Gorakhpur petrol pump fraud गोरखपुर में पेट्रोल पंप के नाम पर हाई-प्रोफाइल ठगी: 1.90 लाख की चपत, नकली वेबसाइट और फर्जी अलॉटमेंट लेटर से साइबर फ्रॉड

Estimated read time 1 min read

Gorakhpur petrol pump fraud गोरखपुर में पेट्रोल पंप के नाम पर हाई-प्रोफाइल ठगी: 1.90 लाख की चपत, नकली वेबसाइट और फर्जी अलॉटमेंट लेटर से साइबर फ्रॉड

Gorakhpur petrol pump fraud गोरखपुर में पेट्रोल पंप अलॉटमेंट के नाम पर 1.90 लाख की ठगी, फर्जी वेबसाइट व दस्तावेज़ से साइबर फ्रॉड, पुलिस जांच में जुटी।

Gorakhpur petrol pump fraud गोरखपुर, 12 सितंबर 2025  को एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यवसायी को पेट्रोल पंप अलॉटमेंट का झांसा देकर ₹1.90 लाख की ठगी कर ली गई। यह घटना न केवल पुलिस और प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि आम जनता के लिए भी सबक है,कि कैसे तकनीक का दुरुपयोग कर जालसाज़ लोगों की मेहनत की कमाई हड़प रहे हैं।

Gorakhpur petrol pump fraud घटना का विवरण

 इसे भी पढ़ें गोरखपुर तिवारीपुर में इमाम पर हमला जनता ने किया तिवारीपुर थाने का घेराव

Gorakhpur petrol pump fraud

गोरखनाथ थाना क्षेत्र के हुमायूंपुर निवासी महेश कुमार गुप्ता (व्यवसायी) पेट्रोल पंप लेने के लिए आवेदन करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) की आधिकारिक वेबसाइट को इंटरनेट पर सर्च किया। लेकिन सर्च रिजल्ट में आए एक फर्जी पॉप-अप विज्ञापन पर क्लिक करना उन्हें भारी पड़ गया।

Gorakhpur petrol pump fraud इस पॉप-अप के जरिए महेश सीधे एक जालसाज़ी वाले लिंक पर पहुँच गए, जहाँ उनसे फॉर्म भरवाया गया और आगे की प्रोसेसिंग के नाम पर संपर्क किया गया।

 गोरखपुर संपत्ति विवाद में भड़की हिंसा राजेश शर्मा की मौत पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया

कुछ दिनों बाद उन्हें ई-मेल के जरिए नकली अलॉटमेंट लेटर और डीलरशिप सर्टिफिकेट भेजा गया। ये दस्तावेज़ इतने पेशेवर तरीके से तैयार किए गए थे कि देखने में बिल्कुल असली लगे। जालसाज़ों ने खुद को इंडियन ऑयल का अधिकारी बताकर फोन कॉल भी किए और भरोसा दिलाया कि पंप अलॉटमेंट की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।

Gorakhpur petrol pump fraud भरोसे में आकर महेश गुप्ता ने तीन किश्तों में कुल ₹1.90 लाख मुंबई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दिए।

Gorakhpur petrol pump fraud कैसे खुला ठगी का राज़?

काफी समय गुजरने के बाद भी पेट्रोल पंप अलॉटमेंट की कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। महेश ने कई बार दिए गए नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन सभी फोन नंबर या तो स्विच ऑफ हो गए या फिर किसी ने रिसीव नहीं किया।

Gorakhpur petrol pump fraud शक होने पर उन्होंने RTI (सूचना का अधिकार) के तहत इंडियन ऑयल से जानकारी मांगी। जवाब में स्पष्ट हुआ कि उनके नाम पर कोई भी अलॉटमेंट नहीं हुआ है,और उन्हें भेजे गए दस्तावेज पूरी तरह फर्जी हैं।

इसके बाद महेश गुप्ता ने एसपी सिटी अभिनव त्यागी से मिलकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला गोरखनाथ थाने को सौंप दिया और एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

Gorakhpur petrol pump fraud  पुलिस की जांच और कार्रवाई

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जिस बैंक खाते में पैसे जमा कराए गए थे, वह मुंबई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की शाखा का है। साइबर अपराधी अक्सर फर्जी खातों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें पैसे आते ही तुरंत अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।

पुलिस ने संबंधित बैंक से लेनदेन की डिटेल मांगी है,और साइबर सेल की मदद से ई-मेल और कॉल डिटेल की भी जांच की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है,कि यह एक संगठित गैंग का काम है, जो पूरे देश में लोगों को इस तरह पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी और सरकारी स्कीमों के नाम पर ठग रहा है।

ठगी का तरीका (Modus Operandi)

1. फर्जी वेबसाइट/पॉप-अप: आधिकारिक कंपनी की वेबसाइट जैसा दिखने वाला नकली लिंक गूगल सर्च या पॉप-अप के जरिए यूजर तक पहुँचाया जाता है।

2. नकली डॉक्युमेंट्स: भरोसा बनाने के लिए फर्जी अलॉटमेंट लेटर और डीलरशिप सर्टिफिकेट ई-मेल किए जाते हैं।

3. सरकारी प्रक्रिया जैसा दिखाना: आरोपित खुद को अधिकारी बताकर फोन कॉल करते हैं,और प्रोसेसिंग फीस/सिक्योरिटी डिपॉज़िट के नाम पर पैसे माँगते हैं।

4. फर्जी बैंक खाते: शिकार से प्राप्त राशि को फर्जी खातों में ट्रांसफर कर तुरंत निकाल लिया जाता है।

5. कॉन्टैक्ट बंद करना: जैसे ही रकम मिल जाती है, सभी संपर्क नंबर बंद कर दिए जाते हैं।

Gorakhpur petrol pump fraud पीड़ित की आपबीती

पीड़ित महेश गुप्ता ने पुलिस को दिए बयान में कहा:

“मैंने जीवन भर की कमाई से पेट्रोल पंप खोलने का सपना देखा था। जब इंडियन ऑयल की साइट पर यह विकल्प मिला तो लगा कि अब सपना पूरा होगा। लेकिन यह ठगी निकल गई। यह मेरे लिए बड़ा आर्थिक झटका है। मेरी अपील है,कि पुलिस ऐसे गिरोह को पकड़कर सख्त कार्रवाई करे ताकि और लोग ठगे न जाएं।”

Gorakhpur petrol pump fraud  गोरखपुर और साइबर फ्रॉड

गोरखपुर में पिछले कुछ सालों में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं। कभी बिजली बिल अपडेट करने के नाम पर, कभी केवाईसी वेरिफिकेशन, तो कभी बैंक अकाउंट ब्लॉक होने के नाम पर ठगी होती है।

पुलिस का कहना है,कि ज्यादातर मामले बाहर के राज्यों से ऑपरेट किए जाते हैं, लेकिन शिकार यहां आसानी से बनते हैं,क्योंकि लोग ऑनलाइन सेवाओं की पूरी जानकारी नहीं रखते।

विशेषज्ञों की राय

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंपनियों के नाम पर धोखाधड़ी अब नया नहीं रहा। इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही अपराधी फेक डोमेन, फेक वेबसाइट और फेक ई-मेल आईडी बना लेते हैं।

आम लोग जब इनकी प्रामाणिकता जांचे बिना पैसे ट्रांसफर कर देते हैं, तो वे सीधे जालसाजों के शिकंजे में फंस जाते हैं।

जनता के लिए चेतावनी और सावधानियाँ

किसी भी पॉप-अप या विज्ञापन पर क्लिक न करें, हमेशा आधिकारिक वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।

किसी अज्ञात बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर न करें।

अलॉटमेंट लेटर या डीलरशिप सर्टिफिकेट मिलने पर कंपनी के कस्टमर केयर या आधिकारिक कार्यालय से सत्यापन जरूर करें।

अगर ठगी हो गई है तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) और स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत करें।

सभी ई-मेल, ट्रांज़ैक्शन डिटेल और कॉल-लॉग को सबूत के तौर पर सुरक्षित रखें।

कानूनी पहलू

इस मामले में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना), 471 (फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल) और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है। अगर अपराधियों का पता चलता है,तो उन्हें लंबी सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।

निष्कर्ष

गोरखपुर का यह मामला साफ संकेत देता है,कि साइबर अपराध का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। अब अपराधी सिर्फ छोटे पैसों की ठगी नहीं कर रहे, बल्कि करोड़ों तक के मामलों को अंजाम दे रहे हैं।

व्यवसायियों और आम जनता को चाहिए कि किसी भी तरह के निवेश या अलॉटमेंट के नाम पर पैसे भेजने से पहले उसकी सत्यता की कई स्तरों पर जांच करें।

महेश गुप्ता जैसे मामलों से सीख लेकर समाज को सजग होना होगा, वरना तकनीक का यह अंधेरा चेहरा और लोगों की कमाई को निगलता जाएगा।

 लेखक की टिप्पणी:

यह खबर हमें एक गहरा संदेश देती है कि डिजिटल युग में सुरक्षा जागरूकता उतनी ही जरूरी है जितनी रोजमर्रा की सतर्कता। सरकार और कंपनियों को भी चाहिए कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट्स और पोर्टल को इस तरह सुरक्षित बनाएं कि कोई भी फर्जी पॉप-अप लोगों तक न पहुँच सके।

 

akhtar husain https://newsdilsebharat.net

न्यूज़ दिल से भारत के पाठकों से अनुरोध है कि अगर आप सच्ची और अच्छी ख़बरें पढ़ना चाहते हैं तो न्यूज़ दिल से भारत को सहयोग करें ताकि निष्पक्ष पत्रकारिता करने में हमारे सामने जो बाधाये आती है हम उनको पार कर सके सच्ची और अच्छी खबरें आप तक पहुंचा सके

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours