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Gorakhpur hospital mafia case गोरखपुर में मरीज माफिया का भंडाफोड़: बीआरडी मेडिकल कॉलेज से पांच एम्बुलेंस सीज़, खुली लापरवाही और साजिश की परतें

Gorakhpur hospital mafia case
गोरखपुर में मरीज माफिया का भंडाफोड़: बीआरडी मेडिकल कॉलेज से पांच एम्बुलेंस सीज़, खुली लापरवाही और साजिश की परतें

Gorakhpur hospital mafia case गोरखपुर 4 सितम्बर 2025,को बीआरडी मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह चिकित्सा व्यवस्था नहीं बल्कि “मरीज माफिया” के रूप में सक्रिय अवैध Including नेटवर्क है। हाल ही में पुलिस और प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए पांच संदिग्ध एम्बुलेंस ज़ब्त कीं। जांच में ऐसे तथ्य सामने आए जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलते हैं बल्कि आम मरीजों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करते हैं।

 घटना का पूरा विवरण Gorakhpur hospital mafia case

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Gorakhpur hospital mafia case
सोर्स बाय गूगल इमेज

बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर और उसके आसपास लंबे समय से एम्बुलेंस माफिया सक्रिय थे। शिकायतें मिल रही थीं कि ये एम्बुलेंस बिना किसी चिकित्सा सुविधा के अस्पताल परिसर में खड़ी रहती थीं और मौके की तलाश में रहते थे ताकि मरीजों या उनके परिजनों को गुमराह कर निजी नर्सिंग होम तक पहुंचा सकें।

2–3 सितंबर की रात प्रशासन ने अचानक छापेमारी की। इस दौरान कुल पांच एम्बुलेंस पकड़ी गईं।

दो एम्बुलेंस के पास कोई RTO रिकॉर्ड ही नहीं मिला।

दो गाड़ियाँ प्राइवेट नर्सिंग होम के नाम पर रजिस्टर्ड थीं, लेकिन उनमें कोई लाइफ सेविंग उपकरण मौजूद नहीं था।

एक वाहन की पंजीकरण स्थिति संदिग्ध थी।

एम्बुलेंस में नहीं थे जीवनरक्षक उपकरण

पुलिस ने जब इन वाहनों की तलाशी ली तो उनमें कोई ऑक्सीजन सिलेंडर, स्ट्रेचर, फर्स्ट एड किट, या आपातकालीन दवा नहीं मिली। यानी ये गाड़ियाँ सिर्फ “सफेद रंग और सायरन” के नाम पर चल रही थीं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है, कि यह स्थिति बेहद खतरनाक है, क्योंकि मरीज और परिजन एम्बुलेंस देखकर उसे भरोसेमंद मान लेते हैं, जबकि हकीकत में यह “मौत की सवारी” भी साबित हो सकती है।

 पुलिस और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई

कार्रवाई में पुलिस, प्रशासन, RTO और स्वास्थ्य विभाग की टीमें शामिल थीं।

एसपी सिटी अभिनव त्यागी और एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह के नेतृत्व में छापेमारी की गई।

सीओ गोरखनाथ, शाहपुर और गुलरिहा थाना पुलिस ने ऑपरेशन में सहयोग किया।

मौके पर ही वाहनों को सीज कर मेडिकल कॉलेज परिसर से हटवाया गया।

अधिकारियों ने साफ किया कि किसी भी संदिग्ध वाहन को बख्शा नहीं जाएगा।

नर्सिंग होम से जुड़ा माफिया नेटवर्क

प्राथमिक जांच में पता चला कि कुछ एम्बुलेंस नर्सिंग होम से जुड़ी थीं। आरोप है,कि ये एम्बुलेंस दलालों के साथ मिलकर गंभीर मरीजों को बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करा देती थीं। बदले में भारी-भरकम कमीशन वसूला जाता था।

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:

“एम्बुलेंस माफिया मरीजों की मजबूरी को अपना धंधा बना चुका है। ये लोग अस्पताल में प्रवेश करने वाले हर मरीज को संभावित ग्राहक की तरह देखते हैं।”

 क्यों खतरनाक है यह माफिया?

1. मरीज की सुरक्षा खतरे में: बिना उपकरण वाली एम्बुलेंस जानलेवा साबित हो सकती है।

2. ग़रीबों का शोषण: गरीब और अनपढ़ परिजन जल्दबाज़ी में गलत जगह ले जाए जाते हैं।

3. स्वास्थ्य प्रणाली पर अविश्वास: जब सरकारी अस्पतालों से ही माफिया सक्रिय हो, तो आम जनता का भरोसा टूटता है।

4. अवैध कमाई का जाल: यह पूरा नेटवर्क दलाल, नर्सिंग होम और एम्बुलेंस मालिकों की मिलीभगत से चलता है।

प्रशासन के निर्देश और आगे की कार्रवाई

एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा:Gorakhpur hospital mafia case

“हमारी प्राथमिकता है,कि मरीजों की जान से खिलवाड़ न हो। संदिग्ध वाहनों की पहचान कर उन्हें तुरंत जब्त किया जाएगा। साथ ही नर्सिंग होम की भी जांच होगी।”

एडीएम सिटी ने भी कहा कि हर एम्बुलेंस का रिकॉर्ड और उसकी वैधता की पुष्टि की जाएगी।

RTO विभाग को निर्देश दिए गए हैं, कि गाड़ियों के पंजीकरण और परमिट की जांच कर रिपोर्ट पेश करें।

 जनता की प्रतिक्रिया Gorakhpur hospital mafia case

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इस कार्रवाई के बाद मरीजों के परिजनों और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है।

रामवृक्ष यादव, मरीज के परिजन: “अक्सर देखा है,कि एम्बुलेंस वाले जबरदस्ती मरीज को अपने साथ ले जाते हैं। यह बहुत अच्छा हुआ कि कार्रवाई हुई।”

अनीता वर्मा, समाजसेवी: “एम्बुलेंस माफिया सिर्फ पैसों के लिए इंसान की जिंदगी से खेल रहे थे। इन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए।”

 पिछली घटनाओं से सबक Gorakhpur hospital mafia case

यह पहली बार नहीं है,जब गोरखपुर में एम्बुलेंस माफिया चर्चा में आए हों। 2017 में भी ऐसे नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ था, जब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। उस समय भी मरीजों को प्राइवेट संस्थाओं में भेजने का खेल सामने आया था।

गोरखपुर में एम्बुलेंस माफिया पर हुई कार्रवाई प्रशासन की तत्परता को दिखाती है, लेकिन यह भी स्पष्ट करती है,कि स्वास्थ्य व्यवस्था के भीतर कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है, यह भ्रष्ट तंत्र।

जरूरी है कि: Gorakhpur hospital mafia case

हर एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन और सर्टिफिकेशन सार्वजनिक किया जाए।

अस्पताल परिसर में खड़ी गाड़ियों की नियमित जांच हो।

दलालों और नर्सिंग होम के नेटवर्क पर सीधी कार्रवाई हो।

क्योंकि जब तक मरीज माफिया की जड़ें पूरी तरह नहीं काटी जाएंगी, तब तक गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान आम जनता के लिए भरोसेमंद नहीं बन पाएंगे।

 लेखक की टिप्पणी Gorakhpur hospital mafia case

यह मामला सिर्फ गोरखपुर का नहीं बल्कि पूरे देश की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए चेतावनी है। मरीजों की मजबूरी और जान के साथ खिलवाड़ करने वालों पर अंकुश लगाना ही प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।

 

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