Deoria News DM Divya Mittal Action देवरिया में डीएम दिव्या मित्तल की सख्ती: सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार समेत पांच पर मुकदमा फर्जी नियुक्ति का खुलासा
Deoria News DM Divya Mittal Action देवरिया के बरहज तहसील में बड़ा खुलासा डीएम दिव्या मित्तल के आदेश पर हुई जांच में सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार समेत पांच कर्मचारी दोषी पाए गए। फर्जी नियुक्ति, कूटरचना और गलत रिपोर्टिंग में हुई संलिप्तता के चलते मुकदमा दर्ज करने और विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी। प्रशासनिक सख्ती से तहसील परिसर में मचा हड़कंप। यह मामला सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता की नई मिसाल पेश कर रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट और जानिए किन किन पर गिरी गाज।
बरहज तहसील में भ्रष्टाचार की गूंज DM दिव्या मित्तल की जांच में खुला बड़ा खेल

Deoria News DM Divya Mittal Action देवरिया जनपद की बरहज तहसील में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रशासनिक महकमे को हिलाकर रख दिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान हुई संग्रह अनुसेवक (Collection Assistant) की नियुक्ति में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। इस पूरे प्रकरण में सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार समेत पांच कर्मचारियों को दोषी पाया गया है।
Deoria News DM Divya Mittal Action जांच के बाद जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने न केवल इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है, बल्कि विभागीय कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। डीएम के इस कड़े रुख से पूरे तहसील परिसर में हड़कंप मचा हुआ है।
Deoria News DM Divya Mittal Action कैसे खुला यह मामला गोदनामे से शुरू हुआ खेल
मामले की जड़ें वर्ष 2022 में शुरू होती हैं, जब बरहज तहसील में तैनात संग्रह अनुसेवक छेदी यादव की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के बाद उनकी पत्नी चंद्रावती देवी ने अपने भतीजे शैलेश कुमार यादव को नौकरी दिलाने के लिए एक रजिस्टर्ड गोदनामा (adoption deed) तैयार करवा दिया।
कानूनी रूप से इस गोदनामे की वैधता पर कई सवाल थे, लेकिन 2024 में उसी के आधार पर शैलेश यादव की नियुक्ति कर दी गई।
जब यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आया, तो डीएम ने तत्काल जांच के आदेश दिए।
Deoria News DM Divya Mittal Action तीन सदस्यीय कमेटी की जांच में खुली पोल
डीएम दिव्या मित्तल के आदेश पर मुख्य राजस्व अधिकारी जलराजन चौधरी, एसडीएम सीमा पांडेय और हरिशंकर लाल की तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई।
कमेटी ने गहन जांच के बाद पाया कि
परिवार रजिस्टर में कूटरचना (Forgery) की गई थी।
आय, जाति और निवास प्रमाणपत्र गलत तरीके से बनाए गए।
कार्यालय स्तर पर भ्रामक टिप्पणियां की गईं ताकि फाइल को सही दिखाया जा सके।
Deoria News DM Divya Mittal Action जांच में जिन कर्मचारियों पर गिरी गाज
कमेटी ने जिन पांच कर्मचारियों को दोषी पाया है, उनके नाम इस प्रकार हैं,
1. रमेश चंद्र गुप्त, सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार
2. रामकुमार, तत्कालीन हल्का लेखपाल
3. दिनेश उपाध्याय, राजस्व निरीक्षक
4. विनोद प्रताप बहादुर सिंह, पटल सहायक
5. भलुअनी के खिरसाखाड़ के ग्राम पंचायत अधिकारी
इन सभी पर आरोप है,कि उन्होंने अपने-अपने स्तर पर लापरवाही, कूटरचना और गलत रिपोर्टिंग के माध्यम से शैलेश यादव की अवैध नियुक्ति को संभव बनाया।
Deoria News DM Divya Mittal Action क्या था इनकी भूमिका
लेखपाल व कानूनगो ने गलत आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र बनाए।
ग्राम पंचायत सचिव ने परिवार रजिस्टर में कूटरचना की।
नायब तहसीलदार ने गलत रिपोर्ट लगाई।
पटल सहायक ने भ्रामक टिप्पणी दर्ज कर पत्रावली को पास कराया।
हर स्तर पर मिलीभगत के कारण यह नियुक्ति संभव हुई, जबकि मृतक कर्मचारी की जगह पर किसी बाहरी व्यक्ति को नौकरी नहीं दी जा सकती थी।
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Deoria News DM Divya Mittal Action डीएम दिव्या मित्तल का सख्त रुख
डीएम दिव्या मित्तल ने जांच रिपोर्ट मिलने के बाद स्पष्ट कहा कि “कानूनी प्रक्रिया से हटकर किसी भी प्रकार की नियुक्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकारी सेवा में पारदर्शिता सर्वोपरि है। जो भी अधिकारी या कर्मचारी नियमों से खिलवाड़ करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई तय है।”
उन्होंने एसडीएम को निर्देश दिए हैं,कि संबंधित पांचों कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए और विभागीय कार्रवाई तुरंत शुरू की जाए।
Deoria News DM Divya Mittal Action विभाग में मचा हड़कंप
डीएम के आदेश के बाद बरहज तहसील सहित पूरे राजस्व विभाग में हलचल मच गई है। कई कर्मचारियों ने इस कार्रवाई को प्रशासनिक सख्ती का उदाहरण बताया है। वहीं, कुछ कर्मचारियों में डर का माहौल है, कि अब किसी भी फर्जी नियुक्ति या फाइल पासिंग में लापरवाही करने पर सीधी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
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स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
बरहज क्षेत्र के लोगों ने डीएम की इस पहल का स्वागत किया है। स्थानीय निवासी मनीष पांडेय ने कहा
“ऐसे कदम से लोगों का प्रशासन पर भरोसा बढ़ेगा। अब कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नियमों को ताक पर रखकर मनमानी नहीं कर पाएगा।”
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रीता मिश्रा ने कहा
“यह मामला दिखाता है,कि कैसे कभी कभी सरकारी नौकरी में अनुचित लाभ पाने के लिए फर्जीवाड़े किए जाते हैं। डीएम का यह कदम भविष्य के लिए चेतावनी है।”
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क्या मिलेगी न्यायिक मंजूरी?
अब देखना यह होगा कि मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया किस गति से आगे बढ़ती है। अगर जांच और ट्रायल में भी दोष साबित होता है, तो यह मामला उत्तर प्रदेश में सरकारी नियुक्तियों की पारदर्शिता के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख पूरी तरह से विश्वसनीय समाचार स्रोतों और जिला प्रशासन द्वारा जारी जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नहीं है। सभी तथ्य सत्यापन योग्य प्रशासनिक दस्तावेज़ों और जांच रिपोर्ट पर आधारित हैं।
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