IPS Suicide Case IPS वाई पूरन कुमार सुसाइड केस: IAS पत्नी ने सीएम को लगाया फोन, विदेश से लौटते ही रुकवाया पोस्टमार्टम 9 पेज के सुसाइड नोट में वरिष्ठ अधिकारियों पर लगाए सनसनीखेज आरोप
IPS Suicide Case हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने सिस्टम को झकझोर दिया है। अपने 9 पेज के सुसाइड नोट में उन्होंने वरिष्ठ IAS-IPS अधिकारियों मनोज यादव, पी.के. अग्रवाल, टी.वी.एस.एन. प्रसाद, कुलविंदर सिंह और माटा रवि किरण पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। विदेश से लौटते ही उनकी IAS पत्नी अमनपीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री से न्याय और जवाबदेही की मांग की है।

IPS Suicide Case हरियाणा प्रशासन को हिलाने वाला मामला एक सुसाइड नोट से उठा सिस्टम पर बड़ा सवाल
IPS Suicide Case हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला अब गहराता जा रहा है।
इस केस से जुड़े 9 पेज के सुसाइड नोट ने न केवल पुलिस विभाग बल्कि पूरे राज्य के प्रशासनिक ढांचे को झकझोर कर रख दिया है।
इस नोट में वाई पूरन कुमार ने वरिष्ठ और सेवारत IAS-IPS अधिकारियों पर जाति आधारित उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना और सार्वजनिक अपमान जैसे बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
IPS Suicide Case सुसाइड नोट में दर्ज अधिकारियों के नाम और आरोप
सुसाइड नोट में वाई पूरन कुमार ने अपने बैचमेट और वरिष्ठ अधिकारियों के नाम स्पष्ट रूप से लिखे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि
मनोज यादव, पी.के. अग्रवाल और टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने मिलकर उनके साथ जाति के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न किया।
उन्होंने इस अत्याचार की शिकायत तत्कालीन गृह मंत्री से लिखित रूप में की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
मौजूदा मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी को भी उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी, मगर उनकी शिकायत दरकिनार कर दी गई।
इसके अलावा, सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि
“8 नवंबर 2024 को IPS कुलविंदर सिंह ने मुझे फोन पर चेतावनी दी थी कि डीजीपी ने एक पुलिस अधिकारी को स्थायी रूप से हटाने का आदेश दिया है, सावधान रहो।”
वहीं, IPS माटा रवि किरण पर उन्होंने आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और लिखा कि इस अपमानजनक व्यवहार ने उन्हें अंतिम कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
IAS पत्नी अमनपीत पी कुमार की सख्त प्रतिक्रिया
IPS Suicide Case आईएएस अधिकारी अमनपीत पी कुमार, जो उस समय विदेश दौरे पर थीं, को जब पति की मौत की खबर मिली तो वे तुरंत भारत लौटीं।
वापस आते ही उन्होंने पोस्टमार्टम रुकवा दिया और साफ कहा
“जब तक मेरे पति के सुसाइड नोट में जिन अधिकारियों के नाम हैं, उनकी भूमिका तय नहीं होती, तब तक मैं पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं दूंगी।”
अमनपीत ने सीधा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को फोन कर पूरी जानकारी दी और कहा कि
“यह सिर्फ आत्महत्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक उत्पीड़न का परिणाम है। जिन अधिकारियों ने मेरे पति को मानसिक रूप से तोड़ा, उनके खिलाफ जवाबदेही तय की जाए।”
IPS Suicide Case सीएम के निर्देश के बाद मचा प्रशासन में हड़कंप
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए डीजीपी और गृह विभाग से रिपोर्ट तलब की है।
सूत्रों के मुताबिक, अब इस केस को “सीएम मॉनिटर केस” के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार इस बात पर विचार कर रही है,कि जिन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सुसाइड नोट में आए हैं, क्या उनके खिलाफ विभागीय जांच या निलंबन जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
IPS Suicide Case पुलिस जांच में नई दिशा फॉरेंसिक और डिजिटल सबूत जुटाए जा रहे हैं
पुलिस अब इस केस में कई स्तरों पर जांच कर रही है।
सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग और डिजिटल कॉपी की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है।
परिवार और करीबी रिश्तेदारों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
उन सभी 15 अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी जिनका नाम नोट में है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अगर सुसाइड नोट के आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक अनुशासन जांच बन सकता है।
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IPS Suicide Case काबिल अधिकारी की दर्दनाक विदाई
वाई पूरन कुमार को उनके सहकर्मी एक ईमानदार, मेहनती और शांत स्वभाव वाले अधिकारी के रूप में जानते थे।
उनके करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ रही हैं।
उनकी मौत ने न केवल हरियाणा पुलिस को झकझोर दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया कि क्या सिस्टम अपने ही अफसरों को मानसिक सुरक्षा देने में विफल हो रहा है?
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IPS Suicide Case जातीय भेदभाव पर बड़ा सवाल क्या बदल पाएगा यह केस सिस्टम की सोच?
इस सुसाइड नोट ने एक गंभीर मुद्दे को सामने रखा है।
क्या आज भी अफसरशाही में जातीय पूर्वाग्रह और मानसिक उत्पीड़न मौजूद है?
वाई पूरन कुमार की मौत एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस सोच की त्रासदी है, जो अब भी संवेदनशीलता और बराबरी के सिद्धांतों से दूर है।
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डिस्क्लेमर
यह लेख पूरी तरह से उपलब्ध पुलिस जांच रिपोर्ट, प्रशासनिक सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।
इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं है।
घटना की जांच जारी है, और अंतिम निष्कर्ष न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होंगे।
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