Gorakhpur BJP MLC Son Case गोरखपुर विश्वविद्यालय विवाद: छात्र के पिता की मौत पर भाजपा MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने विभागाध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
Gorakhpur BJP MLC Son Case गोरखपुर DDU विश्वविद्यालय में MSc छात्र के पिता की मौत पर विवाद गहराया। भाजपा MLC ने विभागाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए, जांच समिति गठित। जानें पूरी खबर विस्तार से।
गोरखपुर का दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (DDU) इन दिनों एक बड़ी और संवेदनशील घटना को लेकर सुर्खियों में है। यहां एक छात्र के पिता की अचानक मृत्यु ने न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारों को हिला दिया है।
भाजपा विधान परिषद सदस्य (MLC) देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीधे तौर पर गणित विभागाध्यक्ष व आर्ट्स फैकल्टी डीन प्रो. राजवंत राव को इस मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना ने शिक्षा जगत, राजनीति और समाज में गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
Gorakhpur BJP MLC Son Case घटना की शुरुआत

यह मामला MSc गणित के छात्र आयुष मिश्रा से जुड़ा है। आयुष विश्वविद्यालय के एक प्रतिभाशाली छात्र माने जाते रहे हैं, जिन्होंने पिछले सेमेस्टरों में लगातार 70% से अधिक अंक हासिल किए थे। लेकिन हाल ही में हुए क्लासिकल मेकैनिक्स विषय के आंतरिक मूल्यांकन में उन्हें मात्र 25 में से 1 अंक दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि इस अंकन में हाज़िरी के नंबर भी शामिल थे, जबकि छात्र कक्षाओं में नियमित उपस्थिति दर्ज कराता रहा।
थ्योरी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद आंतरिक मूल्यांकन में मिले अंकों ने छात्र और उसके परिवार को झकझोर दिया।
पिता का विभागाध्यक्ष से मिलना और मौत
1 सितंबर 2025 को आयुष मिश्रा के पिता, परीक्षा परिणाम को लेकर पुनर्मूल्यांकन की गुहार लगाने विभागाध्यक्ष प्रो. राजवंत राव से मिलने पहुंचे।
भाजपा MLC और परिजनों का आरोप है, कि मुलाकात के दौरान विभागाध्यक्ष ने न केवल उनकी बात अनसुनी की बल्कि उन्हें डांट-फटकार कर अपमानित भी किया।
तनाव और सदमे में आए पिता अचानक वहीं बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
Gorakhpur BJP MLC Son Case भाजपा MLC का आरोप और मांगें
घटना के बाद भाजपा MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने इसे गंभीर लापरवाही और अमानवीय व्यवहार करार दिया। उन्होंने कहा कि—
प्रो. राजवंत राव ने छात्र के पिता को अपमानित किया, जिससे सदमे में उनकी मौत हुई।
संबंधित विभागाध्यक्ष, परीक्षक और आंतरिक मूल्यांकक को तुरंत निलंबित किया जाए।
मृतक परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवजा दिया जाए।
परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
साथ ही, छात्र आयुष मिश्रा की उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन कराया जाए।
MLC ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
Gorakhpur BJP MLC Son Case विभागाध्यक्ष की सफाई
प्रो. राजवंत राव ने सभी आरोपों को पूरी तरह बिना आधार (baseless) बताया। उन्होंने कहा—
वे गणित विभागाध्यक्ष के पद पर हाल ही में 24 जुलाई 2025 को नियुक्त हुए हैं।
इस कारण पहले से हुए परीक्षा परिणाम या आंतरिक मूल्यांकन में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं था।
पिता से मुलाकात के दौरान उन्होंने अपमानजनक व्यवहार नहीं किया बल्कि पूरी संवेदनशीलता से सुना।
अचानक तबीयत बिगड़ने पर तुरंत एम्बुलेंस बुलवाई गई और अस्पताल ले जाते समय मृतक जीवित थे।
प्रो. राव ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से बदनाम करने की कोशिश की जा रही है,और सच्चाई जांच से सामने आ जाएगी।
Gorakhpur BJP MLC Son Case विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई
इस पूरे विवाद पर विश्वविद्यालय प्रशासन भी कठघरे में आ गया। कुलपति ने तत्काल जांच समिति गठित कर दी है, जो घटना की हर पहलू से समीक्षा करेगी।
Gorakhpur BJP MLC Son Case विश्वविद्यालय ने कहा कि
मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
छात्र और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच की जाएगी।
समिति की रिपोर्ट आने तक किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाजी होगी।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
घटना ने गोरखपुर के शैक्षणिक माहौल में तनाव बढ़ा दिया है।
छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी।
कई शिक्षाविदों का कहना है,कि इस घटना ने आंतरिक मूल्यांकन की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं।
Gorakhpur BJP MLC Son Case शिक्षा प्रणाली पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार के दुख तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की कई खामियों को भी उजागर करती है।
क्या आंतरिक मूल्यांकन निष्पक्ष तरीके से हो रहा है?
छात्रों को अंक देने का पैमाना कितना पारदर्शी है?
क्या परीक्षा प्रणाली में शिक्षकों की व्यक्तिगत भावनाएँ हावी हो सकती हैं?
विशेषज्ञ मानते हैं,कि इस मामले में कठोर कदम उठाए बिना शिक्षा व्यवस्था पर से छात्रों और अभिभावकों का विश्वास उठ सकता है।
Gorakhpur BJP MLC Son Case भविष्य की दिशा
अब सबकी निगाहें विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं। यदि रिपोर्ट में विभागाध्यक्ष या अन्य शिक्षकों की भूमिका साबित होती है,तो कठोर कार्रवाई तय मानी जा रही है। वहीं अगर आरोप गलत पाए गए तो यह मामला राजनीतिक साज़िश का रूप भी ले सकता है।
निष्कर्ष
Gorakhpur BJP MLC Son Case गोरखपुर का यह मामला केवल एक छात्र के पिता की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था, विश्वविद्यालय प्रशासन और राजनीतिक हस्तक्षेप तीनों के लिए एक आइना है। भाजपा MLC के आरोप और विश्वविद्यालय की जांच—दोनों मिलकर आने वाले दिनों में इस मामले को और पेचीदा बना सकते हैं।
यह घटना शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और संवेदनशीलता दोनों पर गहरे सवाल छोड़ गई है।
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