आल इण्डिया पर्सनल लॉ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की प्रेस कांफ्रेंस

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आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की प्रेस कांफ्रेंस

*वक्फ बाई यूजर को हटाने की चेष्टा गलत है। होगा आंदोलन-खालिद सैफुल्लाह रहमानी*

मऊनाथ भंजन। आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की एक प्रेस कांफ्रेंस पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल के आवास ‘मस्कन’ पर सम्पन्न हुयी। यह प्रेस वार्ता अरशद जमाल ने अपने आवास पर बुलाई थी जब मौलाना एक सेमिनार के सिलसिले से मऊ आये हुये थे। पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने मौलाना के बारे में बताया कि मौलाना मात्र आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही नहीं अपितु यह फ़ेकह एकेडमी के जनरल सेक्रेट्री एवं अन्य कई सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं के संरक्षक भी हैं।

मौलाना की इस प्रेस कांफ्रेंस में बड़ी संख्या में पत्रकार बन्धुओं ने भाग लेकर विस्तृत बात चीत की। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने पत्रकारों के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया। उन्होंने अनुच्छे 25 एवं 26 का हवाला देते हुये कहा कि भारत में सभी नागरिकों को उनके धार्मिक आस्था के अनुरूप कृत्य करने एवं किसी भी धर्म को अनुश्रण करने का हक हासिल है। उसकह प्रचार प्रसा कर सकता है।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 26 मंे स्पष्ट कहा गया है कि दो लोगों के बीच यदि वह दोंनों मुस्लिम हैं तो विवाद मुस्लिम पर्सल ला के हिसाब से ही हल किया जायेगा। इसी बात के ध्यान में रखते हुये अंग्रेजी हुकूमत ने 1937 में भी एक कानून बनाया था जो आज मुस्लिम पर्सनल ला की बुनियाद है। उन्होंने अफसोस के साथ कहा कि 1972 में इन्दिारा गांधी सरकार ने गोद लेने का कानून बनाया जिसमें मुसलमानों को भी शामिल किया जो इस्लामी नजरिये के खिलाफ है क्यों कि यह रिश्ता गोद लेने या जुबान के बोल से कायम नहीं होता है। इसी के बाद आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ की बुनियाद रखी गयी ताकि मुस्लिम कानून-ए-शरीयत की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि बोर्ड में शीआ, सुन्नी, बरेली, देवबन्दी, अहलेहदीस, हनफी, बोहरा एवं अन्य सभी फिरके और मस्लक के लोग शामिल हैं इसमें अन्य मुस्लिम संस्थायें भी सम्मिलित हैं। बोर्डे में सभी मुस्लिम संगठनों के लोग एक जुट होकर अपनी राय देते हैं।

बफ्फ बिल पर बोलते हुये बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद साहब ने कहा कि वफ्फ बिल लाकर सरकार मुसलमानों के हक एवं अधिकार को समाप्त करना चाहती है जिसका र्बोड पुरजोर विरोध करता है क्यों कि यह मूल अधिकरों के विरूद्ध है। बड़ी अजीब बात है कि जिस धर्म के स्थल हैं उसमें उसी धर्म के पदाधिकारी हुआ करते हैं और यही होना भी चाहिये परन्तु इस कानून में 2 गैर मुस्लिम पदाधिकारियों को रखे जाने की शर्त गलत है। जिलाधिकारी सरकार का प्रतिनिधित्व करता है इस लिये विवाद की सूरत में सीधे न्यायालय में वाद जाना चाहिये, जो इस एक्ट में नहीं है। इस एक्ट में कानू-ए शरीअत को तोड़कर बहुत सी बातें शामिल की गयी हैं जो हमें मंजूर नहीं है।

वक्फ के सम्बन्ध में पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर देते हुये उन्होंने कहा कि वफ्फ बिल से बहुत बड़ा नुक्सान है। उन्होंने बताया कि 2013 के वक्फ बिल में वक्फ बाई यूजर का प्राध्वधान है जिसके अनुसार एक वस्तु यदि वक्फ के रूप में प्रयोग होती रही है तो सदैव वक्फ ही रहेगी चाहे उसके लिये कोई दस्तावेज मौज हो या न हो उसे वक्फ ही माना जायेगा। इस कानू के तहत जो सैकड़ों वर्ष पहले सम्पत्ति या धर्म स्थन निर्मित किये गये उनके दसतावेज की उपलब्धता सम्भव नहीं है। इस नई बिल में वक्फ बाई यूजर को हटाने की चेष्टा की जा रही है जो नेहायत गलत है। उन्होंने बताया कि कई कई वर्ष पूर्व सभी धर्माें के लोगों ने जनहित एवं पुन्य के लिये बहुत अपनी सम्पत्तियेां को वक्फ किया है जिनके कागजात उपलब्ध नहीं हैं परन्तु वह वक्फ हैं उन्की स्थिति वक्फ की ही रहनी चाहिये।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारा किसी सरकार से कोई विवाद नहीं है हम सरकार द्वारा बनाई गगयी गलत नीतियों का विरोध करते हैं और भविष्य में भी लोकतांत्रिक तरीके से शान्तिपूर्ण विरोध एवं प्रदर्शन करेंगे और हर प्रकार की लड़ाई लड़ेंगे।

फेका एकेडमी के बारे में पूछे गये एक सवाल के बारे में जवाब देते हुये बताया कि समय और परिस्थितियों के हिसाब से नई नई समस्यायें भी सामने आती हैं। कुछ ऐसी समस्यायें निके समाधान के लिये कुरआन एवं हदीस में मार्गदर्शन उपलब्ध नहीं है उनके समाधानके लिये फ़ेकह अकेडमी आफ इण्डिया की सथाना की गयी थी। समस समय पर सेमिनार एवं कांफ्रेंसेस के माध्यम से विवादित मुद्दों पर बहस करके समाधान निकाला जाता है। इस समाधान में मुस्लिम विद्वान और धर्म गुरूओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि ऐसी ही एक सेमिनार के सम्बन्ध में मुझे मऊ आना हुआ। यहां होन वाले सेमिनार का विषय था ‘‘हिन्दुस्तान की तामीर व तरक्की में मुसलमानों का किरदार’’।

इस प्रेस कांफ्रेंस में आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला के सदस्य मौलाना जमाल अहमद नदवी, भी मौजूद थे।

 मऊ संवाददाता अबू आमिर 

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Chief Editor - अख्तर हुसैन https://newsdilsebharat.net

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