Panchayat Election Fraud मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: प्रधानी चुनाव से पहले सैबसू पंचायत में उजागर हुआ Panchayat Election Fraud

Written by: akhtar husain

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कानपुर की सैबसू ग्राम पंचायत में प्रधानी चुनाव से पहले बड़ा Panchayat Election Fraud सामने आया। मनरेगा मजदूरी और निर्माण कार्यों में भारी घोटाला पकड़ा गया। ग्राम प्रधान समेत 15 पर कार्रवाई, 26 लाख की वसूली का आदेश।

 प्रधानी चुनाव से पहले सैबसू पंचायत में बड़ा घोटाला, प्रशासन ने पकड़ा Panchayat Election Fraud

मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: प्रधानी चुनाव से पहले सैबसू पंचायत में उजागर हुआ Panchayat Election Fraud
मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: प्रधानी चुनाव से पहले सैबसू पंचायत में उजागर हुआ Panchayat Election Fraud

यूपी में पंचायत चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, गांवों में हलचल भी तेज़ हो गई है। लेकिन इसी बीच कानपुर के बिल्हौर ब्लॉक की सैबसू ग्राम पंचायत से एक ऐसी चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद जांच में पता चला कि मनरेगा मजदूरी और विकास कार्यों के नाम पर महीनों तक फर्जीवाड़ा चलता रहा। यह मामला साफ तौर पर Panchayat Election Fraud के तौर पर देखा जा रहा है,क्योंकि चुनावी माहौल में भ्रष्टाचार की यह घटना ग्रामीण राजनीति को झकझोरने वाली है।

जांच टीम ने पाया कि कागजों पर फर्जी मस्टररोल बनाए गए, मजदूरों की नकली हाजिरी लगाई गई और निर्माण कार्य सिर्फ फाइलों में पूरे दिखाए गए। जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट थी। इसी कारण यह पूरा मामला प्रशासन के रडार पर आया और इसे चुनावी भ्रष्टाचार से जुड़ा गंभीर Fraud माना गया। ग्रामीणों के मुताबिक, चुनाव से पहले इस तरह का Panchayat Election Fraud न सिर्फ लोकतंत्र को चोट पहुंचाता है, बल्कि विकास कार्यों का भी दम घोंट देता है।

 लोकपाल की जांच में खुली परतें 17 विकास कार्य मिले फर्जी, गहराया Panchayat Election Fraud

शिकायत के बाद लोकपाल दिनेश कुमार ने जब सैबसू ग्राम पंचायत का निरीक्षण किया, तब पूरे घोटाले का काला सच सामने आ गया। वर्ष 2024–25 और 2025–26 के दौरान मनरेगा के तहत 17 विकास कार्य दिखाए गए थे, जिनमें चक रोड, नाला और इंटरलॉकिंग शामिल थे। लेकिन मौके पर न तो काम मिले, न ही उनकी कोई वास्तविक प्रगति।

यहां से साफ हो गया कि यह सामान्य गड़बड़ी नहीं, बल्कि योजनाबद्ध Panchayat Election Fraud था। ग्राम प्रधान और सचिवों की मिलीभगत से फर्जी निर्माण दिखाकर लाखों रुपये निकाल लिए गए। मस्टररोल पर जिन मजदूरों के नाम थे, वे खुद हैरान थे क्योंकि उन्होंने कभी कोई काम किया ही नहीं था।

तकनीकी सहायकों और लेखा कर्मियों तक की भूमिका संदिग्ध पाई गई। मनरेगा जैसी पारदर्शी योजना का दुरुपयोग करके चुनावी अवधि में इतना बड़ा Fraud होना अधिकारियों के लिए भी गंभीर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर जांच समय पर न होती, तो यह Panchayat Election Fraud और भी बड़े स्तर पर फैल सकता था।

 15 आरोपी कर्मचारी और प्रधान पर बड़ा एक्शन, 26 लाख की Recovery Panchayat Election Fraud पर सख्ती

मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन ने रिपोर्ट आते ही कठोर कार्रवाई का आदेश दिया। घोटाले में सीधे शामिल 15 लोगों पर एक साथ कार्रवाई हुई। इनमें ग्राम प्रधान विमलेश मिश्रा, तीन सचिव संदीप ज्ञानवीर, शिवपाल, रोहन कनौजिया तकनीकी सहायक प्रमोद कुमार, इंद्र कुमार, ललित कुमार, लेखा सहायक प्रदीप तिवारी और अन्य कर्मचारी शामिल हैं।

इन सभी पर 26 लाख रुपये की वसूली का आदेश जारी किया गया है। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए
 सेवा समाप्ति का नोटिस,
 विभागीय कार्रवाई,
 पद दुरुपयोग पर अतिरिक्त जुर्माना,
 और तीन बीडीओ को जवाब तलब

जैसी कार्रवाइयाँ की गई हैं।

इतनी बड़ी कार्रवाई से साफ है, कि प्रशासन अब Panchayat Election Fraud को किसी भी सूरत में बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। चुनावी माहौल में घोटालों पर सख्ती का यह संकेत पूरे जिले के लिए संदेश है,कि भ्रष्टाचार पर कोई ढिलाई नहीं दी जाएगी।

 चुनावी माहौल में Panchayat Election Fraud का बढ़ता खतरा, क्या हैं इसकी असल वजहें?

पंचायत चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने, फर्जी काम दिखाकर वोटबैंक मजबूत करने और ग्रामीणों को भ्रमित करने के लिए इस तरह के घोटाले अक्सर सामने आते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है, कि मनरेगा जैसी योजनाओं में Fraud अधिकतर उन जगहों पर होता है जहां निगरानी कमजोर होती है।

रिपोर्ट्स दर्शाती हैं, कि फर्जी मस्टररोल, बोगस भुगतान, नकली निर्माण और फर्जी दस्तावेज Panchayat Election Fraud के सबसे आम हथियार हैं। चुनाव की तैयारी जारी होने के कारण नेता और अधिकारी तेज़ी से कागजों पर काम पूरा दिखाकर खुद को सक्रिय या सक्षम सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। इसी कारण इस तरह के घोटाले चुनावी समय में सबसे ज्यादा पनपते हैं।

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अगर प्रशासन समय रहते हस्तक्षेप न करता, तो सैबसू गांव में यह Panchayat Election Fraud लाखों नहीं बल्कि करोड़ों का खेल बन सकता था। ऐसे मामलों से यह तो साफ है,कि ग्रामीण विकास की सबसे बड़ी दुश्मन भ्रष्ट मानसिकता है और इसे रोकना केवल जांच और कार्रवाई से ही संभव है।

 मनरेगा में Fraud रोकने के आधुनिक तरीके कैसे बच सकता है Panchayat Election Fraud?

मनरेगा को देशभर में पारदर्शी बनाने के लिए कई आधुनिक कदम उठाए गए हैं, लेकिन जहां सिस्टम को कमजोर करने का प्रयास होता है, वहां Fraud होने की संभावना बनी रहती है। विशेषज्ञ बताते हैं, कि निम्न उपाय Panchayat स्तर पर Panchayat Election Fraud को काफी हद तक रोक सकते हैं:

मस्टररोल का पूरा डिजिटलीकरण

जियो-टैग्ड फोटो और वीडियो प्रमाण

सोशल ऑडिट की अनिवार्यता

ऑनलाइन पेमेंट और आधार-आधारित सत्यापन

ग्रामीण निगरानी समिति का गठन

इन उपायों से नकली भुगतान, फर्जी हाजिरी और कागजी निर्माण जैसे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है,कि सैबसू प्रकरण एक सबक है,और भविष्य में ऐसे Panchayat Election Fraud पर और भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

 Disclaimer यह लेख उपलब्ध सरकारी जानकारी, मीडिया रिपोर्ट्स और जांच दस्तावेजों के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी आरोपी की अंतिम जिम्मेदारी न्यायिक और प्रशासनिक निष्कर्षों पर निर्भर करेगी। लेख का उद्देश्य केवल सूचनात्मक है, किसी की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं।

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