Gorakhpur Women Hospital गोरखपुर का 100 बेड महिला अस्पताल बना लूट का अड्डा मरीज बेबस इलाज में लापरवाही हावी
Gorakhpur Women Hospital गोरखपुर के 100-बेड महिला अस्पताल पर लूटखसोट और लापरवाही के आरोप। मरीजों को इलाज की जगह इंतज़ार और शोषण का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों की आवाज़ इलाज नहीं लूट हो रही है

Gorakhpur Women Hospital गोरखपुर का 100-बेड महिला अस्पताल, जो महिलाओं और नवजातों की ज़िंदगी बचाने का अहम केंद्र माना जाता है, इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है, कि यहां इलाज के नाम पर लूटखसोट की जा रही है। ऊपर से ओपीडी समय पर शुरू नहीं होती, जिससे गरीब और दूर-दराज़ से आने वाले लोग घंटों धूप और भीड़ में परेशान होते हैं। सवाल उठता है,क्या यह अस्पताल मरीजों के लिए है,या कुछ खास लोगों की कमाई का अड्डा बन गया है।
अस्पताल की लापरवाही ने बढ़ाई मरीजों की मुश्किलें
सुबह-सुबह अस्पताल पहुँचने वाले मरीजों को उम्मीद रहती है, कि डॉक्टर समय पर आएंगे और उनका इलाज शुरू होगा। लेकिन शिकायतें कुछ और ही कहती हैं। ओपीडी तय समय से देर से खुलती है। ऐसे में गर्भवती महिलाएँ, दर्द से कराहते मरीज और छोटे बच्चों की माताएँ लंबी लाइन में खड़ी होकर इंतज़ार करती रहती हैं। यह देरी उनकी तकलीफ को और बढ़ा देती है।
Gorakhpur Women Hospital गरीब मरीजों से मनमानी वसूली
अस्पताल में गरीब और मजबूर लोग ज्यादा आते हैं, जिन्हें सरकारी सुविधाओं पर भरोसा होता है। लेकिन आरोप है,कि कई बार उनसे ज़रूरत से ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं। दवाइयाँ और साधारण जांच भी बाहर से कराने की सलाह दी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है, जब सरकार ने सब्सिडी और मुफ्त सुविधाएँ दी हैं,तो मरीजों को लूटने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
परिजन बोले सरकारी अस्पताल का मतलब मुफ़्त इलाज, लेकिन हकीकत उलटी
Gorakhpur Women Hospital कुछ मरीजों के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर और स्टाफ खुलेआम कहते हैं,अगर जल्दी इलाज चाहिए तो पैसा दो। यह सुनकर लोग मजबूर होकर अपनी जेब से खर्च करते हैं। परिजनों की पीड़ा साफ़ झलकती है,
हम तो सरकारी अस्पताल आए थे कि खर्चा बचेगा, लेकिन यहां भी लूट हो रही है।
गरीब आदमी जाए तो कहाँ जाए? यहाँ भी पैसा दो, तभी इलाज मिलेगा।
OPD में देर का दर्द
एक गर्भवती महिला के पति ने बताया कि वह सुबह 7 बजे अस्पताल पहुँचे, लेकिन डॉक्टर करीब 10 बजे आए। इतने समय में मरीजों की हालत खराब हो चुकी थी। गर्मी, भीड़ और इंतज़ार ने हालात और खराब कर दिए।
सिस्टम पर सवाल
Gorakhpur Women Hospital इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल उठता है, कि आखिर सिस्टम की निगरानी कौन कर रहा है? क्या जिम्मेदार अधिकारी इन शिकायतों से अनजान हैं, या जानबूझकर आँखें मूँद रखी हैं? यह अस्पताल केवल नाम का सरकारी संस्थान बनकर रह गया है, जहाँ जनता की समस्याएँ सुनने वाला कोई नहीं।
Gorakhpur Women Hospital महिलाओं और बच्चों की सेहत से खिलवाड़
यह अस्पताल खासतौर पर महिलाओं और नवजातों की देखभाल के लिए बनाया गया था। लेकिन जब इलाज की जगह देरी और लूटखसोट हावी हो, तो इसका असर सीधे उन पर पड़ता है,जिनकी जिंदगी सबसे नाज़ुक होती है। किसी भी महिला का प्रसव अगर समय पर इलाज न मिलने के कारण बिगड़ जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
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Gorakhpur Women Hospital जनता की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी
गोरखपुर और आसपास के इलाकों से रोज़ सैकड़ों मरीज इस अस्पताल में आते हैं। गरीब परिवारों के लिए यह जगह उम्मीद की किरण होती है। लेकिन अब यही अस्पताल उनकी बेबसी का गवाह बन गया है। जनता की उम्मीद है,कि सरकार इन गंभीर आरोपों की जांच कराए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
Gorakhpur Women Hospital क्या सुधार होंगे
अस्पताल प्रबंधन पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
डॉक्टरों और स्टाफ की हाजिरी समय पर सुनिश्चित हो।
मुफ्त दवाइयाँ और सुविधाएँ सही मरीजों तक पहुँचें।
लूटखसोट में शामिल लोगों पर कार्रवाई की जाए।
मरीजों के लिए शिकायत निवारण हेल्पलाइन शुरू की जाए।
100-बेड महिला अस्पताल में हो रही लापरवाहियाँ और मनमानी वसूली गोरखपुर की जनता के लिए बड़ा आघात है। अस्पताल का काम मरीजों को राहत देना है, न कि उनकी जेब खाली करना। अब वक्त आ गया है,कि प्रशासन और सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले और अस्पताल को उसके असली मकसद जनसेवा की राह पर वापस लाए।
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डिस्क्लेमर
यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय लोगों से मिली जानकारी पर आधारित है। हमारा उद्देश्य केवल जनता की आवाज़ और शिकायतें उजागर करना है, किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं। अगर अस्पताल प्रशासन के पास इस विषय में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया है, तो उसे भी समान रूप से प्रकाशित किया जाएगा।
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