घोटाला किसी एक जिले तक सीमित नहीं है।
लखनऊ के साथ साथ कई अन्य जिलों के अधिकारी भी इसमें शामिल पाए गए हैं।
लखनऊ और मोहनलालगंज: सबसे ज्यादा जमीन यहीं खरीदी गई। बिल्डर का नेटवर्क भी इसी इलाके से जुड़ा बताया जा रहा है।
सुल्तानपुर रोड क्षेत्र: रजिस्ट्री डेटा में यहां की कई जमीनें अधिकारियों के परिवार वालों के नाम दर्ज मिली हैं।
कानपुर और इलाहाबाद (प्रयागराज): विभागीय सूत्रों ने बताया कि यहां तैनात अफसरों ने भी बड़ी खरीदारी की थी।
आजमगढ़ और लखीमपुर खीरी: जांच टीम को यहां भी करोड़ों की जमीन के दस्तावेज मिले हैं।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कुल रकम का आंकड़ा 200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। कई मामलों में वास्तविक खरीदारों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है।
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Uttar Pradesh GST land scam कैसे किया गया 200 करोड़ का यह गोलमाल
1. लंबे समय तक एक ही पोस्टिंग:
कोरोना काल में ट्रांसफर फ्रीज के कारण कई अधिकारी वर्षों तक एक ही जिले में तैनात रहे। इससे भ्रष्टाचार का नेटवर्क मजबूत हुआ।
2. बिल्डर का इस्तेमाल:
जमीन की खरीद फरोख्त में एक ही बिल्डर या उसके सहयोगियों का नाम बार बार सामने आ रहा है। ये बिल्डर कथित तौर पर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के रिश्तेदार हैं।
3. बेनामी रजिस्ट्रियां:
दस्तावेज़ों में खरीदारों के नाम अलग हैं, लेकिन भुगतान उन अधिकारियों के खातों या उनके परिचितों से किया गया।
4. नकदी और चेक ट्रांसफर का खेल:
रकम को कई खातों के जरिए घुमाया गया, ताकि कोई एक सीधी ट्रांज़ैक्शन न दिखे।
Uttar Pradesh GST land scam शासन ने क्या कदम उठाए
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सूत्रों के अनुसार, शासन ने वाणिज्यकर विभाग और स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो (SIB) को जांच सौंप दी है।
फिलहाल 11 अधिकारियों की संपत्तियों की जांच चल रही है और बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी है।
सरकार ने इन जिलों के रजिस्ट्री कार्यालयों से पिछले 4 वर्षों के सौदे की पूरी जानकारी मांगी है।
सीएम स्तर पर भी रिपोर्ट पहुंचाई गई है।
Uttar Pradesh GST land scam जनता और विभाग के लिए झटका
इस मामले ने पूरे राजस्व तंत्र को झकझोर कर रख दिया है।
जीएसटी विभाग वह संस्था है, जो राज्य सरकार की कमाई (Revenue Collection) का सबसे बड़ा आधार है।
लेकिन जब वही अधिकारी पद का दुरुपयोग करें, तो सिस्टम की नींव हिल जाती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया,
“यह मामला सिर्फ जमीन खरीद का नहीं है, बल्कि इसमें सिस्टम के भीतर से मिलीभगत भी शामिल है। अगर जांच सही तरीके से हुई तो कई बड़े नाम सामने आएंगे।”
जनता की नजर अब क्या देखना चाहती है
सभी आरोपित अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर जांच शुरू हो।
जिन जमीनों पर संदेह है, उन्हें अस्थायी रूप से जब्त किया जाए।
जांच रिपोर्ट सार्वजनिक पोर्टल पर जारी की जाए।
आगे से किसी अधिकारी को एक ही जिले में 2 साल से अधिक न रखा जाए।
जीएसटी विभाग में ऑडिट और ट्रांसफर नीति सख्ती से लागू की जाए।
यह घोटाला बताता है,कि भ्रष्टाचार सिर्फ छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि ऊँचे पदों तक फैला हुआ है।
200 करोड़ का यह खेल दिखाता है, कि सत्ता के गलियारों में कितनी चुप्पी और मिलीभगत हो सकती है।
अगर जांच ईमानदारी से हुई और दोषियों को सजा मिली, तो यह मामला उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।