गोरखपुर PWD Negligence Case: नाला खुदाई के दौरान मकान गिरा, 9 लोग बाल-बाल बचे

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गोरखपुर PWD Negligence Case: नाला खुदाई के दौरान मकान गिरा, 9 लोग बाल-बाल बचे

PWD Negligence Case गोरखपुर के गुलरिहा क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी की लापरवाही से नाला खुदाई के दौरान मकान गिर गया। नौ लोगों की जान बाल-बाल बची। इंजीनियर और ठेकेदार मौके से फरार, ग्रामीणों में गुस्सा।

कहते हैं, “सरकारी काम में देर है, लेकिन अंधेर नहीं”  पर गोरखपुर की यह घटना इस कहावत को झुठला देती है।

गोरखपुर के गुलरिहा थाना क्षेत्र में PWD Negligence Case ने नौ जिंदगियों को जोखिम में डाल दिया।

नाला खुदाई के दौरान पोकलैंड मशीन से खुदाई करते वक्त एक मकान अचानक भरभराकर गिर पड़ा, गनीमत रही कि घर के सभी सदस्य समय रहते बाहर निकल आए।

यह घटना साफ तौर पर एक गंभीर PWD Negligence Case के रूप में सामने आई है, जो विभागीय लापरवाही और प्रशासन की निगरानी में कमी को उजागर करती है।

गोरखपुर PWD Negligence Case: नाला खुदाई के दौरान मकान गिरा, 9 लोग बाल-बाल बचे

 गोरखपुर में PWD Negligence Case मकान गिरने की पूरी कहानी

यह हादसा शनिवार शाम को टिकरिया बालापार ग्रामसभा मंगलपुर के जगदीपुर टोला में हुआ।

PWD की ओर से सड़क चौड़ीकरण और नाला खुदाई का काम चल रहा था।

इसी दौरान पोकलैंड मशीन से नाले की खुदाई करते समय नाले के पास बना मकान जोरदार कंपन के साथ गिर गया।

घर के अंदर उस समय रामगोपाल गुप्ता का पूरा परिवार  कुल 9 लोग मौजूद थे।

सौभाग्य से उन्होंने समय रहते बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली।

अगर यह हादसा कुछ मिनट पहले होता, तो यह PWD Negligence Case और भी गंभीर रूप ले चुका होता।

 शिकायत के बावजूद लापरवाही जारी

मकान मालिक रामगोपाल गुप्ता ने बताया कि खुदाई के दौरान उनके घर में तेज कंपन महसूस हो रहा था।

उन्होंने मौके पर मौजूद इंजीनियर और ठेकेदार से अनुरोध किया कि खुदाई मजदूरों से हाथ से कराई जाए, लेकिन ठेकेदार ने अनसुना कर दिया।

कुछ ही देर बाद मशीन से खुदाई जारी रखने के कारण घर का आगे का हिस्सा ध्वस्त हो गया।

इससे मकान में गहरी दरारें पड़ गईं और बगल के श्याम बिहारी गुप्ता के घर की दीवार भी क्षतिग्रस्त हो गई।

यह पूरा मामला अब एक साफ PWD Negligence Case बन गया है।

  इंजीनियर और ठेकेदार मौके से फरार

हादसे के तुरंत बाद अफरा-तफरी मच गई।

ग्रामीण जब घटनास्थल की ओर दौड़े, तो PWD के इंजीनियर, ठेकेदार और मजदूर मौके से फरार हो गए।

ग्रामीणों ने इसे एक PWD Negligence Case बताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

यह घटना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से भागने का प्रतीक बन गई।

 घर का बाकी हिस्सा भी खतरे में

गोरखपुर PWD Negligence Case: नाला खुदाई के दौरान मकान गिरा, 9 लोग बाल-बाल बचे

रामगोपाल गुप्ता का कहना है,कि हादसे के बाद घर का बाकी हिस्सा भी कमजोर हो गया है।

कभी भी गिरने का खतरा बना हुआ है।

घर के अंदर रखे दो बाइक और कई जरूरी सामान मलबे में दबकर खराब हो गए।

स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सूचना दे दी गई है, लेकिन विभागीय अधिकारी अभी तक मौके पर नहीं पहुंचे।

यह एक गंभीर PWD Negligence Case है, जो प्रशासन की उदासीनता को उजागर करता है।

 ग्रामीणों का गुस्सा और कार्रवाई की मांग

गांव के लोग कहते हैं,कि PWD ठेकेदार और इंजीनियरों की मनमानी ने लोगों की जान खतरे में डाल दी।

सड़क चौड़ीकरण और नाले की खुदाई के नाम पर बिना सुरक्षा और योजना के काम किया जा रहा है।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस PWD Negligence Case में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह की घटना का शिकार न बने।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मामला

हादसे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।

लोगों ने PWD विभाग को आड़े हाथों लिया और #PWDNegligenceCase हैशटैग के साथ पोस्ट शेयर किए जा रहे हैं।

सोशल मीडिया यूज़र्स का कहना है, कि सरकार को सिर्फ घोषणाओं तक नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर निगरानी करनी चाहिए।

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 भविष्य के लिए चेतावनी PWD Negligence Case

 

हर बार सवाल वही है,“क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी?”

गोरखपुर में यह कोई पहला PWD Negligence Case नहीं है।

इससे पहले भी कई बार निर्माण कार्यों में लापरवाही के कारण हादसे हो चुके हैं।

अगर प्रशासन इस बार भी चुप रहा, तो यह सिस्टम पर गहरी चोट साबित होगी एक और PWD Negligence Case।

 आम जनता के लिए सीख सुरक्षा से समझौता नहीं

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यह घटना हमें याद दिलाती है, कि सरकारी कामों में भी सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए।

किसी विभाग की लापरवाही जनता की जान पर भारी पड़ सकती है।

जब तक जनता अपनी आवाज़ बुलंद नहीं करेगी, ऐसे PWD Negligence Case बार-बार होते रहेंगे।

 Disclaimer:

यह लेख पूरी तरह वास्तविक घटना और उपलब्ध तथ्यों पर आधारित है।

इसका उद्देश्य किसी विभाग या व्यक्ति को बदनाम करना नहीं, बल्कि जनहित में जागरूकता फैलाना है ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियां न दोहराई जाएं।

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