Kanpur Police Brutality ब्रिटिश रवैया नहीं बदला: कानपुर में पुलिस की दरिंदगी का नया चेहरा एक युवा की टाँग टूटी, न्याय की पुकार धरती पर गूजा
Kanpur Police Brutality कानपुर के किदवई नगर में उपनिरीक्षक अमित विक्रम त्रिपाठी द्वारा बाइक सवार युवक को घुटने से चोट पहुँचाने का वीडियो वायरल हुआ। डीसीपी साउथ ने आरोपी अधिकारी को लाइन हाजिर कर जांच शुरू की। घटना ने पुलिस के ब्रिटिश रवैये और इंसानियत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना की शुरुआत एक बाइक, एक डर, एक असहाय आदमी
Kanpur Police Brutality किदवई नगर, कानपुर: शाम का वक्त था। एक युवक अपनी बाइक पर चल रहा था। हवा में तेल की बू, सड़क थोड़ी ऊबड़-खाबड़, लोग घरों की आँगतों में लौट रहे थे। युवक की स्पीड ज़रा तेज़ थी पुलिस ने ओवरस्पीडिंग का हवाला देते हुए Sub-Inspector अमित विक्रम त्रिपाठी ने उसे रोका।
यह वह पल है, जब मामूली सी गलती ने युवक की ज़िंदगी बदल दी। युवक थमा बाइक, पर सजा नहीं दर्द मिली। उपनिरीक्षक ने घुटने से उसकी टांग पर जोरदार वार किया, युवक की चीत्कार सुनकर आस पास के लोग इकट्ठे हो गए, कुछ चिल्लाने लगे। युवक वहाँ गिर पड़ा, दर्द से तड़पता रहा।
Kanpur Police Brutality घायल युवक कौन है वह, कौन है उसका परिवार

अभी तक मीडिया रिपोर्ट्स में घायल युवक का नाम सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है। पर स्थानीय लोग बताते हैं,कि वह किडवई नगर बस उर्नापार का रहने वाला है, उम्र करीब 22-25 वर्ष। परिवार बेहद गरीब है, पिता मजदूरी करते हैं, मां घर चलाती हैं। युवक की तीस चालीस दिन की सुपारी का इंतज़ार है,कि अस्पताल से कब मिल सकेगा पूरा इलाज, क्योंकि चोट गहरी है, हड्डी में तकलीफ, चलने में दिक्कत, रात को नींद नहीं।
उसके भाई-बहन, मोहल्ले वाले भी डरते हैं। “अगर पुलिस वाला सार्वजनिक जगह पर ऐसा कर सकता है,” उसकी मां कहती हैं, “तो कहीं और किसी ने कुछ और न कर दिया हो।”
Kanpur Police Brutality आरोपी और कार्रवाई नाम, पद, जिम्मेदारी
अभियुक्त अधिकारी: उपनिरीक्षक अमित विक्रम त्रिपाठी किदवई नगर थाना क्षेत्र में तैनात। वीडियो में वही देखा गया है,कि उसने युवक की चोट पहुँचाई।
लाइन हाजिर किए गए अधिकारी: किदवई नगर के उस आउटपोस्ट इंचार्ज को लाइन हाजिर किया गया यानी जब तक जांच पूरी नहीं होती, वह अपनी ड्यूटी से हटाया गया।
विभागीय आदेश: यह कार्रवाई डीसीपी साउथ कानपुर ने की है।
आधिकारिक बाईट: एसीपी बावपुरवा ने पत्रकारों को बताया कि वीडियो और शिकायत मिलते ही मामला गंभीरता से लिया गया है, जांच चल रही है, दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।
Kanpur Police Brutality बाकी जो बातें अभी स्पष्ट नहीं हुईं अहम सवाल
घायल युवक का पूरा नाम, सूचना या अस्पताल रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है।
बताया जाता है कि डॉक्टरों ने टांगे की हड्डी में कोई फ्रैक्चर है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हुई है, क्लीन एक्स-रे रिपोर्ट अभी नहीं मिली मीडिया को।
यह भी पता नहीं है,कि घायल युवक ने मुआवज़ा मांगा है,या पुलिस से कानूनी शिकायत दर्ज कराई है, पुलिस या प्रशासन की तरफ़ से कोई सार्वजनिक माफी अथवा बयान अभी तक नहीं।
घटना के वक्त बाइक चलते हुए क्या स्पीड थी पुलिस का माप तौल या साक्ष्य मौजूद हैं, या नहीं यह भी अस्पष्ट है।
Kanpur Police Brutality जनता की प्रतिक्रिया आक्रोश और आवाज़ें
यह वीडियो वायरल होते ही इलाके में गुस्सा फैल गया। लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इतनी आसानी से इंसानियत कैसे भूल जाती है? मोहर्रम हो, ईद हो या रोज़ की रोटी की लड़ाई सामान्य नागरिक को पुलिस का डर क्यों सताए?
मुहल्ले के बुज़ुर्ग, दुकानदार, छात्र सब बोल रहे हैं,कि “युवा सुबह सुबह निकलता है, कही पुलिस से सामना न हो जाए,” “यहां न्याय सिर्फ शब्दों में है।”
समाजसेवी समूहों ने कहा है, कि पुलिस को प्रशिक्षण देना चाहिए सिर्फ कानून लागू करना नहीं, इंसान के दर्द को समझना भी सीखना चाहिए।
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Kanpur Police Brutality विभाग की जिम्मेदारी कार्रवाई ही नहीं, भरोसा भी चाहिए
यदि पुलिस महकमा चाहता है, कि जनता उस पर विश्वास करे, तो सिर्फ लाइन हाजिर करना या जांच की घोषणा करना ही पर्याप्त नहीं है। ये कदम जरूरी हैं,लेकिन बात सिर्फ दिखावे की नहीं होनी चाहिए।
युवक को पूरी चिकित्सा देखभाल, जुएँ मुआवज़ा देना चाहिए।
घटना की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए हो सके तो मानवाधिकार आयोग या किसी नागरिक निगरानी दल की भागीदारी हो।
दोषी अधिकारी को सिर्फ पद से हटाना नहीं, सजा हो, कानूनी, विभागीय हर तरह की कार्रवाई हो।
पुलिस बल को मानव गरिमा, संवेदनशीलता, अधिकारों की समझ की ट्रेनिंग नियमित दी जाए।
Kanpur Police Brutality संकल्प की पुकार
इस घटना ने हम सभी को झकझोर दिया है। यह सिर्फ एक युवा की कहानी नहीं है; यह हमारी सभ्यता, हमारा लोकतंत्र, इंसान होने की हमारी पहचान है।
Kanpur Police Brutality ब्रिटिश राज तो गया हो सकता है, लेकिन यदि पुलिस की वर्दी में वही डर, वही अत्याचार बचे रहने दें तब बदलाव सिर्फ नाम का होगा।
अब वक्त है,कि न्याय हो; वक्त है, कि इंसानियत जी उठे; वक्त है, कि हर युवा अपनी ज़िंदगी बिना डर के जी सके।
Disclaimer
Kanpur Police Brutality यह लेख उन समाचारों, वायरल वीडियो एवं शुरुआती ज़रूरतों पर आधारित है, जो अभी सार्वजनिक हैं। कुछ तथ्य निश्चित नहीं हैं, क्योंकि अधिकारी रिपोर्ट और मेडिकल ऋणात्मक जानकारी अभी आम जनता को उपलब्ध नहीं हुई है। आगे जो भी पुष्ट विवरण आएँगे, उन्हें इस लेख में सुधार किया जाएगा।
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