“Abhishek Gupta Murder”साध्वी के वेश में खून की साजिश” अलीगढ़ के अभिषेक गुप्ता की हत्या ने तोड़ी आस्था की दीवार
“Abhishek Gupta Murder”अलीगढ़ में अभिषेक गुप्ता की हत्या ने पूरे शहर को हिला दिया है। साध्वी के वेश में रची गई इस खून की साजिश ने आस्था की दीवार तोड़ दी। पुलिस जांच, समाज की प्रतिक्रिया और इस सनसनीखेज केस की पूरी कहानी जानिए।
अलीगढ़ में घटित अभिषेक गुप्ता हत्याकांड आज हर किसी के ज़हन में सवाल छोड़ गया है,क्या वाकई किसी के कपड़े और वेशभूषा देखकर हम उसे महान या पवित्र मान लें? तीन दिन पहले हुई यह हत्या सिर्फ एक युवक की मौत नहीं है, बल्कि उस आस्था पर हमला है जिसे लोग साधु-संतों और साध्वियों के साथ जोड़ते हैं।
“Abhishek Gupta Murder”अभिषेक गुप्ता, 28 साल का एक युवा, जो मेहनत करके अपनी पहचान बना रहा था, अचानक गोलियों का शिकार हो गया। और जब पुलिस की जांच आगे बढ़ी तो जो नाम सामने आए, उन्होंने पूरे समाज को हिला दिया।

हत्या की रात जब खुशहाल परिवार उजड़ गया
26 सितम्बर की रात अलीगढ़ का साधारण सा दिन था। अभिषेक गुप्ता, जो टीवीएस शोरूम चलाते थे, अपने पिता नीरज गुप्ता और चचेरे भाई के साथ कहीं बाहर जाने के लिए बस का इंतज़ार कर रहे थे। परिवार को क्या पता था कि कुछ ही देर में उनकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी।
अचानक बाइक पर आए दो हमलावरों ने उन पर गोलियाँ बरसा दीं। चीख-पुकार मची, लोग भागे, लेकिन गोलियाँ सीधी अभिषेक को लगीं। अस्पताल ले जाया गया, पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
“Abhishek Gupta Murder” आरोपी कौन निकले
पुलिस जांच में एक चौंकाने वाली कहानी सामने आई। इस हत्या के पीछे नाम आया महामंडलेश्वर पूजा शकुन पांडेय और उनके पति अशोक पांडेय का।
जिन्हें लोग “साध्वी”, “महामंडलेश्वर” और कभी-कभी “लेडी गोडसे” के नाम से जानते थे, उन्हीं पर आरोप है,कि उन्होंने यह हत्या करवाई। बताया गया कि उन्होंने लगभग 3 लाख रुपये देकर सुपारी दी।
“Abhishek Gupta Murder” यह खबर फैलते ही लोग हैरान रह गए। क्योंकि सवाल यही था। अगर कोई साध्वी या साधु ही खून का सौदा करने लगे, तो आस्था किस पर टिकी रहेगी?
“Abhishek Gupta Murder” पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने जब मामले की तहकीकात की, तो आरोपियों और हत्यारों के बीच कॉल डिटेल्स और बातचीत के सबूत मिले।
अशोक पांडेय को पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
पूजा शकुन पांडेय अभी भी फरार हैं,और उनकी तलाश में दबिश दी जा रही है।
गोली चलाने वाले शूटरों में से एक गिरफ्तार हुआ है, जिसने कबूल किया कि उसने पैसे लेकर हत्या की।
पुलिस ने इस केस में 302 (हत्या), 120B (साजिश), 506 (धमकी) समेत कई धाराएं लगाई हैं।
“Abhishek Gupta Murder” अखबारों की कवरेज और सच्चाई
इस घटना को देश के बड़े बड़े अखबारों और न्यूज़ चैनलों ने कवर किया।
नवभारत टाइम्स ने इसे पुराने रिश्तों और रंजिश से जोड़कर रिपोर्ट किया।
अमर उजाला ने इसे सीधे-सीधे “सुपारी हत्या” बताया।
दैनिक जागरण ने सवाल उठाया कि “धर्म की आड़ में अपराध कब तक?”
दैनिक भास्कर ने हेडिंग दी – “साध्वी का वेश, खून का खेल।”
आज तक और ज़ी न्यूज़ ने बताया कि पूजा शकुन पांडेय का अतीत विवादों और भड़काऊ भाषणों से भरा हुआ है।
अगर इन सभी रिपोर्ट्स को मिलाकर देखें तो एक ही सच्चाई सामने आती है,धार्मिक आडंबर का इस्तेमाल अपराध और रसूख छिपाने के लिए किया गया।
“Abhishek Gupta Murder” ट्विटर पर जनता की आवाज़
यह मामला जैसे ही सामने आया, सोशल मीडिया पर गुस्से का सैलाब उमड़ पड़ा।
Barun @barunray6279
“अब मुझे ओखर रंग के कपड़े से नफ़रत होने लगी है।”
Rakesh Kumar Jha @RakeshK07791189
“कुछ लोग kathmulle भी बन जाते हैं।”
the sonu Yadav @sksonu0921
“देश में गुंडा चरमसीमा पर है, कोई साधु बन जाता है तो कोई नेता।”
ये ट्वीट्स बताते हैं, कि लोग अब आंख मूंदकर किसी पर विश्वास करने को तैयार नहीं। आस्था के प्रतीक का गलत इस्तेमाल समाज में भारी अविश्वास पैदा कर रहा है।
“Abhishek Gupta Murder” सवाल आस्था या आडंबर?
भारत की सबसे बड़ी ताकत रही है धर्म और अध्यात्म में विश्वास। लेकिन अगर वही धर्म दूसरों को डराने, धमकाने और मारने का जरिया बन जाए तो यह सोचने का समय है।
क्या केसरिया वस्त्र पहन लेना किसी को संत बना देता है?
क्या साध्वी कहलाना अपराधों से मुक्ति दिला सकता है?
जवाब साफ है नहीं।
असली साधु-संत कभी हत्या या साजिश का हिस्सा नहीं हो सकते। और अगर कोई ऐसा करता है, तो वह सिर्फ अपराधी है, चाहे उसने कितने भी पवित्र कपड़े क्यों न पहन रखे हों।
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“Abhishek Gupta Murder” परिवार का दर्द
अभिषेक गुप्ता का परिवार आज सदमे में है।
एक पिता की आंखों के सामने बेटे की हत्या हो गई।
एक परिवार, जिसने मेहनत से अपने बेटे को खड़ा किया, अचानक सब खो बैठा।
अभिषेक की मां की हालत ऐसी है,कि वो अब तक इस सदमे से बाहर नहीं आ पा रही हैं। उनका कहना है,“हमारा बेटा सीधा-साधा था, उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वो मेहनत करता था।”
यह घटना क्या सिखाती है?
अभिषेक गुप्ता की हत्या हमें यह सिखाती है कि हमें किसी भी इंसान को सिर्फ वेशभूषा और नाम से नहीं आंकना चाहिए।
हमें पूछना होगा वह वास्तव में क्या करता है?
हमें समझना होगा धर्म के नाम पर अपराध करना सबसे बड़ा पाप है।
यह घटना पूरे समाज के लिए सबक है। अगर हम चुप रहे, तो आस्था के नाम पर और भी मासूम लोग ऐसे ही अपराधों के शिकार होते रहेंगे।
शब्दों में समाज की सच्चाई
कभी अखबार, कभी ट्विटर और कभी आंखों से बहते आंसू सब यही कह रहे हैं,कि अब समाज को जागना होगा।
हमारे देश की आस्था को नकली साधु संतों और अपराधियों के हाथों बंधक नहीं बनाया जा सकता।
अभिषेक गुप्ता की हत्या का गुनाहगार सिर्फ वही नहीं जिसने ट्रिगर दबाया, बल्कि वो भी हैं,जिन्होंने धार्मिक वेश का इस्तेमाल करके अपराध का खेल रचा।
“Abhishek Gupta Murder” अस्वीकरण
यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स, अखबारों के हवाले और सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। जांच जारी है,और भविष्य में कोर्ट या पुलिस द्वारा दी गई आधिकारिक रिपोर्ट के बाद तथ्य बदल सकते हैं। इस लेख का उद्देश्य केवल पाठकों तक जानकारी पहुँचाना और समाज को जागरूक करना है।
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