Gorakhpur Daroga Dabanggai गोरखपुर में दारोगा की दबंगई: दुर्गा पंडाल तोड़ा, समिति अध्यक्ष को जड़ा थप्पड़
गोरखपुर में दुर्गा पूजा पंडाल तोड़ने और समिति अध्यक्ष को थप्पड़ मारने वाले दारोगा का वीडियो वायरल। Gorakhpur Daroga Dabanggai से जनता में गुस्सा, आस्था पर हमला और पुलिसिया दबंगई पर सवाल।
Gorakhpur Daroga Dabanggai गोरखपुर, उत्तर प्रदेश धार्मिक आस्था और पुलिसिया दबंगई के बीच टकराव का ताजा मामला गोरखपुर जिले से सामने आया है। नवरात्रि जैसे पावन अवसर पर जब हर गली मोहल्ला मां दुर्गा की भक्ति में डूबा हुआ था, तब गोरखपुर के सिंघड़िया चौराहे से आई खबर ने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में साफ दिख रहा है, कि एक दारोगा न केवल दुर्गा पूजा पंडाल को तोड़ता है, बल्कि जब समिति के पदाधिकारी विरोध करते हैं, तो उन्हें थप्पड़ जड़ देता है। यह घटना गोरखपुर के लोगों की भावनाओं को गहराई से आहत कर गई है। यही वजह है कि यह मामला अब चर्चा का बड़ा विषय बन चुका है।
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Gorakhpur Daroga Dabanggai घटना कैसे हुई
18 सितंबर की रात लगभग 1 बजे का समय था। लोग अपने-अपने घरों में नवरात्रि के भजन और जयकारों के साथ उत्सव मना रहे थे। इसी बीच इंजीनियरिंग कॉलेज चौकी इंचार्ज नवीन कुमार राय अपने दलबल के साथ वहां पहुंचे।
स्थानीय श्री-श्री दुर्गा पूजा युवा गोल्डेन छात्र समिति ने पिछले 18 वर्षों से परंपरा के अनुसार उसी स्थान पर दुर्गा प्रतिमा स्थापित की थी। लेकिन इस बार चौकी इंचार्ज ने अचानक पंडाल पर कार्रवाई शुरू कर दी।
जब समिति के अध्यक्ष नीतीश ने विनम्रता से कहा
साहब, यह पंडाल हम हर साल यहीं लगाते हैं। 18 साल से कोई दिक्कत नहीं हुई।
इस पर दारोगा ने न केवल उनकी बात अनसुनी की, बल्कि उनके साथ अभद्रता की। वीडियो में साफ दिख रहा है, कि उन्होंने अध्यक्ष को थप्पड़ जड़ा और गालियाँ भी दीं। इतना ही नहीं, समिति के मोबाइल फोन भी तोड़ दिए गए।
Gorakhpur Daroga Dabanggai पर जनता का गुस्सा

जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में लोगों ने इसे आस्था पर सीधा हमला बताया।
लोग कहने लगे
“एक तरफ सरकार नवरात्रि और दुर्गा पूजा के लिए सुरक्षा और व्यवस्था की बातें करती है, दूसरी तरफ पुलिस का यही चेहरा सामने आता है।”
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Gorakhpur Daroga Dabanggai अब सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोग लगातार प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
समिति की पीड़ा
समिति के सदस्य अमरनाथ निषाद ने मीडिया से कहा:
“हमने कभी भी सड़क पर अतिक्रमण नहीं किया। हर बार की तरह हमने नियमों का पालन करते हुए पंडाल लगाया। लेकिन चौकी इंचार्ज ने जबरन तोड़फोड़ की और हमारे अध्यक्ष पर हाथ उठा दिया। यह सिर्फ पंडाल नहीं टूटा, हमारी आस्था टूटी है।”
समिति ने मांग की है, कि संबंधित दारोगा को तुरंत निलंबित किया जाए और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए माफी माँगी जाए।
पुलिस प्रशासन की भूमिका
गोरखपुर पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले पर दबाव में है। हालांकि अधिकारियों का कहना है,कि “घटना की जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी।”
लेकिन सवाल यह है कि
क्या केवल जांच की बात कह देना ही पर्याप्त है?
क्या पुलिस के जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को धार्मिक स्थल पर इस तरह का व्यवहार करने की अनुमति दी जा सकती है।
समाज में गुस्सा और सवाल
इस घटना के बाद गोरखपुर ही नहीं, आसपास के जिलों में भी लोग चर्चा कर रहे हैं, कि जब पुलिस ही इस तरह की दबंगई करेगी तो आम आदमी किससे न्याय की उम्मीद करे?
सड़क पर खड़े लोगों का कहना था
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“दारोगा का काम कानून व्यवस्था संभालना है, आस्था का अपमान करना नहीं। अगर कोई दिक्कत थी तो समिति से बातचीत करते, लेकिन थप्पड़ मारना पुलिसिया दबंगई का चेहरा दिखाता है।”
धार्मिक आस्था बनाम पुलिसिया दबाव
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गोरखपुर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक शहर में जहां दुर्गा पूजा, रामलीला और अन्य धार्मिक आयोजन परंपरा का हिस्सा हैं, वहां इस तरह की घटना बेहद गंभीर है।
लोगों का कहना है कि
“नवरात्रि के समय दुर्गा पंडाल तोड़ना और अध्यक्ष को थप्पड़ मारना केवल एक व्यक्ति की बेअदबी नहीं बल्कि पूरे समाज की आस्था का अपमान है।”
सोशल मीडिया पर आवाज
सोशल मीडिया पर लोग लगातार Gorakhpur Daroga Dabanggai के हैशटैग के साथ पोस्ट कर रहे हैं।
कुछ लोग लिख रहे हैं: “यह सिर्फ गोरखपुर का मामला नहीं, यह हर उस आस्था का मामला है, जो पुलिस के डर के साये में है।”
कई लोगों ने वीडियो शेयर करते हुए कहा: “अगर आज आवाज नहीं उठेगी तो कल हर धर्मस्थल पर यही होगा।”
Gorakhpur Daroga Dabanggai राजनीति और प्रशासन पर दबाव
यह मामला अब राजनीतिक रंग भी ले रहा है। स्थानीय नेताओं ने प्रशासन से जवाब मांगा है। विपक्षी दल इसे सरकार की नाकामी बताकर मुद्दा बना रहे हैं।
इधर प्रशासन के बड़े अफसरों ने चौकी इंचार्ज से स्पष्टीकरण मांगा है। लेकिन जनता की मांग साफ है सिर्फ जांच नहीं, कार्रवाई हो।
न्याय की उम्मीद

Gorakhpur Daroga Dabanggai गोरखपुर की जनता की उम्मीद है, कि प्रशासन इस मामले में पारदर्शिता से काम करेगा और दोषी दारोगा के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा।
क्योंकि अगर पुलिस का यही चेहरा सामने आया तो लोगों का कानून व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा। और जब भरोसा खत्म हो जाता है, तो समाज में अराजकता पनपती है।
Gorakhpur Daroga Dabanggai गोरखपुर में हुई यह घटना सिर्फ एक थप्पड़ या पंडाल तोड़ने की नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आस्था बनाम पुलिसिया दबंगई का मामला है।
इसने यह सवाल खड़ा कर दिया है,कि क्या पुलिस अधिकारी अपनी ताकत का इस्तेमाल जनता की सुरक्षा के लिए करेंगे या फिर अपनी दबंगई दिखाने के लिए?
अब पूरा गोरखपुर और प्रदेश इंतजार कर रहा है,कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।
यह आर्टिकल उपलब्ध जानकारी, वायरल वीडियो और स्थानीय प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी व्यक्ति, संस्था या धर्म की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना नहीं है। पाठकों से आग्रह है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले प्रशासनिक जांच और आधिकारिक रिपोर्ट का इंतजार करें।
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