बाबरी मस्जिद विवाद के बीच Humayun Kabir New Party का बड़ा ऐलान, ओवैसी संग मिलकर लड़ेंगे चुनाव ममता बनर्जी को सीधी चुनौती
Humayun Kabir New Party टीएमसी से निलंबित हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाई। ओवैसी की AIMIM संग गठबंधन कर बंगाल चुनाव लड़ने का ऐलान। बाबरी मस्जिद मॉडल की नींव रखी, राजनीतिक हलचल तेज।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा धमाका तब हुआ जब टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने अचानक अपनी नई पार्टी के गठन की घोषणा कर दी। उनका कहना है,कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ मिलकर ममता बनर्जी के खिलाफ लड़ेंगे। यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब उन्होंने रेजिनगर में बाबरी मस्जिद के मॉडल पर आधारित मस्जिद की नींव रखी, जिससे पूरे प्रदेश में बहस तेज हो गई। इस पूरे राजनीतिक माहौल के केंद्र में Humayun Kabir New Party का नाम तेजी से उभर रहा है, जो आने वाले चुनाव में बड़ा फैक्टर बन सकता है।

कार्यक्रम के दौरान बंगाल पुलिस, RAF और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती की गई थी। हजारों की भीड़ ‘‘नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर’’ के नारों के साथ पहुंची। मंच पर कबीर ने मौलवियों संग प्रतीकात्मक फीता काटा, जबकि असली निर्माण स्थल लगभग एक किलोमीटर दूर था। यह आयोजन छह दिसंबर को रखा गया वही तारीख जब 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी। कहा जा रहा है, कि इस आयोजन के बाद Humayun Kabir New Party को लेकर लोगों में उत्सुकता और बढ़ गई है।
टीएमसी ने हुमायूं कबीर पर सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। निलंबन के बाद कबीर का रुख और आक्रामक हो गया। उन्होंने कहा कि वे संविधान के दायरे में रहकर धार्मिक स्थलों के निर्माण का अधिकार रखते हैं,और कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता। जनसभा में उन्होंने दावा किया कि करीब चार लाख लोगों की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि जनता अब एक नई राजनीतिक आवाज चाहती है। इस राजनीतिक मौके पर उनका repeated message साफ है,Humayun Kabir New Party अब अल्पसंख्यक वर्ग और वंचित समुदायों की नई आवाज बनेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार हुमायूं कबीर और AIMIM का गठबंधन बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। मुस्लिम वोट बैंक पर इसका सीधा असर पड़ सकता है,और टीएमसी व कांग्रेस लेफ्ट दोनों को नई चुनौती मिलेगी। विशेष रूप से मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर 24 परगना जैसे जिलों में इसका प्रभाव दिखना तय है। इस गठबंधन को लेकर कहा जा रहा है कि Humayun Kabir New Party की एंट्री चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबले की ओर ले जा सकती है, जिसका सबसे ज़्यादा नुकसान टीएमसी को होगा।
ओवैसी पहले भी बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दे चुके हैं, लेकिन इस बार हुमायूं कबीर का जुड़ना AIMIM की रणनीति को मजबूत कर सकता है। ओवैसी का राजनीतिक अनुभव, कबीर की स्थानीय पकड़ और बाबरी मस्जिद से जुड़ा उनका ताजा मुद्दा इन तीनों ने मिलकर Humayun Kabir New Party को सुर्खियों में ला खड़ा किया है। कई विशेषज्ञों का कहना है, कि अगर इन दोनों नेताओं ने मिलकर सहयोग किया तो ममता सरकार के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहेगा।
आने वाले समय में इस गठबंधन का प्रचार अभियान तेज होगा। रैलियाँ, जनसभाएँ और सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए Humayun Kabir New Party अपनी पहचान को मजबूत करेगी। राजनीतिक पंडित मानते हैं,कि बंगाल में आने वाला चुनाव शांतिपूर्ण कराने के लिए केंद्र और राज्य को सुरक्षा इंतज़ाम और बढ़ाने होंगे। यह भी माना जा रहा है,कि यदि यह नई पार्टी कुछ सीटों पर भी प्रभाव दिखाती है,तो राज्य में सरकार बनाने का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।
अभी यह साफ नहीं है कि Humayun Kabir New Party का चुनावी घोषणापत्र क्या होगा, लेकिन उनका फोकस अल्पसंख्यक अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और विकास एजेंडा पर दिखाई दे रहा है। ओवैसी भी इसे बंगाल में AIMIM की नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। राजनीतिक हलकों में सबसे बड़ी चर्चा यही है,कि यह गठबंधन टीएमसी के वोट बैंक पर कितना असर डालता है,और ममता बनर्जी इस चुनौती का जवाब कैसे देती हैं।
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