प्रयागराज कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: जमीन विवाद में दर्ज Fake SC ST Case पर युवक को 5 साल की सजा, झूठे मुकदमों के खिलाफ कड़ा संदेश
प्रयागराज की एससी/एसटी कोर्ट ने जमीन विवाद से जुड़े Fake SC ST Case में आरोपी को 5 साल की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कानून के दुरुपयोग पर सख्ती जरूरी। पूरी खबर पढ़ें।
देश में जब कानून किसी कमजोर वर्ग की सुरक्षा के लिए बनाया जाता है, तो उसकी पवित्रता बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी होती है। लेकिन जब कोई व्यक्ति उसी कानून का गलत उपयोग करके निर्दोष लोगों को फँसाने की कोशिश करता है, तो उसका असर न केवल आरोपियों पर बल्कि पूरी न्याय व्यवस्था पर पड़ता है। प्रयागराज की एक अदालत ने ऐसे ही मामले में बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक युवक को पाँच साल की सजा सुनाई है। यह मामला एक Fake SC ST Case से जुड़ा था, जिसमें पुलिस जांच और अदालत की सुनवाई के बाद पूरी सच्चाई सामने आई।

प्रयागराज की एससी/एसटी एक्ट की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने विकास कुमार को दोषी करार देते हुए पाँच वर्ष का कारावास और दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि वादी ही मुकदमे का सबसे महत्वपूर्ण साक्षी होता है, और जब वही झूठ बोलने लगे तो न्याय की नींव कमजोर होने लगती है। इसलिए Fake SC ST Case दर्ज कराना बेहद गंभीर अपराध है, और ऐसी घटनाओं पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है। न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि यदि इस मामले में विकास कुमार को किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता या राहत धनराशि दी गई हो, तो उसे तुरंत वापस लिया जाए।
यह पूरा मामला 29 जून 2019 से शुरू हुआ था, जब विकास कुमार ने थाना पीजीआई में एफआईआर कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि जमीन पर कब्ज़ा करने की नीयत से ओम शंकर यादव, अरुण कुमार, नीतू यादव और अखिलेश पाल उसके पास पहुँचे और जातिसूचक गालियाँ देकर उसे धमकाया। यह आरोप एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज हुआ, और मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरी जांच शुरू की गई। लेकिन विवेचना के दौरान पुलिस को आरोपियों की घटनास्थल पर मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले। वहीं, स्वतंत्र गवाहों ने भी यह कहकर बयान दर्ज कराए कि उन्होंने कोई ऐसी घटना होते नहीं देखी। इससे स्पष्ट होने लगा कि यह एक Fake SC ST Case था।
जांच में यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि विकास कुमार के परिवार की जमीन बैंक की नीलामी प्रक्रिया में पहले ही जा चुकी थी। कर्ज न चुकाने पर बैंक ने जमीन की नीलामी की, जिसे ओम शंकर यादव के भांजे कमलेश ने खरीदा था। बाद में इसी जमीन को लेकर विवाद बढ़ा और कमलेश की हत्या तक हो गई। उस हत्या के मुकदमे में ओम शंकर यादव पैरवी कर रहे थे। अभियोजन पक्ष का कहना था कि इसी पैरवी को रोकने और दबाव बनाने के लिए विकास कुमार ने Fake SC ST Case दर्ज कराया। जांच अधिकारी ने साक्ष्यों व बयानों के आधार पर 26 दिसंबर 2019 को अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी, जिसमें साफ कहा गया कि आरोप पूरी तरह निराधार और झूठे हैं।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि यदि झूठे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तो एससी/एसटी एक्ट जैसे महत्वपूर्ण कानून का दुरुपयोग बढ़ता जाएगा और इससे वास्तविक पीड़ितों को न्याय मिलने में बाधा आएगी। अदालत का यह फैसला न केवल इस केस के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि Fake SC ST Case जैसे अपराधों पर अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। यह फैसला न्याय व्यवस्था में भरोसे को और मजबूत करता है,और यह संदेश देता है, कि कानून का दुरुपयोग करने वालों को कठोर सजा अवश्य मिलेगी।
इस केस में पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए निष्पक्ष विवेचना की, गवाहों के बयान दर्ज किए और सभी तथ्यों के साथ रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को सही मानते हुए इस Fake SC ST Case की गंभीरता को समझा और आरोपी विकास कुमार को दोषी पाया। यह फैसला आने वाले समय में ऐसे मामलों पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और पीड़ितों सहित समाज को यह भरोसा देगा कि अदालतें हर झूठ के पीछे छिपे सच को सामने लाने में सक्षम हैं।
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर तैयार किया गया है। किसी व्यक्ति, संस्था या अदालत के निर्णय के प्रति पूर्वाग्रह या पक्षपात का उद्देश्य नहीं है। किसी कानूनी परामर्श की आवश्यकता होने पर विशेषज्ञ से संपर्क करना उचित है।
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