“अटारी व्यापारियों का PM मोदी के फैसले को समर्थन, बोले- ‘देश पहले, खाना-पीना बाद में'”
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया। इस फैसले से दोनों देशों के बीच व्यापार और आवागमन पर गहरा असर पड़ा है। हालांकि, अटारी के व्यापारियों ने इस कदम का खुला समर्थन किया है। उनका कहना है कि देश की सुरक्षा पहले है, और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर फैसले के साथ खड़े हैं। यह लेख अटारी के व्यापारियों की भावनाओं और उनके बलिदान की भावना को दर्शाता है।
अटारी व्यापारियों की भावना
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए। इनमें अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना भी शामिल है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है। इस फैसले से अटारी के व्यापारियों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने इसे राष्ट्रीय हित में स्वीकार किया है।
एक स्थानीय ढाबा संचालक मंजीत सिंह ने कहा, “हमारा खाना-पीना तो किसी तरह चलता रहेगा, लेकिन पहलगाम में जो हुआ, वह बहुत गलत था। हम देश के साथ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला सही है।”
इसी तरह, एक पंजाबी व्यापारी ने कहा, “पर्यटकों पर हमला गलत है। व्यापार बंद हो जाए तो कोई बात नहीं। मैं देश और प्रधानमंत्री के साथ हूँ। वो जो भी फैसला लेते हैं, सही होता है, हम सब उनके साथ हैं।” यह भावना X पर कई पोस्ट्स में भी देखी गई, जहां व्यापारियों ने इसे “सच्चा राष्ट्रवाद” करार दिया।
अटारी-वाघा बॉर्डर का महत्व
अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र सड़क संपर्क है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक रहा है। 2023-24 में इस बॉर्डर के माध्यम से 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था। यहाँ से मुख्य रूप से ताजे फल, सब्जियाँ, और अन्य सामान का आयात-निर्यात होता है। “अटारी व्यापारियों का PM मोदी के फैसले को समर्थन, बोले- ‘देश पहले, खाना-पीना बाद में'” बॉर्डर बंद होने से स्थानीय व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, और ढाबा मालिकों को भारी नुकसान हुआ है।
सरकार का फैसला और व्यापारियों का समर्थन
भारत सरकार ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और कई कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि का निलंबन, वीजा नियमों में सख्ती, और राजनयिक संबंधों में कटौती शामिल है। अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना भी इन्हीं कदमों का हिस्सा है।
व्यापारियों का मानना है कि यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। उन्होंने इसे देशहित में स्वीकार करते हुए कहा कि व्यक्तिगत नुकसान की तुलना में राष्ट्रीय सुरक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है। X पर भी कई व्यापारियों ने “जय हिंद” के नारे के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
संभावित प्रभाव
बॉर्डर बंद होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। ट्रांसपोर्टरों और छोटे व्यापारियों को रोजगार का नुकसान हुआ है। “अटारी व्यापारियों का PM मोदी के फैसले को समर्थन, बोले- ‘देश पहले, खाना-पीना बाद में'” हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि वे इस नुकसान को सहन करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते यह देश की सुरक्षा के लिए हो।
अटारी के व्यापारियों की यह भावना दर्शाती है कि राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के सामने वे अपने निजी हितों को दरकिनार करने को तैयार हैं। उनका यह समर्पण और बलिदान की भावना देशभक्ति की एक मिसाल है। सरकार को भी चाहिए कि इन व्यापारियों के नुकसान की भरपाई के लिए कुछ राहत उपायों पर विचार करे, ताकि उनकी आजीविका पर ज्यादा असर न पड़े।
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