corruption in excise department 38 साल की नौकरी, 18 करोड़ की संपत्ति! रिटायर्ड आबकारी अधिकारी धर्मेंद्र सिंह भदौरिया के घर छापे में खुला ‘काले धन’ का खजाना
corruption in excise department धर्मेंद्र सिंह भदौरिया, रिटायर्ड आबकारी अधिकारी के ठिकानों पर छापा। ₹18.59 करोड़ की संपत्ति जब्त, जो वैध आय से 9 गुना ज़्यादा निकली।
corruption in excise department ईमानदारी की पोल: रिटायरमेंट के बाद खुला “नंबर दो” का खज़ाना
कहते हैं, “भ्रष्टाचार छुपाया नहीं जा सकता, बस देर सवेर पकड़ा जाता है।”
मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) और इंदौर (Indore) में हुए छापों ने इस कहावत को फिर सच साबित कर दिया।
corruption in excise department धर्मेंद्र सिंह भदौरिया, जो आबकारी विभाग (Excise Department) में अधिकारी रह चुके हैं, के ठिकानों से ₹18.59 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है।
सबसे हैरानी की बात यह है, कि उनकी कुल वैध आय सिर्फ ₹2 करोड़ थी, जो उन्होंने 38 साल की सेवा में कमाई थी।
यानी संपत्ति वैध आय से लगभग 9 गुना अधिक पाई गई जो सीधा संकेत देता है, कि यह कमाई “नंबर दो” की है।
इंदौर और ग्वालियर में छापेमारी से मिली करोड़ों की संपत्ति
भ्रष्टाचार निरोधक संगठन (Lokayukta Team) ने जब धर्मेंद्र सिंह भदौरिया के इंदौर और ग्वालियर स्थित आवासों पर छापा मारा, तो अफसरों की आँखें फटी रह गईं।
टीम को वहाँ से भारी मात्रा में कैश, सोना, लग्ज़री गाड़ियाँ, और एक आलीशान बंगला मिला।
corruption in excise department माना जा रहा है,कि अधिकारी ने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रभावशाली कारोबारियों और शराब ठेकेदारों से मिलीभगत करके यह संपत्ति अर्जित की।
छापे के दौरान बैंक लॉकर, फिक्स्ड डिपॉजिट्स, और जमीन के दस्तावेज भी बरामद हुए।
फिलहाल जांच एजेंसियाँ इस पूरे नेटवर्क की जाँच कर रही हैं, कि इतना पैसा आखिर आया कहाँ से।

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38 साल की नौकरी, लेकिन संपत्ति 9 गुना ज़्यादा!
corruption in excise department लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट के अनुसार, धर्मेंद्र सिंह भदौरिया की सेवा अवधि में वैध आय करीब ₹2 करोड़ आंकी गई है।
लेकिन उनके पास मिली कुल संपत्ति ₹18.59 करोड़ है, जो नौ गुना अधिक है।
इसमें कई आलीशान घर, कारें, सोना और निवेश शामिल हैं।
आबकारी विभाग की छवि पहले से ही ‘संदेह के घेरे’ में रहती है, क्योंकि यह विभाग शराब व्यापार से सीधा जुड़ा होता है।
ऐसे में यह मामला विभाग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।
कई सूत्रों का कहना है,कि यह सिर्फ एक अफसर की कहानी नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम की बीमारी का लक्षण है।
सरकार और जनता का संदेश: “अब कोई भी सुरक्षित नहीं”
corruption in excise department मध्य प्रदेश सरकार ने साफ कहा है, कि “भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
इस केस के बाद राज्य में कई और अधिकारियों पर भी नजर रखी जा रही है।
पिछले कुछ महीनों में, लोकायुक्त ने कई सरकारी कर्मचारियों के यहाँ इसी तरह के छापे मारे हैं, जिनमें करोड़ों की संपत्ति मिली।
सरकार चाहती है, कि जनता का भरोसा दोबारा कायम हो और यह दिखाया जाए कि “रिटायरमेंट का मतलब आज़ादी नहीं, जवाबदेही है।”
इस कार्रवाई ने बाकी अफसरों को भी चेतावनी दी है, कि अगर वे “नंबर दो की कमाई” छिपाने की सोच रहे हैं, तो अब ऐसा करना आसान नहीं होगा।
जनता के लिए सीख: भ्रष्टाचार सिर्फ अफसरों की नहीं, समाज की भी बीमारी
corruption in excise department यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं दिखाता, बल्कि यह समाज के उस पहलू को उजागर करता है, जहाँ “ईमानदारी को मूर्खता” समझा जाने लगा है।
अगर जनता भी ऐसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ न उठाए, तो यह बीमारी फैलती जाती है।
विशेषज्ञ कहते हैं,कि पारदर्शिता और पब्लिक विजिलेंस ही सबसे बड़ा हथियार है।
हर नागरिक को चाहिए कि जब भी किसी विभाग में गड़बड़ी दिखे, तो वह उसकी शिकायत करे क्योंकि “भ्रष्टाचार वहीं रुकता है, जहाँ लोग चुप रहना छोड़ देते हैं।”
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छिपेगा नहीं, पकड़ा ज़रूर जाएगा
corruption in excise department धर्मेंद्र सिंह भदौरिया का मामला दिखाता है, कि चाहे कोई कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून से बचना संभव नहीं है।
उनकी ₹18 करोड़ की संपत्ति ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया है।
अब यह केस बाकी अफसरों के लिए एक चेतावनी बन गया है, कि रिटायरमेंट के बाद भी जवाबदेही खत्म नहीं होती।
देश तभी बदलेगा जब हर नागरिक और अधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति सच्चा रहेगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख सोशल मीडिया रिपोर्ट्स और लोकायुक्त जांच के प्रारंभिक तथ्यों पर आधारित है।
हमारा उद्देश्य किसी व्यक्ति की छवि को धूमिल करना नहीं, बल्कि जनता को भ्रष्टाचार और काले धन के खतरों के प्रति जागरूक करना है।
संपत्ति की सटीक जानकारी और आगे की कार्रवाई के लिए आधिकारिक रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है।















