Kanpur revenue department corruption कानूनगो आलोक दुबे और लेखपाल अरुण द्विवेदी पर 30 करोड़ की संपत्ति का खुलासा, डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने की कड़ी कार्रवाई
Kanpur revenue department corruption कानपुर में कानूनगो आलोक दुबे और लेखपाल अरुण द्विवेदी पर 30 करोड़ की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने सख्त कार्रवाई कर आलोक दुबे को डिमोट कर दिया और जांच के आदेश दिए।
Kanpur revenue department corruption कानपुर से सामने आई यह खबर लोगों को हैरान कर रही है। यह कहानी किसी आम आदमी की नहीं बल्कि राजस्व विभाग में तैनात एक कर्मचारी की है, जिस पर भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति बनाने का गंभीर आरोप लगा है। कानूनगो आलोक दुबे और लेखपाल अरुण द्विवेदी पर आरोप है,कि उन्होंने जमीनों की खरीद-फरोख्त और अभिलेखों में गड़बड़ी करके करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली। जांच के बाद पता चला कि आलोक दुबे के पास लगभग 30 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
इस खुलासे ने जिले में हलचल मचा दी। लोग हैरान थे कि आखिर एक कर्मचारी इतने कम समय में इतनी बड़ी संपत्ति का मालिक कैसे बन गया। जब शिकायतें बढ़ीं तो जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने मामले की गंभीरता को समझा और सख्त कदम उठाए।
Kanpur revenue department corruption कैसे हुआ खुलासा

यह मामला अचानक सामने नहीं आया। लंबे समय से ग्रामीण और किसान आलोक दुबे और अरुण द्विवेदी की कार्यप्रणाली से परेशान थे। वे लोग बार-बार अधिकारियों से शिकायत कर रहे थे कि जमीन के कागजातों में हेराफेरी हो रही है, और विवादित प्लॉटों पर गलत तरीके से कब्जा कराया जा रहा है।
की एक लंबी सूची जिलाधिकारी तक पहुंची। इन शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई हुई। जब जांच शुरू की गई तो परत-दर-परत खुलासे होते गए। यह साफ हो गया कि आलोक दुबे और अरुण द्विवेदी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और जमीनों के सौदों में गड़बड़ी की।
Kanpur revenue department corruption शिकायतकर्ताओं के नाम
जिन लोगों ने हिम्मत जुटाकर जिला अधिकारी को शिकायतें दीं, उनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं।
रामनारायण शुक्ला
सत्येंद्र सिंह
विनोद अवस्थी
गंगा प्रसाद यादव
इन लोगों का आरोप था कि उनकी जमीनों को गलत तरीके से बेच दिया गया या अभिलेखों में ऐसे बदलाव कर दिए गए कि उनका हक उनसे छीन लिया गया।
Kanpur revenue department corruption कौन कौन से आरोप लगे
1. जमीनों की गलत रजिस्ट्री कई विवादित जमीनों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेचने के आरोप लगे।
2. अभिलेखों में हेराफेरी जमीन के असली मालिक का नाम हटाकर किसी और का नाम चढ़ा दिया गया।
3. भूमाफियाओं से सांठगांठ यह आरोप भी सामने आया कि आलोक दुबे और अरुण द्विवेदी ने भूमाफियाओं से मिलकर गरीब किसानों की जमीन हड़पने का काम किया।
4. अवैध संपत्ति बनाना जांच में यह साफ हुआ कि आलोक दुबे ने अपनी आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की है।
Kanpur revenue department corruption दुबे की संपत्ति का ब्योरा
जांच में जो तथ्य सामने आए, वे चौंकाने वाले थे।
कानपुर शहर और देहात में कई प्लॉट और मकान
विवादित कृषि भूमि
लग्जरी गाड़ियां
बैंक खातों में लाखों रुपये
करोड़ों की कीमत की एफडी और नकदी
इन सबको जोड़ने पर संपत्ति का मूल्य लगभग 30 करोड़ रुपये निकला।
Kanpur revenue department corruption लेखपाल अरुण द्विवेदी की भूमिका
लेखपाल अरुण द्विवेदी पर आरोप है ,कि उन्होंने आलोक दुबे की मदद की। जमीन नाप जोख और अभिलेखों की प्रविष्टियों में गलतियां जानबूझकर की गईं। ग्रामीणों का कहना है,कि जब भी कोई शिकायत करता, तो उन्हें महीनों तक दफ्तरों के चक्कर लगवाए जाते और फिर भी सही जानकारी नहीं दी जाती थी।
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की कार्रवाई
जब मामला सामने आया तो जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने तुरंत कदम उठाए।
आलोक दुबे को कानूनगो से डिमोट कर लेखपाल बना दिया गया।
उसकी सेवा पुस्तिका में परिनिन्दा प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश दिया गया।
लेखपाल अरुण द्विवेदी के खिलाफ भी कार्रवाई की गई और जांच का आदेश दिया गया।
पूरे प्रकरण की गहराई से जांच के लिए जिला स्तरीय समिति गठित की गई।
डीएम की इस सख्ती से लोगों में यह संदेश गया कि भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
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Kanpur revenue department corruption लोगों की प्रतिक्रिया
गांव और शहर दोनों जगहों पर इस घटना की चर्चा हो रही है। ग्रामीणों का कहना है,कि वे सालों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे और अब जाकर उनकी आवाज सुनी गई।
एक शिकायतकर्ता ने कहा
“हमारी मेहनत की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करा दिया गया। अब जाकर प्रशासन ने हमें सुना है। हमें उम्मीद है,कि हमारी जमीन वापस मिलेगी।”
Kanpur revenue department corruption बड़ा सवाल
क्या सिर्फ आलोक दुबे को डिमोट कर देने से मामला खत्म हो जाएगा?
जिन किसानों की जमीनें हड़पी गईं, उन्हें कब इंसाफ मिलेगा?
क्या भूमाफियाओं से जुड़े बाकी लोगों पर भी कार्रवाई होगी?
क्या भविष्य में ऐसे मामले फिर नहीं होंगे?
ये सवाल अभी भी लोगों के मन में हैं और प्रशासन को इनका जवाब देना होगा।
कानपुर का यह मामला दिखाता है,कि भ्रष्टाचार कितना गहरा है। अगर लोग आवाज न उठाते तो शायद यह खुलासा कभी न होता। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कार्रवाई कर एक संदेश दिया है, कि गलत करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन यह भी जरूरी है,कि पीड़ित किसानों को न्याय मिले और दोषियों पर कड़ी से कड़ी सजा हो।
डिस्क्लेमर
यह आर्टिकल उपलब्ध तथ्यों और जिला प्रशासन की कार्रवाई पर आधारित है। इसमें दिए गए नाम शिकायतों और जांच में सामने आए हैं। दोष सिद्ध करना अदालत और आधिकारिक जांच का विषय है। लेख का उद्देश्य केवल सूचना देना है, किसी व्यक्ति की छवि को ठेस पहुंचाना नहीं।