Supreme Court Hearing on DMK Petition: तमिलनाडु में एसआईआर पर रोक की मांग, डीएमके बोली  संविधान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

Written by: akhtar husain

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Supreme Court Hearing on DMK Petition तमिलनाडु में SIR प्रक्रिया पर रोक की मांग को लेकर डीएमके की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 11 नवंबर को सुनवाई करेगा। संविधानिक अधिकारों पर बड़ा सवाल।

डीएमके की सुप्रीम कोर्ट में दस्तक  लोकतंत्र की आवाज़ उठाने की कोशिश

तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके (DMK) ने Supreme Court Hearing on DMK Petition के ज़रिए
चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी है।
पार्टी का कहना है,कि चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई
एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन करती है।

डीएमके ने Supreme Court Hearing on DMK Petition में यह भी कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया बिना पारदर्शिता और नागरिकों की राय के लागू की जा रही है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को सुनवाई के लिए सहमति दी है।

Supreme Court Hearing on DMK Petition: तमिलनाडु में एसआईआर पर रोक की मांग, डीएमके बोली  संविधान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
Supreme Court Hearing on DMK Petition: तमिलनाडु में एसआईआर पर रोक की मांग, डीएमके बोली  संविधान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा मंगलवार को होगी सुनवाई

डीएमके की ओर से वरिष्ठ वकील विवेक सिंह ने
Supreme Court Hearing on DMK Petition में
तत्काल सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया से मतदाताओं के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका को मंगलवार, 11 नवंबर को सूचीबद्ध करने की बात कही। यह सुनवाई देशभर में Supreme Court Hearing on DMK Petition के रूप में काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसका असर अन्य राज्यों की चुनावी प्रक्रियाओं पर भी पड़ सकता है।

डीएमके का तर्क  एसआईआर प्रक्रिया असंवैधानिक और मनमानी

डीएमके के संगठन सचिव आर.एस. भारती ने
Supreme Court Hearing on DMK Petition में कहा किbचुनाव आयोग का यह निर्णय मनमाना और असंवैधानिक है। उन्होंने दलील दी कि मतदाता सूची में बदलाव या सुधार की प्रक्रिया राज्यों की सहमति और जनता की भागीदारी के बिना नहीं होनी चाहिए। पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार का राजनीतिक दुरुपयोग न हो। डीएमके का कहना है, कि Supreme Court Hearing on DMK Petition देश के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है।

9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही है एसआईआर प्रक्रिया

चुनाव आयोग ने 27 नवंबर को देश के
9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में
Special Intensive Revision (SIR) की घोषणा की थी।यह प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगी, जिसके बाद 9 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जाएगी। अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को जारी होगी। इस प्रक्रिया में शामिल राज्य हैं,

तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात,
और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप।

डीएमके का कहना है,कि इस तरह की प्रक्रिया
Supreme Court Hearing on DMK Petition में
कानूनी और संवैधानिक जांच के बिना लागू नहीं की जानी चाहिए।

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संविधान की कसौटी पर खरा उतर पाएगा क्या एसआईआर?

संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 नागरिकों को
समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार की गारंटी देते हैं। डीएमके का कहना है,कि Supreme Court Hearing on DMK Petition
इन अधिकारों की रक्षा का प्रतीक है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सुप्रीम कोर्ट डीएमके के पक्ष में फैसला देता है,तो इससे चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। यह मामला केवल तमिलनाडु का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र के लिए एक मिसाल बन सकता है।

राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल  सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा दिशा

Supreme Court Hearing on DMK Petition को लेकर देशभर की राजनीतिक पार्टियों में चर्चा तेज है।
कुछ दलों का कहना है, कि यह फैसला
भविष्य में चुनाव सुधारों की दिशा तय करेगा। वहीं दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञ इसे लोकतांत्रिक पारदर्शिता की जीत मान रहे हैं। सभी की निगाहें अब 11 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हैं।

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 लोकतंत्र में पारदर्शिता सबसे बड़ी ताकत

डीएमके की याचिका ने एक बड़ा संवैधानिक प्रश्न खड़ा कर दिया है।
Supreme Court Hearing on DMK Petition न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र की पारदर्शिता की परीक्षा है। सच्चे लोकतंत्र में वही प्रक्रिया सही मानी जाती है,जो जनता की भागीदारी और संविधान की मर्यादा का पालन करे। अब पूरा देश सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है,जो आने वाले वर्षों के चुनावी परिदृश्य को बदल सकता है।

 डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार सार्वजनिक स्रोतों और रिपोर्ट्स पर आधारित हैं। हम किसी राजनीतिक दल या संस्था का समर्थन या विरोध नहीं करते।

 

akhtar husain

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