बलरामपुर में 11 करोड़ का Mid Day Meal Scam उजागर फर्जी छात्रों के नाम पर उड़ाया गया बजट, 44 लोग गिरफ्तार सूची में, जिला समन्वयक मास्टरमाइंड
बलरामपुर में Mid Day Meal Scam का 11 करोड़ रुपये का खुलासा, जिला समन्वयक सहित 44 लोगों पर FIR, फर्जी छात्रों के नाम पर बजट निकाला गया, पुलिस जांच जारी।

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में Mid Day Meal Scam का अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस घोटाले में लगभग 11 करोड़ रुपये की हेराफेरी उजागर हुई है। यह खुलासा तब हुआ जब बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने कई विद्यालयों और मदरसों की जांच करवाई और पाया कि छात्रों की वास्तविक संख्या और रिकॉर्ड में दर्ज संख्या में भारी अंतर है। इसी मामले में जिला समन्वयक फिरोज अहमद खान और कुल 44 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। यह पूरा मामला न सिर्फ धोखाधड़ी का, बल्कि उन बच्चों के अधिकारों पर चोट का भी है, जिनके लिए Mid Day Meal की योजना शुरू की गई थी।
जांच में सामने आया कि कई स्कूलों और मदरसों में वास्तविक छात्र संख्या बेहद कम थी, लेकिन कागजों पर संख्या कई गुना बढ़ाकर दिखाई जा रही थी। इसी आधार पर हर महीने लाखों रुपये का बजट जारी किया जाता रहा। यह पूरा खेल वर्षों तक बिना रोक-टोक चलता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी कि Mid Day Meal Scam के नाम पर शिक्षा विभाग का बजट धीरे धीरे लूटा जा रहा है। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि कई विद्यालयों में दाखिले सिर्फ दस्तावेजों पर थे, जबकि जमीन पर छात्र मौजूद ही नहीं थे।
FIR में नामजद जिला समन्वयक फिरोज अहमद खान को इस Mid Day Meal Scam का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। उनके अलावा तीन मदरसों के प्रधानाचार्य, पांच ग्राम प्रधान, पांच परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और कई स्थानीय कर्मियों पर भी गहरी संलिप्तता के आरोप लगे हैं। कई जगहों पर उपस्थिति रजिस्टर, नामांकन रिकॉर्ड, और मस्टर रोल ऐसे बदले गए कि पता ही न चले कि जिन छात्रों के नाम पर खाना दिखाया जा रहा है, वे असल में मौजूद भी नहीं थे। यह घोटाला साबित करता है,कि सिस्टम को अंदर से पकड़कर रखने वाला यह भ्रष्टाचार कितना गहरा है।
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इस मामले में पुलिस ने तेजी दिखाते हुए FIR दर्ज होते ही जांच की कमान संभाल ली है। अधिकारियों का कहना है, कि यह घोटाला बहुत बड़े नेटवर्क का हिस्सा है, और जांच के दौरान कई और नाम सामने आ सकते हैं। Mid Day Meal Scam जैसे मामलों के लिए सरकार डिजिटल मॉनिटरिंग, बायोमेट्रिक उपस्थिति और ऑनलाइन सत्यापन जैसी आधुनिक व्यवस्था की जरूरत महसूस कर रही है,ताकि भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार को रोका जा सके। फिलहाल शिक्षा विभाग में इस खुलासे के बाद भारी हड़कंप मचा हुआ है।
यह पूरा प्रकरण यह सोचने पर मजबूर करता है,कि जब बच्चों के भोजन जैसी संवेदनशील योजना में इतनी बड़ी हेराफेरी हो सकती है, तो अन्य योजनाएं कितनी सुरक्षित होंगी? यह घटना शिक्षा व्यवस्था के भीतर मौजूद खामियों को उजागर करती है, और बताती है, कि Mid Day Meal Scam जैसे मामले सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि समाज और बच्चों के भविष्य पर सीधा प्रभाव डालते हैं। इस घोटाले ने राज्य की प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं, और आने वाले समय में इस केस से शिक्षा विभाग की मॉनिटरिंग सिस्टम में बड़े बदलाव देखने की उम्मीद है।
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध सूचनाओं और प्रारंभिक जांच रिपोर्टों पर आधारित है। आरोपित सभी व्यक्तियों की दोष सिद्धि न्यायालय और जांच एजेंसियों के अंतिम निष्कर्ष पर निर्भर करेगी। यह लेख केवल सूचना और जनजागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है।
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