SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur गोरखपुर में दलित छात्रों का गुस्सा: छात्रावास कोटे में कटौती के खिलाफ सड़कों पर आवाज़

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SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur गोरखपुर में दलित छात्रों का गुस्सा: छात्रावास कोटे में कटौती के खिलाफ सड़कों पर आवाज़

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur गोरखपुर में दलित छात्रों ने राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास में 30% कोटा अन्य वर्गों को देने के फैसले के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है, कि यह उनके अधिकारों पर हमला है, और आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

  SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur परिचय

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur गोरखपुर में दलित छात्रों का गुस्सा: छात्रावास कोटे में कटौती के खिलाफ सड़कों पर आवाज़
सोर्स बाय गूगल इमेज

समाज में शिक्षा को बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए बने छात्रावास किसी भी गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए जीवनरेखा की तरह होते हैं। गोरखपुर में हाल ही में ऐसा फैसला सामने आया, जिसने दलित छात्रों के दिलों में गहरी चोट पहुंचाई। सरकार ने राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास में 30% सीटें अन्य वर्गों को देने का निर्णय लिया है। इस फैसले के विरोध में दलित छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया और आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। यह मुद्दा सिर्फ एक छात्रावास का नहीं बल्कि पूरे समाज की बराबरी की लड़ाई से जुड़ा हुआ है।

सरकार का नया फैसला और विवाद की शुरुआत

राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास लंबे समय से उन छात्रों के लिए आश्रय और सहारा बने हुए हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद शिक्षा हासिल करने का सपना देखते हैं। सरकार द्वारा अचानक लिया गया निर्णय जिसमें 30% सीटें अन्य वर्गों को देने की बात कही गई दलित छात्रों को न केवल चौंकाने वाला लगा बल्कि इसे उनके अधिकारों पर सीधा प्रहार माना गया।

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SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur छात्रों का कहना है,कि यह छात्रावास अनुसूचित जाति के लिए ही आरक्षित हैं, और यहां पर अन्य वर्गों को शामिल करना उस उद्देश्य को खत्म करना है,जिसके लिए ये छात्रावास बनाए गए थे।

छात्रों की आवाज़ और प्रदर्शन का माहौल

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गोरखपुर की सड़कों पर छात्रों का हुजूम इस बात का प्रतीक है कि यह लड़ाई उनके लिए कितनी अहम है। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए। उनका कहना था:

हमारे अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है, हम चुप नहीं बैठेंगे।

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कई छात्रों ने भावुक होकर कहा कि यदि सरकार का फैसला वापस नहीं लिया गया तो शिक्षा हासिल करने का उनका सपना अधूरा रह जाएगा। दलित छात्र पहले से ही सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से जूझते हैं, और ऐसे में छात्रावास की सीटों पर कटौती उन्हें और पीछे धकेल देगी।

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शन सिर्फ एक दिन की प्रतिक्रिया नहीं थी। छात्रों ने साफ कर दिया है,कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और बड़ा करेंगे। गोरखपुर से शुरू हुआ यह आंदोलन प्रदेश स्तर तक फैल सकता है।

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दलित छात्र संगठनों ने भी इस मुद्दे को मजबूती से उठाया और सरकार को चेतावनी दी कि यह निर्णय समाज में असमानता और तनाव को और बढ़ा सकता है।

शिक्षा में बराबरी का सवाल

भारत का संविधान हर नागरिक को शिक्षा का समान अधिकार देता है। अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों को शिक्षा के क्षेत्र में जो विशेष सुविधाएं दी जाती हैं, उनका मकसद यही है,कि वे बराबरी के स्तर पर खड़े हो सकें।

छात्रावास में कोटा घटाने का निर्णय इस संवैधानिक भावना के विपरीत माना जा रहा है। छात्रों का तर्क है, कि जब अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए जगह ही नहीं बचेगी तो वे उच्च शिक्षा तक कैसे पहुंच पाएंगे?

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur सरकार का पक्ष

हालांकि सरकार की ओर से यह कहा जा रहा है, कि यह निर्णय सबको बराबरी का अवसर देने के लिए लिया गया है। कुछ अधिकारियों का कहना है,कि कई छात्रावासों में सीटें खाली रह जाती हैं, इसलिए उन्हें अन्य वर्गों को देने की योजना बनाई गई।

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SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur लेकिन सवाल यह उठता है,कि क्या खाली सीटें भरने का यही तरीका है? क्या इसके लिए अलग से प्रावधान नहीं किए जा सकते थे?

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur सामाजिक संदेश और असर

यह विवाद केवल छात्रावास तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर समाज के बड़े हिस्से पर दिख सकता है। दलित छात्रों की शिक्षा में बाधा का मतलब है,कि समाज के कमजोर तबके का विकास रुकना। और जब विकास रुकता है, तो असमानता और बढ़ती है।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने साफ कहा कि यह मामला केवल गोरखपुर का नहीं है। अगर आवाज़ नहीं उठाई गई, तो यही हाल प्रदेश और देशभर के छात्रावासों का हो सकता है।

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur जनता की प्रतिक्रिया

गोरखपुर की आम जनता भी इस फैसले को लेकर बंटी हुई नजर आई। कुछ लोग मानते हैं कि सबको बराबरी का अवसर मिलना चाहिए, वहीं बड़ी संख्या में लोग यह कह रहे हैं कि अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए बने छात्रावासों पर किसी और का हक नहीं होना चाहिए।

एक अभिभावक ने कहा

मेरे बेटे ने कड़ी मेहनत से इंटर पास किया है, लेकिन अगर छात्रावास में जगह नहीं मिली तो वह आगे पढ़ाई कैसे करेगा? सरकार को यह समझना होगा कि यह बच्चों का भविष्य है।

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur आगे की राह

अब सबकी नजर सरकार पर है, कि वह इस फैसले को लेकर क्या रुख अपनाती है। छात्र मांग कर रहे हैं, कि सरकार तुरंत आदेश वापस ले। वहीं छात्र संगठनों ने यह भी तय किया है कि वे कानूनी रास्ता अपनाकर हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

गोरखपुर में दलित छात्रों का यह प्रदर्शन एक अहम सवाल उठाता है, क्या शिक्षा का अधिकार वाकई सबके लिए समान है, जब समाज का कमजोर तबका ही पीछे रह जाएगा तो देश प्रगति की ओर कैसे बढ़ेगा?

SC Hostel Quota Protest in Gorakhpur छात्रावास के कोटे में कटौती सिर्फ सीटों का मामला नहीं है, यह उन लाखों सपनों की बात है जो शिक्षा के सहारे एक बेहतर भविष्य बनाने की कोशिश में हैं। सरकार को चाहिए कि वह छात्रों की भावनाओं को समझे और ऐसा समाधान निकाले जिससे किसी के अधिकारों का हनन न हो।

यह लेख पूरी तरह से सार्वजनिक स्रोतों और उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार किसी अखबार, न्यूज़ चैनल या संस्था की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उद्देश्य केवल पाठकों तक सच्चाई और सामाजिक मुद्दों को सरल और मानवीय भाषा में पहुँचाना है।

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