“भारत के संविधान की जीत: हुमायूं कबीर ने रखी Babri Masjid Foundation की नींव, धार्मिक स्वतंत्रता और एकता पर बड़ा संदेश”
Babri Masjid Foundation पर राजनीति गरम, लेकिन भारतीय संविधान हर धर्म को समान अधिकार देता है। हुमायूं कबीर के कदम पर कानून, आस्था और एकता का विश्लेषण।
पश्चिम बंगाल में विधायक हुमायूं कबीर द्वारा मुर्शिदाबाद के बेलडांगा क्षेत्र में Babri Masjid Foundation रखने के साथ ही राष्ट्रव्यापी राजनीति में हलचल तेज हो गई है। लेकिन इस चर्चित कदम के पीछे केवल राजनीति नहीं, बल्कि भारत के संविधान की वह नींव है, जो हर नागरिक को अपने धर्म का पालन, प्रचार और पूजा स्थल बनाने का अधिकार देती है। कबीर का कहना है कि उनका यह निर्माण पूरी तरह संवैधानिक है, और इसमें किसी प्रकार का कानून उल्लंघन नहीं है। यह मुद्दा भले ही राजनीतिक रंग ले चुका हो, लेकिन Babri Masjid Foundation भारत के मौलिक अधिकारों को समझने के लिए एक अहम उदाहरण बन गया है।

कबीर ने शिलान्यास के दौरान यह भी कहा कि यह सिर्फ एक मस्जिद नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक प्रोजेक्ट है, जिसमें इस्लामिक हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज, होटल-रेस्टोरेंट और हेलीपैड तक शामिल होंगे। उनके अनुसार यह 300 करोड़ रुपये की योजना है, जिसमें लाखों लोग सहयोग कर रहे हैं। समारोह स्थल पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे और प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी। इनके समर्थकों का कहना है कि Babri Masjid Foundation किसी भी तरह से कानून के खिलाफ नहीं है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार है।
दूसरी ओर कुछ राजनीतिक दलों ने इस कदम को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताया। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कदम वोट बैंक की राजनीति है, जबकि टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक भटकाव करार दिया। लेकिन इस पूरे विवाद में सबसे अहम पहलू संविधान का है, जो यह स्पष्ट करता है कि कोई भी नागरिक चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख या ईसाई अपने पूजा स्थल का निर्माण कर सकता है, बशर्ते वह कानून, शांति और प्रशासनिक नियमों का पालन करे। यही मूल भावना Babri Masjid Foundation को कानूनी मजबूती प्रदान करती है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 हर नागरिक को धर्म मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने की पूर्ण स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद 26 के अनुसार किसी भी धार्मिक संस्था को अपने मसले और धार्मिक गतिविधियाँ संचालित करने का अधिकार है। इस तरह संविधान किसी एक धर्म को नहीं, बल्कि सभी को समान अवसर देता है। यही कारण है,कि Babri Masjid Foundation पर आपत्ति जताने वाले राजनीतिक स्वर चाहे जितने ऊँचे हों, कानून इसकी स्वतंत्रता का समर्थन करता है। भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, और धर्म किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता है, जिस पर राजनीति का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों में देश में धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिशें भी देखी गई हैं। लेकिन जनता धीरे धीरे यह समझ चुकी है कि देश धर्म से नहीं, संविधान और कानून से चलता है। एक नागरिक मंदिर बनाए या मस्जिद, यह उसकी आस्था और अधिकार का हिस्सा है। नफरत फैलाने वालों को यह तथ्य स्वीकारना मुश्किल हो सकता है कि देश की नींव बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक की राजनीति पर नहीं, बल्कि समान अधिकारों पर रखी गई है। यही सोच Babri Masjid Foundation जैसी घटनाओं को कानून के दायरे में रखती है और समाज को समझाती है, कि धार्मिक स्वतंत्रता हर किसी का हक है।
कबीर का राजनीतिक इतिहास विवादों से भरा रहा है। वे कांग्रेस, टीएमसी और बीजेपी, तीनों दलों में रह चुके हैं। कई बार पार्टी लाइन से अलग बयान देने पर कार्रवाई भी झेल चुके हैं। लेकिन मौजूदा विवाद में उनका कहना है,कि यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि अधिकार और आस्था का है। वे कहते हैं,कि “भारत संविधान से चलता है, धर्म से नहीं। यहां हर इंसान को पूजा स्थल बनाने और अपनी आस्था के अनुसार इबादत या पूजा करने की पूरी स्वतंत्रता है।” इस बयान के साथ Babri Masjid Foundation पर चल रही सियासत एक बार फिर संविधान बनाम राजनीति की बहस को जन्म देती है।
इसे भी पढ़ें New Labour Code पर देशwide विरोध | मजदूर संगठनों ने नुकसान बताए | सरकार बनाम यूनियन टकराव
भारतीय समाज की असली ताकत उसकी हिंदू मुस्लिम एकता है। यह वही एकता है जिसने भारत को विश्व में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति बनाया। मंदिर मस्जिद का निर्माण अगर शांति, सद्भाव और कानून के दायरे में हो रहा है, तो यह समाज के लिए सकारात्मक कदम है। हर धर्म के लोग अपनी आस्था के अनुसार पूजा-स्थल बनाते हैं और यह वही आज़ादी है जिसे संविधान ने सबसे ऊपर रखा है। इसलिए Babri Masjid Foundation सिर्फ एक शिलान्यास नहीं, बल्कि भारत की धार्मिक स्वतंत्रता और समान अधिकारों की मिसाल है।
आज देश को जरूरत है, कानून पर भरोसा रखने की, एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करने की और नफरत फैलाने वालों से दूर रहने की। संविधान कहता है,कि हर व्यक्ति बराबर है,और हर धर्म समान है। यही भावना भारत को जोड़ती है, और आगे बढ़ाती है। Babri Masjid Foundation इसी मूल विचार का एक शांतिपूर्ण प्रतीक बनकर सामने आता है।
Disclaimer: यह लेख पूरी तरह संवैधानिक जानकारी, सार्वजनिक घटनाओं और धार्मिक सद्भाव पर आधारित है। किसी भी राजनीतिक दल, समुदाय या धर्म के पक्ष या विरोध का उद्देश्य नहीं है। यह सामग्री सिर्फ सूचना और विश्लेषण के लिए है।
इसे भी पढ़ें UMEED Portal Registration Extended, वक्फ संपत्तियों को मिली 3 महीने की राहत, केंद्र का बड़ा अपडेट










