Waqf Property Registration Deadline खत्म: लाखों संपत्तियाँ बाहर, अब ट्रिमिनल कोर्ट प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य

Written by: akhtar husain

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Waqf Property Registration Deadline खत्म: लाखों संपत्तियाँ बाहर, अब ट्रिमिनल कोर्ट प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य

Waqf Property Registration की समयसीमा पूरी। लाखों वक्फ संपत्तियाँ रजिस्ट्रेशन से बाहर; जानिए कानून, उम्मीद पोर्टल, ट्रिमिनल कोर्ट प्रक्रिया और धार्मिक संपत्ति अधिकार पर पूरा विश्लेषण।

भारत में Waqf Property Registration को लेकर उठी बहस ने धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों की सुरक्षा, सरकारी पारदर्शिता और संवैधानिक समानता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की सरकारी समयसीमा खत्म होने के बाद लाखों वक्फ संपत्तियाँ अब भी डिजिटल रिकॉर्ड से बाहर हैं, जिससे वक्फ कमेटियों, मुतवल्लियों और समुदाय में गहरी चिंता पैदा हो गई है।

Waqf Property Registration Deadline खत्म: लाखों संपत्तियाँ बाहर, अब Criminal Court प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य
Waqf Property Registration Deadline खत्म: लाखों संपत्तियाँ बाहर, अब Criminal Court प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य

सरकार द्वारा शुरू किए गए उम्मीद पोर्टल का उद्देश्य Digital Waqf Record तैयार करना था, ताकि वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता आए और अवैध कब्जे या दुरुपयोग पर रोक लगे। लेकिन देशभर में मौजूद 8–9 लाख वक्फ संपत्तियों में से केवल लगभग 1.51 लाख संपत्तियाँ ही रजिस्टर हो पाईं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी, दस्तावेज़ों की जटिलता, तकनीकी समस्याओं और जानकारी के अभाव के कारण कई लोग इस प्रक्रिया को समय पर पूरा नहीं कर सके।

Waqf Property Registration सरकार अब कह रही है कि जिन्होंने रजिस्ट्रेशन की कोशिश की, लेकिन पूरा नहीं कर पाए, उन्हें तीन महीने की और मोहलत दी जाएगी। हालांकि, यह सवाल जस का तस है कि इतने विशाल डेटा के लिए छह महीने पर्याप्त थे या नहीं। साथ ही, समुदाय यह भी पूछ रहा है कि जब मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा और अन्य धार्मिक संपत्तियों को ऐसे अनिवार्य डिजिटल पंजीकरण की बाध्यता नहीं है, तो सिर्फ वक्फ संपत्तियों पर ही इतना जोर क्यों?

इसी बीच एक महत्वपूर्ण कानूनी पहलू भी सामने आया है,
जिन वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन उम्मीद पोर्टल पर नहीं हुआ है, उन्हें अब ट्रिमिनल कोर्ट के माध्यम से एक निश्चित समय सीमा लेकर जल्द से जल्द पोर्टल पर रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा।

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Waqf Property Registration इसका मतलब है कि वक्फ संपत्ति के देखभालकर्ता (मुतवल्ली) को अब न्यायालय की अनुमति लेकर अपनी संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड पूरा करना होगा। यह प्रक्रिया अधिक औपचारिक, समय लेने वाली और कानूनी दस्तावेज़ों पर आधारित होगी।

संवैधानिक दृष्टि से देखें तो आर्टिकल 25 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जबकि आर्टिकल 14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। यदि धार्मिक संपत्ति कानून केवल एक समुदाय की संपत्तियों पर लागू होते दिखाई दें, तो यह संवैधानिक समानता के सिद्धांत पर गहरी बहस खड़ी कर सकता है।

Waqf Property Registration समुदाय का कहना है कि वक्फ की पारदर्शिता जरूरी है, लेकिन प्रक्रिया सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की जटिलता और समयसीमा की कमी ने कई को चिंतित किया है कि कहीं धार्मिक संपत्तियों पर अवांछित नियंत्रण न हो जाए।

इस पूरी प्रक्रिया ने देशभर में वक्फ मैनेजमेंट, Minority Rights India और Religious Property Law की वर्तमान स्थिति पर नए प्रश्न खड़े किए हैं। रजिस्ट्रेशन का उद्देश्य सकारात्मक हो सकता है, लेकिन उसकी कार्यप्रणाली निष्पक्ष, आसान और समुदाय-हितैषी होनी चाहिए।

अंततः, जो संपत्तियाँ अब भी डिजिटल रजिस्ट्रेशन से बाहर हैं, उनके लिए ट्रिमिनल कोर्ट के माध्यम से समय सीमा लेना और उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन पूरा करना अब कानूनी रूप से आवश्यक बन गया है। समुदाय, मुतवल्लियों और सरकार  तीनों को मिलकर इस प्रक्रिया को पारदर्शी, न्यायसंगत और आसान बनाना होगा, तभी यह पहल वास्तव में सफल कही जाएगी।

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akhtar husain

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