UMEED Portal Registration पोर्टल रजिस्ट्रेशन को मिली 3 महीने की बड़ी राहत, वक्फ संस्थानों के लिए केंद्र सरकार का सबसे बड़ा फैसला
UMEED Portal Registration के लिए केंद्र सरकार ने 3 महीने की अतिरिक्त मोहलत दी। वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और राज्यों की स्थिति पर पूरी रिपोर्ट पढ़ें।
केंद्र सरकार ने लाखों मुतवल्लियों और वक्फ संस्थानों को बड़ी राहत देते हुए UMEED Portal Registration की डेडलाइन तीन महीने और बढ़ा दी। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देशभर में कई वक्फ बोर्ड और मुतवल्ली सदियों पुराने दस्तावेज़ों को जुटाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। 6 जून को लॉन्च किए गए UMEED पोर्टल का लक्ष्य देशभर की लगभग 8.8 लाख वक्फ संपत्तियों का एकीकृत डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है। लेकिन छह महीने की अवधि होने के बावजूद अब भी लाखों संपत्तियाँ रजिस्टर नहीं हो पाई थीं, जिससे सरकार पर डेडलाइन बढ़ाने का दबाव बढ़ा। ऐसे में केंद्र ने स्पष्ट किया कि अगले तीन महीनों तक UMEED Portal Registration करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और न ही कोई पेनल्टी लगेगी।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि छह महीने बाद डेडलाइन नहीं बढ़ाई जा सकती, लेकिन ट्रिब्यूनल के पास इसे छह महीने तक बढ़ाने का अधिकार है। इसी कानूनी व्यवस्था के भीतर रहकर सरकार ने राहत देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि “हम अपने लोगों पर कोई दबाव नहीं डालना चाहते। यदि कोई UMEED Portal Registration समय पर पूरा नहीं कर पा रहा है, तो वह ट्रिब्यूनल के माध्यम से मदद ले सकता है।” यह बयान उन सभी मुतवल्लियों के लिए राहत का संदेश है जो दस्तावेज़ी जटिलता के कारण पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे थे।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 1.5 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियाँ UMEED Portal Registration के तहत सफलतापूर्वक रजिस्टर हो चुकी हैं, लेकिन लक्ष्य इससे लगभग छह गुना बड़ा है। अलग-अलग राज्यों में रजिस्ट्रेशन की स्थिति भी काफी भिन्न है। उत्तर प्रदेश, जहाँ सबसे अधिक वक्फ संपत्तियाँ हैं, वहाँ अब तक करीब 35% रजिस्ट्रेशन ही हो पाया है। पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा मात्र 12% है जबकि तमिलनाडु और कर्नाटक में लगभग 10%। इसके विपरीत पंजाब में लगभग 80% रजिस्ट्रेशन पूरा हो चुका है क्योंकि वहाँ संपत्तियों की बजाय “वक्फ एस्टेट्स” को रजिस्टर किया जाता है, जिसमें कई संपत्तियाँ एक साथ शामिल होती हैं। इस मॉडल से प्रक्रिया तेज़ और सरल हो जाती है, यही कारण है कि पंजाब सबसे आगे है।
देशभर में वक्फ बोर्ड और मुतवल्लियों के सामने सबसे बड़ी समस्या दस्तावेज़ों को ढूंढने और उनकी प्रमाणिकता साबित करने की है। कई रिकॉर्ड सदियों पुराने हैं, कई दस्तावेज़ अलग भाषाओं में हैं और कई क्षेत्रों में भूमि माप की प्रणाली अलग है, जिससे सही डेटा अपलोड करने में काफी समय लग रहा है। ऐसे में बढ़ाई गई यह अवधि न केवल राहत है, बल्कि UMEED Portal Registration को गति देने का बड़ा अवसर भी है। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले समय में वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण विवादों को कम करेगा, पारदर्शिता बढ़ाएगा और प्रॉपर्टी मैनेजमेंट को आसान बनाएगा।
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सरकार का मानना है कि UMEED Portal Registration के जरिए सभी वक्फ संपत्तियों का एक केंद्रीकृत डिजिटल डेटाबेस तैयार होगा, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता, अवैध कब्ज़ा या विवाद को नियंत्रित करना आसान हो जाएगा। यह प्लेटफॉर्म आने वाले वर्षों में वक्फ प्रबंधन को आधुनिक और तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाने का आधार तैयार करेगा। अनुमान है कि भविष्य में इस पोर्टल को AI Mapping, Geo-Tagging और Blockchain Verification जैसी उन्नत तकनीकों से भी जोड़ा जा सकता है।
कुल मिलाकर, केंद्र सरकार का यह निर्णय वक्फ संस्थानों के लिए ऐतिहासिक राहत के रूप में देखा जा रहा है। तीन महीने की यह अतिरिक्त अवधि लाखों मुतवल्लियों के लिए एक नया मौका है, कि वे आवश्यक दस्तावेज़ों को व्यवस्थित कर सकें और अपनी संपत्तियों को बिना किसी दबाव के UMEED Portal Registration के जरिए सुरक्षित डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल करा सकें। यह भारत की वक्फ संपत्ति प्रबंधन प्रणाली में आने वाले बड़े बदलाव की शुरुआत है।
Disclaimer: यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स, सार्वजनिक बयानों और उपलब्ध सरकारी जानकारी पर आधारित है। किसी भी सरकारी प्रक्रिया, नियम, या कानूनी दिशा-निर्देश के लिए हमेशा आधिकारिक पोर्टल या संबंधित विभाग की ताज़ा सूचना ही देखें।
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