Fake Ghee Market India: हजारों लीटर नकली घी रोज़ तैयार होकर घर-घर पहुंच रहा है। FSSAI की लापरवाही से बढ़ रहा है कैंसर का खतरा, जानिए पहचान और बचाव के तरीके।
हर घर की रसोई में धीरे धीरे घुल रहा है Fake Ghee का ज़हर
हम सब सोचते हैं,कि हमारे घर में इस्तेमाल होने वाला घी “शुद्ध” है, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। आज देशभर में Fake Ghee का ऐसा नेटवर्क फैल चुका है, जो हर दिन हजारों लीटर नकली घी तैयार कर रहा है। यह घी न केवल हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि धीरे-धीरे कैंसर जैसी बीमारी की जड़ भी बन रहा है। जब तक FSSAI अधिकारी अपनी नींद से नहीं जागते, तब तक न जाने कितने घरों में यह ज़हर पहुंच चुका होगा।
कैसे तैयार होता है Fake Ghee और क्यों है इतना जानलेवा

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह Fake Ghee दूध या मक्खन से नहीं बल्कि मिनरल ऑयल, साबुन बेस, केमिकल्स और सिंथेटिक फ्लेवर से बनाया जाता है। इसमें न तो कोई न्यूट्रिशन होता है, न ही असली घी जैसा स्वाद।विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक Fake Ghee खाने से लिवर, हार्ट और किडनी डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। कई मामलों में इसमें पाए जाने वाले रसायन Carcinogenic (कैंसरकारी) साबित हुए हैं।
देशभर में फैल चुका है Fake Ghee का नेटवर्क
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों में अब Fake Ghee का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
हर दिन सैकड़ों फैक्ट्रियों में रातभर यह नकली घी तैयार होता है,
और फिर “देशी घी” या “प्योर घी” के नाम पर पैक होकर बाजार में पहुंचता है। असली दिक्कत यह है,कि कई छोटे ब्रांड बिना FSSAI लाइसेंस के यह नकली घी बेच रहे हैं, जो सीधे लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है।

FSSAI की चुप्पी और सरकार की जिम्मेदारी
अब सवाल यह है, कि जब Fake Ghee खुलेआम बाजार में बिक रहा है, तो FSSAI India क्या कर रहा है, फूड सेफ्टी नियमों के अनुसार हर घी ब्रांड के पास FSSAI लाइसेंस होना जरूरी है, लेकिन अधिकांश दुकानों पर नकली लेबल वाले Fake Ghee पैक आसानी से मिल जाते हैं। यह लापरवाही केवल सिस्टम की कमजोरी नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन से खेल है। अगर इसी तरह चलता रहा, तो आने वाले सालों में नकली घी भारत में साइलेंट हेल्थ डिज़ास्टर साबित हो सकता है।
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कैसे पहचानें असली और Fake Ghee आसान घरेलू तरीके
1. फ्रिज टेस्ट: असली घी ठंडा होने पर जम जाता है, जबकि Fake Ghee तरल ही रहता है।
2. सुगंध टेस्ट: असली घी की महक दूध जैसी होती है, जबकि Fake Ghee में केमिकल की गंध आती है।
3. वॉटर टेस्ट: पानी में घी डालें असली नीचे बैठता है, Fake Ghee ऊपर तैरता है।
4. लेबल चेक करें: हमेशा FSSAI नंबर और ब्रांड ऑथेंटिसिटी जरूर देखें।
इन तरीकों से आप घर बैठे पहचान सकते हैं, कि कहीं आपके घर में “सेहत के नाम पर” नकली घी तो नहीं पहुंच रहा।
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Fake Ghee के कारण बढ़ रहा है कैंसर का खतरा
विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि Fake Ghee का लंबे समय तक सेवन करने से शरीर में “ट्रांस फैट” और “टॉक्सिक केमिकल्स” जमा हो जाते हैं। ये पदार्थ धीरे धीरे सेल्स को डैमेज करते हैं और कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं। इसीलिए डॉक्टर कहते हैं, “सस्ता घी मत खरीदिए, वरना इलाज पर करोड़ों खर्च करने पड़ेंगे।”
आज यह नकली घी हमारे घरों में धीरे धीरे ‘स्लो पॉइजन’ की तरह फैल चुका है।
Fake Ghee के खिलाफ अब जनता को ही लड़नी होगी लड़ाई
सरकार की नीतियां और FSSAI की निगरानी तब तक बेअसर हैं, जब तक उपभोक्ता खुद जागरूक न हो। हर व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके घर आने वाला घी प्रमाणित ब्रांड का हो। अगर किसी दुकान या फैक्ट्री में नकली घी बनते या बिकते दिखे, तो तुरंत इसकी शिकायत करें।
याद रखें “Fake Ghee” से बचना ही असली सेहत की गारंटी है।
यह Fake Ghee सिर्फ एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है।
अब वक्त है, कि हम मिलकर इसके खिलाफ आवाज़ उठाएं, ताकि अगली पीढ़ी को इस ज़हर से बचाया जा सके। जब तक सिस्टम सख्त नहीं होगा और उपभोक्ता जागरूक नहीं बनेगा, तब तक यह नकली घी हर घर में बीमारी बनकर पहुंचता रहेगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विश्वसनीय रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य किसी विशेष ब्रांड या व्यक्ति की छवि को प्रभावित करना नहीं है। पाठकों से अपील है, कि वे हमेशा प्रमाणित FSSAI ब्रांड का ही उपयोग करें और नकली उत्पादों की शिकायत संबंधित विभाग को करें।
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