UP Police social media पर एक्टिव अफसर वीडियो क्रिएटर बनते दिख रहे हैं। यह ट्रेंड सेवा नियमों के उल्लंघन और जनता के भरोसे पर चोट कर रहा है। जानिए पूरी कहानी और विवाद का सच।
जनता की पुलिस या सोशल मीडिया स्टार्स
उत्तर प्रदेश की UP Police social media पर इन दिनों खूब एक्टिव दिखाई दे रही है, लेकिन सवाल यह है,कि क्या यह एक्टिविटी जनता की सेवा के लिए है,या पॉपुलैरिटी के लिए?
योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में पुलिस व्यवस्था को ‘रामराज्य’ की दिशा में बताया था। मगर हाल के घटनाक्रमों में देखा जा रहा है,कि कई पुलिसकर्मी UP Police social media प्लेटफॉर्म्स पर वीडियो क्रिएटर, कंटेंट मेकर और इंफ्लुएंसर बन गए हैं। यह चलन न केवल service rules violation के दायरे में आता है, बल्कि जनता के विश्वास पर भी असर डालता है।
वीडियो क्रिएटर पुलिस: ‘UP Police social media’ पर दिखावटी काम

कई थानों में अब ऐसी तस्वीरें और वीडियोज़ वायरल हो रहे हैं, जिनमें पुलिस अधिकारी ड्यूटी के बीच कैमरे के सामने पोज़ देते या रील शूट करते दिखते हैं। इनमें से कुछ अधिकारियों ने तो अपने अकाउंट्स पर UP Police social media प्रोफाइल्स को ‘Blue Tick Verified’ भी करवा लिया है, और लाखों फॉलोअर्स बना लिए हैं।
जनता का कहना है,कि यह सब तब हो रहा है,जब अपराध, ट्रैफिक और कानून व्यवस्था को लेकर चुनौतियाँ बढ़ रही हैं। ऐसे में अगर पुलिस का ध्यान सोशल मीडिया की प्रसिद्धि पर रहेगा तो जनता की सुरक्षा कौन करेगा?
कहां से शुरू हुआ विवाद सोनभद्र का मामला
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के विंधमगंज थाना क्षेत्र में 25 अक्टूबर 2025 को एक घटना सामने आई थी। यहाँ एक पुलिसकर्मी का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह शिकायतकर्ता पर हाथ उठा रहा था। वीडियो वायरल होते ही यह मामला UP Police social media पर चर्चा का विषय बन गया।
थाना प्रभारी और सर्किल ऑफिसर राजेश कुमार राय ने कार्रवाई करते हुए आरोपी कांस्टेबल अभिषेक कुमार को निलंबित कर जांच शुरू कर दी।यह उदाहरण दिखाता है कि किस तरह सोशल मीडिया की वजह से पुलिस की छवि एक “Video Creator Force” के रूप में उभर रही है, जो जनता के लिए चिंताजनक है।

सेवा नियमों का उल्लंघन या आधुनिकता का बहाना
UP Police social media के तहत वीडियो बनाकर पॉपुलैरिटी हासिल करने वाले पुलिस कर्मियों पर विशेषज्ञों का कहना है,“यह सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है। किसी भी सरकारी कर्मचारी को निजी प्रचार या कमाई से जुड़ी गतिविधि की अनुमति नहीं होती।”योगी आदित्यनाथ सरकार की ‘रामराज्य’ नीति में जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।
मगर सोशल मीडिया की यह नई लहर पुलिस को सेवा भावना से हटाकर ‘influencer’ संस्कृति की ओर ले जा रही है। अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह ट्रेंड पूरी पुलिस व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
जनता की नजर में गिरती साख और भरोसा
जब पुलिस के सोशल मीडिया अकाउंट पर ड्यूटी के बजाय स्टाइल और म्यूजिक वीडियो दिखें तो जनता का भरोसा डगमगाना स्वाभाविक है। लोग सवाल कर रहे हैं, कि “UP Police social media” पर सक्रिय रहने वाले अफसर क्या जनता की शिकायतें भी इतनी ही तेजी से सुनते हैं?
इस ट्रेंड से पुलिस की विश्वसनीयता पर असर पड़ रहा है। जनता चाहती है, कि पुलिस अपराध नियंत्रण, महिलाओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर फोकस करे न कि वायरल वीडियो पर।
यूपी पंचायत चुनाव 2026 पर मंडरा रहा एसआईआर का साया: क्या समय पर होंगे Panchayat Elections in UP?
आगे की राह: अनुशासन और पारदर्शिता जरूरी
पुलिस विभाग को सोशल मीडिया उपयोग की स्पष्ट गाइडलाइन बनानी चाहिए। किसी भी अधिकारी को UP Police social media के जरिये कमाई या ब्रांडिंग की अनुमति न दी जाए। सोशल मीडिया अकाउंट्स की मॉनिटरिंग हो ताकि फर्जी गतिविधियों को रोका जा सके। जनता के बीच पुलिस की छवि पुनः ‘सेवाभावी और संवेदनशील’ बने, यही असली ‘रामराज्य’ की भावना होगी।
डिस्क्लेमर यह लेख सार्वजनिक रिपोर्ट्स, सोशल मीडिया ट्रेंड्स और मीडिया विश्लेषण पर आधारित है। किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को ठेस पहुँचाने का उद्देश्य नहीं है। लेख का मकसद केवल जनता को जागरूक करना और पुलिस सेवा में सुधार के मुद्दे उठाना है।
यूपी में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: 46 IAS अफसरों के तबादले, पढ़िए पूरी लिस्ट
+ There are no comments
Add yours