नहीं रहे पोप फ्रांसिस, लंबे समय से बीमार थे, वेटिकन सिटी में 88 साल की उम्र में निधन!
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था, अब हमारे बीच नहीं रहे। pope-francis-has-died-vatican-long-time- 88 वर्ष की उम्र में वेटिकन सिटी में उन्होंने अंतिम सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रहे पोप फ्रांसिस ने दुनिया को दया, सेवा और सादगी का एक अनमोल संदेश दिया। उनका निधन न केवल कैथोलिक समुदाय के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर क्षति है।
प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक यात्रा
17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे जॉर्ज बेर्गोलियो ने युवावस्था में ही धार्मिक जीवन को अपनाने का निर्णय लिया। 1958 में उन्होंने जेसुइट संप्रदाय में प्रवेश किया और 1969 में पादरी बने। वे शिक्षा, दर्शन और सामाजिक सेवा में अग्रणी रहे।
1998 में उन्हें ब्यूनस आयर्स का आर्चबिशप नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने गरीबों और वंचितों के बीच काम किया। उनकी सादगी और सेवा भाव ने उन्हें जनप्रिय बना दिया।
13 मार्च 2013 को कार्डिनल बेर्गोलियो को कैथोलिक चर्च का 266वां पोप चुना गया। उन्होंने “फ्रांसिस” नाम अपनाया – यह नाम उन्होंने संत फ्रांसिस ऑफ असिसी के सम्मान में चुना, जो सादगी और शांति के प्रतीक थे।
उनका चुनाव ऐतिहासिक था क्योंकि:
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वे पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे
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पहले जेसुइट पोप
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और 1,200 वर्षों के बाद पहले गैर-यूरोपीय पोप बने
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और अंतिम समय
हाल के वर्षों में पोप फ्रांसिस कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, जिनमें क्रॉनिक सायटिका, 2021 की बड़ी आंत की सर्जरी, और सांस की समस्याएं प्रमुख थीं। अंतिम महीनों में वे व्हीलचेयर तक सीमित हो गए थे, फिर भी अपने कार्यों और भाषणों को जारी रखा।
उनकी अंतिम घड़ियों में, वेटिकन के सूत्रों के अनुसार, वे गहन देखभाल में थे और चिकित्सा टीम लगातार निगरानी कर रही थी। रविवार सुबह उनका निधन हुआ।
पोप फ्रांसिस की अमूल्य विरासत
1. वेटिकन में सुधार
उन्होंने वेटिकन बैंक में पारदर्शिता और जवाबदेही लागू की। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए और कई संस्थागत सुधार किए।
2. गरीबों और जरूरतमंदों के पक्षधर
पोप फ्रांसिस हमेशा गरीबों, शरणार्थियों और वंचितों के साथ खड़े रहे। उन्होंने चर्च और विश्व नेताओं से बार-बार सामाजिक न्याय की अपील की।
3. पर्यावरण पर वैश्विक अपील
उनकी प्रसिद्ध एनसाइक्लिकल “लौदातो सी'” के माध्यम से उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी को सामने रखा। pope-francis-has-died-vatican-long-time-
4. सामाजिक मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण
उन्होंने कई विवादास्पद मुद्दों पर लचीला और करुणामय रुख अपनाया:
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LGBTQ+ समुदाय की स्वीकृति
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तलाकशुदा और पुनर्विवाहित व्यक्तियों की सहभागिता
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महिलाओं की भूमिका पर खुली चर्चा
विश्व भर में शोक और श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर फैलते ही दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई। सेंट पीटर्स बेसिलिका, रोम में घंटियां बजीं, और विश्व भर के चर्चों में प्रार्थनाएं आयोजित की गईं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अमेरिका के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री, और विभिन्न धर्मों के प्रमुखों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। pope-francis-has-died-vatican-long-time-
pope-francis-has-died-vatican-long-time- वेटिकन की अगली प्रक्रिया: उत्तराधिकारी और अंतिम संस्कार
राजकीय अंतिम संस्कार
उनका पार्थिव शरीर सेंट पीटर्स बैसिलिका में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार वैश्विक उपस्थिति में होगा – प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष और धार्मिक नेता इसमें सम्मिलित होंगे।
कार्डिनल परिषद (College of Cardinals) शीघ्र ही कन्क्लेव में एकत्र होगी ताकि नए पोप का चुनाव किया जा सके। माना जा रहा है कि उनके द्वारा नियुक्त कई कार्डिनल संभावित उत्तराधिकारी हो सकते हैं। pope-francis-has-died-vatican-long-time-
विश्व कैथोलिक समुदाय पर प्रभाव
पोप फ्रांसिस की शिक्षाएं और कार्यों ने चर्च को आधुनिक युग के करीब लाया। pope-francis-has-died-vatican-long-time- उन्होंने सत्ता की भव्यता को त्याग कर सेवा की सरलता अपनाई। उनका व्यक्तित्व, भाषण और निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
एक विनम्र सेवक की विदाई
पोप फ्रांसिस का जीवन सच्चे अर्थों में “ईश्वर की सेवा में मानवता” के लिए समर्पित रहा। उन्होंने सादगी, करुणा और न्याय के माध्यम से दुनिया को बदलने का प्रयास किया। उनके निधन से युग का अंत हुआ है, लेकिन उनकी शिक्षाएं सदैव जीवित रहेंगी। pope-francis-has-died-vatican-long-time-
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