भारत का सबसे बड़ा डिजिटल छल नूंह बना नया ‘जामताड़ा’, 3000 Crore Scam में 1000 मोहरे, मिडिल ईस्ट तक पहुंची मनी ट्रेल
नूंह मध्यप्रदेश कनेक्शन में 3000 Crore Scam का बड़ा पर्दाफाश, 1000 ग्रामीणों के म्यूल अकाउंट, मिडिल ईस्ट तक पहुंचा पैसा, साइबर गैंग पर पुलिस की कार्रवाई, जांच जारी
हरियाणा का नूंह ज़िला अब भारत के सबसे घातक साइबर अपराध अड्डों में शामिल हो चुका है। देश की एजेंसियाँ इसे अब ‘नया जामताड़ा’ कह रही हैं, क्योंकि यहां से संचालित एक संगठित नेटवर्क ने मध्यप्रदेश के गरीब ग्रामीणों को मोहरा बनाकर करीब 3000 Crore Scam को अंजाम दिया। मिडिल ईस्ट तक पहुंची पैसों की ट्रेल, हजार से ज़्यादा म्यूल अकाउंट, अवैध कॉल सेंटर, फर्जी नौकरियाँ, क्रिप्टो और डिजिटल अरेस्ट इस पूरे नेटवर्क की परतें अब एक एक कर खुल रही हैं।

मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा पकड़े गए इस बड़े साइबर रैकेट ने यह सच सामने रखा कि असली मास्टरमाइंड एमपी में नहीं, बल्कि नूंह के युवक थे। गुरुग्राम के एक फ्लैट में अवैध कॉल सेंटर बनाकर वे देशभर के लोगों को नौकरी, निवेश, रिवॉर्ड पॉइंट, क्रिप्टो ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट जैसी स्कीमों के नाम पर ठगते थे। इस संगठित गिरोह ने दो वर्षों से कम समय में 3000 Crore Scam जैसा विशाल डिजिटल साम्राज्य खड़ा किया, जिसमें हर परत एक बड़े अपराध की तरफ इशारा करती है।
जांच में यह भी सामने आया कि मध्यप्रदेश के विंध्य और महाकौशल क्षेत्रों के अधिकतर गरीब ग्रामीणों के 1000 से अधिक बैंक खातों को म्यूल अकाउंट की तरह इस्तेमाल किया गया। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने का झांसा दिया गया, लेकिन उनके बैंक खातों से करोड़ों का लेनदेन किया गया। इस 3000 Crore Scam के दौरान भारत के कई छोटे बड़े शहरों में पैसा घुमाया गया और फिर मिडिल ईस्ट तक भेजा गया। जांच टीमें अब इस बात की तहकीकात कर रही हैं, कि यह पूरा पैसा सिर्फ साइबर अपराध का था या फिर हवाला, धार्मिक फंडिंग या संभावित आतंकी गतिविधियों से जुड़ा था।
पुलिस ने खुलासा किया है,कि नूंह के ऑपरेटरों ने हैदराबाद और महाराष्ट्र में शेल कंपनियाँ बनाकर अवैध रकम को वैध दिखाने की कोशिश की। सिम कार्ड सप्लायरों से लेकर डिजिटल स्कैम ऑपरेटरों तक, इस नेटवर्क की हर कड़ी अंत में नूंह में ही मिलती है। यह साफ दर्शाता है कि 3000 Crore Scam सिर्फ ठगी नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला संगठित साइबर माफिया है, जो लंबे समय से देश की साइबर सुरक्षा को चुनौती देता आ रहा था।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है, कि जामताड़ा, भरतपुर, भिवानी और अब नूंह भारत के नए डिजिटल क्राइम हब बन चुके हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’, ‘फर्जी ऑनलाइन जॉब’, ‘इन्वेस्टमेंट स्कैम’ और ‘क्रिप्टो फ्रॉड’ जैसे तरीके आधुनिक साइबर अपराधियों के हथियार बन चुके हैं। 3000 Crore Scam की जांच ने यह भी दिखाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल ज्ञान की कमी अपराधियों के लिए सबसे आसान रास्ता बन गई है। जिन खातों में कभी कुछ सौ रुपए आते थे, उनमें रातों रात लाखों-करोड़ों का लेनदेन हुआ और खाता धारकों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
मध्यप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और केंद्रीय एजेंसियाँ अब मिलकर इस पूरे नेटवर्क की तह तक पहुँचने में जुटी हैं। मनी ट्रेल को ट्रैक करने के लिए विदेशी एजेंसियों से भी मदद मांगी गई है। अगर जांच में आतंकी फंडिंग की पुष्टि होती है, तो यह मामला भारत के इतिहास का सबसे बड़ा साइबर सुरक्षा संकट बन सकता है। फिलहाल, मिडिल ईस्ट कनेक्शन और पैसों के रूट की जांच एजेंसियों की प्राथमिकता में है, ताकि 3000 Crore Scam का पूरा सच उजागर हो सके।
DISCLAIMER: यह लेख उपलब्ध समाचार रिपोर्टों, पुलिस बयानों और जांच संबंधी सूचनाओं पर आधारित है। किसी समुदाय, क्षेत्र या व्यक्ति को दोषी ठहराने का उद्देश्य नहीं है। अंतिम सत्य वही होगा जो आधिकारिक जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
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