Gorakhpur chitfund scam गोरखपुर चिटफंड घोटाला: टूटा भरोसा, उजड़ गए सपने और सड़क पर घसीटा गया आरोपी का  पिता

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Gorakhpur chitfund scam गोरखपुर चिटफंड घोटाला: टूटा भरोसा, उजड़ गए सपने और सड़क पर घसीटा गया आरोपी का  पिता

Gorakhpur chitfund scam गोरखपुर चिटफंड घोटाला: गोल्डन फ्यूचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने रुपये दोगुना करने का लालच देकर 5 करोड़ की ठगी की। संचालक फरार, निवेशकों का टूटा भरोसा। पढ़िए पूरी खबर।

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Gorakhpur chitfund scam  लालच के जाल में फंसी मासूमियत

Gorakhpur chitfund scam गोरखपुर चिटफंड घोटाला: टूटा भरोसा, उजड़ गए सपने और सड़क पर घसीटा गया आरोपी का  पिता
सोर्स बाय गूगल इमेज

गोरखपुर में एक बार फिर से लोगों का भरोसा चकनाचूर हो गया। गोल्डन फ्यूचर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने 2016 में शुरुआत की थी। संचालक जगजीवन चौहान ने अपने घर को ही दफ्तर बना दिया और चारों तरफ प्रचार किया  रुपया लगाइए, तीन साल में दोगुना पाइए

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Gorakhpur chitfund scam यह सपना इतना मीठा था कि लोग लालच में नहीं, बल्कि अपने भविष्य की उम्मीद में इसमें कूद पड़े। कोई बेटी की शादी के लिए, कोई बच्चों की पढ़ाई के लिए, तो कोई बुढ़ापे का सहारा सोचकर अपनी गाढ़ी कमाई इसमें डालता चला गया।

Gorakhpur chitfund scam  ठगी का तरीका: भरोसे को हथियार बनाया

कंपनी ने शुरुआत में कुछ लोगों को पैसे वापस भी किए। इससे भरोसा और गहरा गया। गाँव-गाँव जाकर एजेंट बनाए गए, लोगों को बताया गया कि यह “भविष्य सुरक्षित करने का सुनहरा मौका” है।

धीरे-धीरे कंपनी ने करीब 5 करोड़ रुपये इकट्ठे कर लिए। और फिर एक दिन सबकुछ बंद। दफ्तर का ताला, मोबाइल बंद, मालिक गायब।

Gorakhpur chitfund scam गुस्से का ज्वालामुखी: पिता को सड़क पर घसीटा

Gorakhpur chitfund scam गोरखपुर चिटफंड घोटाला: टूटा भरोसा, उजड़ गए सपने और सड़क पर घसीटा गया आरोपी का  पिता

जब लोगों को सच का एहसास हुआ तो गुस्सा फूट पड़ा। हजारों लोग दफ्तर और चौहान के घर के बाहर जमा हो गए। संचालक तो भाग चुका था, लेकिन उसका बुजुर्ग पिता वहीं रह गया।

गुस्से से भरी भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया और सड़कों पर घसीटा। यह दृश्य बेहद दर्दनाक था। लोग चिल्ला रहे थे 

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हमारी मेहनत का पैसा लौटा दो हमारी जिंदगी बर्बाद कर दी

यह सिर्फ गुस्सा नहीं था, बल्कि टूटे सपनों की चीख थी। जिन लोगों के घर में चूल्हा जलना मुश्किल है, उनकी आँखों में सिर्फ लाचारी थी।

Gorakhpur chitfund scam पुलिस प्रशासन की भूमिका: सवालों के घेरे में

इस घटना ने पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आम जनता का आरोप है,कि अगर प्रशासन पहले सतर्क होता तो यह घोटाला इतना बड़ा रूप नहीं लेता।

कंपनी सालों तक बिना सही अनुमति और निगरानी के चलती रही। आखिर क्यों?

अब जब मामला खुल चुका है, तो पुलिस कह रही है, कि “जांच चल रही है और आरोपी की तलाश जारी है।”

लेकिन जनता का सवाल है,कि जब लाखों रुपये का लेन-देन हो रहा था, तब प्रशासन की आँखें क्यों बंद थीं?

Gorakhpur chitfund scam  पीड़ितों का दर्द: आँसू और टूटे सपना

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हर शख्स की कहानी अपने आप में दर्द से भरी है।

एक महिला बोली – “बेटी की शादी के लिए 3 लाख जमा किए थे, अब ससुराल वालों को क्या जवाब दूँ?”

एक मजदूर ने कहा – “10 सालों से जोड़ा पैसा एक ही झटके में चला गया। अब परिवार को कैसे पालूँगा?”

एक बुजुर्ग ने रोते हुए कहा – “बुढ़ापे का सहारा समझकर जमा किया था, अब आखिरी दिनों में सहारा छिन गया।”

प्रशासन की कड़ी कार्रवाई या सिर्फ दिखावा?

पुलिस ने FIR दर्ज की है, और संचालक की गिरफ्तारी की बात कह रही है। कुछ छापेमारी भी हुई है, लेकिन अब तक आरोपी पकड़ से बाहर है।

लोगों को डर है, कि कहीं यह मामला भी अन्य चिटफंड घोटालों की तरह धीरे-धीरे ठंडा न पड़ जाए।

देशभर में फैली ठगी की यह बीमारी

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यह घटना गोरखपुर तक सीमित नहीं है। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे चिटफंड घोटाले बार-बार सामने आते हैं। लालच, अज्ञानता और प्रशासन की ढिलाई मिलकर आम जनता को बर्बाद कर देती है।

जनता का संदेश

गोरखपुर की गलियों में आज यह चर्चा है।

अगर सरकार और प्रशासन ने पहले ध्यान दिया होता, तो हम लुटने से बच जाते।

हमारी गलती बस इतनी थी कि हमने किसी पर भरोसा कर लिया।

गोरखपुर का यह चिटफंड घोटाला सिर्फ 5 करोड़ रुपये का मामला नहीं है। यह उस विश्वास की हत्या है, जो जनता ने अपने भविष्य के लिए किया था। यह उन गरीबों की चीख है, जिनकी ज़िंदगी की पूंजी लूट ली गई।

अब सवाल यही है, कि क्या पुलिस प्रशासन इस मामले में न्याय दिला पाएगा? या यह भी एक ऐसी फाइल बनकर रह जाएगा, जिसे वक़्त की धूल ढक देगी?

यह लेख समाचार स्रोतों और घटनास्थल से मिली सूचनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को सच्चाई से अवगत कराना और जागरूक करना है। किसी भी निवेश से पहले उसकी कानूनी वैधता की पूरी तरह जांच करना पाठक की जिम्मेदारी है। लेखक/प्रकाशक किसी भी प्रकार की निवेश योजना को बढ़ावा नहीं देते।

 

 

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