बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में चल रहे भारत रंग महोत्सव भारंगम में हुई नाटक रघुनाथ की प्रस्तुति 

Estimated read time 1 min read

बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में चल रहे भारत रंग महोत्सव भारंगम में हुई नाटक रघुनाथ की प्रस्तुति 

*आम आदमी का अक्स है नाटक रघुनाथ*

गोरखपुर। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के सौजन्य से बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में चल रहे भारत रंग महोत्सव भारंगम में बुधवार को अहिं, नागांव, असम के कलाकारों ने विद्दुत कुमार नाथ के निर्देशन में ख़बरों के इम्प्रोवाइज़ेशन से बने नाटक रघुनाथ का मंचन कर दर्शको में अपनी अमिट छाप छोड़ी। दर्शको ने तालियों की गड़गड़ाहट और कलाकारों के सम्मान में खड़े होकर यह जताने की कोशिश की कि नाटक रघुनाथ उनके ही इर्द गिर्द से ही रचा बसा गया है। असमिया भाषा में होने के बाद भी दर्शकों ने हर एक संवाद को महसूस किया और नाटक की समाप्ति पर यह कहते रहे सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ स्क्रिप्ट,सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ लाइट डिज़ाइन और सर्वश्रेष्ठ स्टेज डिज़ाइन। 

नाटक की कहानी सीधी-सादी है। इसमें कुछ खोने और कुछ पाने का दु:ख और सुख दोनों है। नाटक में दो कहानियां एक दूसरे के सामानांतर चलती हैं। एक कहानी में एक आदमी रघुनाथ असम में बाढ़ के दौरान अपनी प्यारी इकलौती बेटी को सिर्फ इसलिए खो दिया क्योंकि बाढ़ के दौरान उसके स्कूल जाने के लिए गांव में कोई पुल नहीं था। उन्हें हर समय अपनी बेटी की यादें सताती रहती हैं। वह एक नई शुरुआत और एक नए विकसित गांव का सपना देखता है जहां केवल पुल की कमी के कारण कोई बच्चा नहीं मरता। दूसरी कहानी में बाढ़ के दौरान ही एक तालाब से शिव की एक मूर्ति निकलती है। हालांकि यह बात झूठी है। इन दोनों ही कहानियों और उससे जुड़ी परिस्थियों पर नाटक का नायक ‘रघुनाथ’ सोचता है कि लोग भगवान के लिये कुछ कर सकते हैं, लेकिन बाढ़ से जूझने वालों के लिये कुछ नहीं। अब उनके लिये भी कुछ करना पड़ेगा। नायक रघुनाथ का मानना है कि अगर गांव में मंदिर बनेगा तो इससे विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। वह अपने घर के पिछवाड़े में एक हजार साल पुरानी भगवान की मूर्ति मिलने की अफवाह फैलाता है। नाटक की स्क्रिप्ट बालिकाओं की शिक्षा, असम में बाढ़ की स्थिति और इसके प्रति उदासीनता को छूती है। नाटक में विद्युत कुमार नाथ, हिमांग्शु देउरी, परेश दास, प्राणजीत बोरा, पापुमोनी बोरा, सौमार ज्योति बोरा, जुत्रीशा गोहेन,जुत्श्रा सेनापति ने अपनी अपनी भूमिकाओं से दर्शको के दिल पर यादगार छवि छोड़ी। मंच से परे दृश्य बंध अभिकल्पना जतिनदास, प्रकाश गौतम सैकिया,संगीत ज्योति प्रसाद भुइयां ने संभाली। भारत रंग महोत्सव भारंगम के समन्वयक श्री नारायण पांडेय ने दर्शको से मिल रहे सहयोग और वाहवाही से अभिभूत होकर कहा कि गोरखपुर की चर्चा देश ही नहीं सम्पूर्ण एशिया में हो रही है। भारंगम के सफल आयोजन ने गोरखपुर को एक और पहचान दी है। 

 

*गुरुवार 6 फ़रवरी को होगा नाटक जून : मोर देन अ फैरी टेल*

 

मीडिया समन्वयक नवीन पाण्डेय ने बताया कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के सौजन्य से बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में चल रहे भारत रंग महोत्सव भारंगम में गुरुवार 6 फ़रवरी को शाम 6 बजे से नेपाल की रंग संस्था एस्थेटिक डांस स्टूडियो काठमांडू की ओर से नेपाली भाषा में समयोग गुरागेन का लिखा एवं नम्रता के सी के निर्देशन नाटक जून : मोर देन अ फैरी टेल का मंचन किया जायेगा।

https://www.instagram.com/kevin
Google search engine
Chief Editor - अख्तर हुसैन https://newsdilsebharat.net

न्यूज़ दिल से भारत के पाठकों से अनुरोध है कि अगर आप सच्ची और अच्छी ख़बरें पढ़ना चाहते हैं तो न्यूज़ दिल से भारत को सहयोग करें ताकि निष्पक्ष पत्रकारिता करने में हमारे सामने जो बाधाये आती है हम उनको पार कर सके सच्ची और अच्छी खबरें आप तक पहुंचा सके

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours