Bank OTP Fraud गूगल सर्च बना जाल: ‘दूसरी राधा’ पूर्व आईजी डीके पांडा के खाते से 4.32 लाख उड़ाए, दूसरी बार साइबर ठगी के शिकार
Bank OTP Fraud पूर्व आईजी डीके पांडा, जिन्हें ‘दूसरी राधा’ के नाम से जाना जाता है, दूसरी बार साइबर ठगी के शिकार हुए। गूगल पर बैंक का नंबर खोजते वक्त ठगों ने उनके खाते से 4.32 लाख रुपए उड़ाए। जानें पूरी खबर और साइबर क्राइम से बचने के उपाय।
Bank OTP Fraud पूर्व आईजी का दर्द: भरोसे का फोन और लाखों की ठगी

Bank OTP Fraud गोरखपुर: डिजिटल युग में ऑनलाइन फ्रॉड आम हो चुका है, लेकिन जब कोई पुलिस विभाग का बड़ा अधिकारी ही इसका शिकार हो जाए, तो सवाल और गहरे हो जाते हैं। पूर्व आईजी डीके पांडा, जिन्हें लोग ‘दूसरी राधा’ के नाम से भी जानते हैं, दूसरी बार साइबर ठगों के झांसे में आ गए। इस बार उनके बैंक खाते से चार ट्रांजेक्शन में 4.32 लाख रुपये साफ कर दिए गए।
Bank OTP Fraud गूगल सर्च बना जाल
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मामला बेहद चौंकाने वाला है। डीके पांडा को बैंक से जुड़ी जानकारी लेनी थी। इसके लिए उन्होंने गूगल पर Indian Bank का टोल-फ्री नंबर सर्च किया। यहीं से साइबर ठगों ने उन्हें निशाना बना लिया। फोन पर खुद को बैंक अधिकारी बताकर स्कैमर ने उनसे बातचीत की और खाते से पैसे निकालने में सफल हो गए।
Bank OTP Fraud चार ट्रांजेक्शन में खाली हुआ खाता

जानकारी के मुताबिक, ठगों ने सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि लगातार चार बार ट्रांजेक्शन करके पांडा के खाते से रकम उड़ा दी। जब तक उन्हें शक होता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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Bank OTP Fraud दूसरी बार शिकार क्यों
यह पहली बार नहीं है,जब डीके पांडा को साइबर ठगी का सामना करना पड़ा हो। कुछ साल पहले भी उनके साथ इसी तरह की घटना हो चुकी है। सवाल उठता है, कि साइबर अपराधियों का नेटवर्क इतना मजबूत क्यों है, कि अनुभवी और समझदार लोग भी इनके जाल में फंस जाते हैं?
भावनात्मक झटका और समाज के लिए चेतावनी
डीके पांडा लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहे हैं। अपराधियों से मुकाबला करना उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है। लेकिन अब जब वे खुद अपराधियों के शिकार बने, तो यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। आखिर जब पुलिस का अधिकारी ठगा जा सकता है, तो आम आदमी कितनी आसानी से शिकार बन सकता है?
Bank OTP Fraud बढ़ती साइबर क्राइम की घटनाएँ
भारत में साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड
क्रेडिट/डेबिट कार्ड स्कैम
सोशल मीडिया हैकिंग
फिशिंग कॉल्स
ये सभी अपराध हर दिन हजारों लोगों को निशाना बना रहे हैं।
Bank OTP Fraud गूगल सर्च और नकली नंबर का खतरा
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अक्सर लोग जल्दीबाजी में गूगल पर बैंक, मोबाइल कंपनी या किसी सर्विस का कस्टमर केयर नंबर खोजते हैं। लेकिन साइबर ठग यही मौका तलाशते हैं। वे नकली वेबसाइट और नकली नंबर डालकर लोगों को कॉल कराते हैं। एक बार कॉल लग गया तो OTP और पिन साझा करने की गलती बहुत महंगी पड़ जाती है।
कैसे बचें ऐसी ठगी से
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ सावधानियां अपनाकर इस तरह के अपराध से बचा जा सकता है:
1. गूगल पर बैंक का नंबर न खोजें, हमेशा बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या पासबुक देखें।
2. किसी भी अजनबी को OTP या पिन न बताएं।
3. कॉलर आईडी देखकर भरोसा न करें, क्योंकि इसे आसानी से बदला जा सकता है।
4. बैंक कभी भी फोन पर गोपनीय जानकारी नहीं मांगता।
5. संदिग्ध कॉल आने पर तुरंत बैंक के आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।
आम जनता के लिए बड़ा सबक
डीके पांडा का केस हमें यह सिखाता है कि पद, अनुभव और पहचान से फर्क नहीं पड़ता, साइबर ठग हर किसी को निशाना बना सकते हैं। जो एक बार की गलती लगे, वही दोबारा भी हो सकती है,अगर हम सतर्क न रहें।
साइबर पुलिस और सरकार की जिम्मेदारी
सवाल यह भी है,कि जब ऐसी घटनाएं रोज हो रही हैं, तो साइबर पुलिस और सरकार की भूमिका क्या होनी चाहिए?
क्या नकली वेबसाइट और नंबरों को तुरंत ब्लॉक करने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए?
क्या जनता को और ज्यादा जागरूक करने की जरूरत नहीं है?
क्या बैंकों को ग्राहकों को चेतावनी संदेश भेजते रहना चाहिए?
इन सवालों का जवाब मिलना जरूरी है, ताकि आम लोगों को सुरक्षा मिल सके।
ठगों से बचने का सबसे बड़ा हथियार जागरूकता
डीके पांडा का मामला समाज के हर व्यक्ति के लिए एक सबक है। डिजिटल दुनिया जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही खतरनाक भी। थोड़ी-सी लापरवाही लाखों का नुकसान करा सकती है। इसलिए जरूरी है,कि हम हमेशा सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर भरोसा न करें।
इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी और जागरूकता फैलाना है। इसमें बताए गए तथ्य मीडिया और सार्वजनिक सूचनाओं पर आधारित हैं। पाठकों से अपील है,कि बैंकिंग और व्यक्तिगत जानकारी से जुड़े मामलों में हमेशा सतर्क रहें और आधिकारिक स्रोतों से ही संपर्क करें।
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